ईडी चुनिंदा तरीके से विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों को निशाना बना रही- कपिल सिब्बल

नई दिल्ली: राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत सरकार पर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भारत के नक्शे को अलग तरीके से देखता है और केवल विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित राज्यों को निशाना बनाता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रख्यात वकील सिब्बल अपने नए मंच ‘इंसाफ’ के साथ देश के लिए एजेंडा और नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करने हेतु जंतर-मंतर पर बुलाई गई सभा को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी संपत्तियों पर छापेमारी की कार्रवाई का संदर्भ देते हुए कहा कि यह बिहार की सत्ता गंवाने पर भाजपा की प्रतिक्रिया है. उन्होंने कहा, ‘‘ आप देख सकते हैं कि बिहार में क्या हो रहा है. उन्हें (राजद नेता व उप मुख्यमंत्री)तेजस्वी यादव और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के एकसाथ आने की पीड़ा महसूस हो रही है...लालू जी के मुख्यमंत्री पद छोड़े सालों हो गए हैं. उन्हें अब अचानक ये मामले याद आ रहे हैं. सिब्बल ने तंज कसते हुए कहा,‘‘ ईडी भारत के नक्शे को अलग तरीके से देखती है. वे केवल विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित राज्यों को देखते हैं, वे भाजपा शासित राज्यों को नहीं देखते हैं.’’ इस मौके पर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा भी सिब्बल के साथ मंच पर मौजूद थे. तन्खा और सिब्बल दोनों कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं में शामिल हैं जिन्हें ‘जी-23’ के नाम से जाना जाता है. बाद में सिब्बल ने कांग्रेस छोड़ दी.

सिब्बल ने कहा कि प्रत्येक राजनीतिक दल की अपनी विचारधारा है, लेकिन जब आप भारत के संविधान का प्रस्तावना पढ़ते हैं तो पाएंगे कि संविधान का आधार न्याय है.’’ उन्होंने भाजपा पर विधायकों की ‘खरीद-फरोख्त’ कर राज्यों में विपक्षी पार्टियों की सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगाते हुए सख्त दलबदल कानून लाने की मांग की. उन्होंने कहा, ‘‘यह किस तरह की राजनीति है? बागी मंत्री बन गए हैं. जो अपनी पार्टी छोड़ते हैं उनपर मंत्री बनने या पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए.’’ तन्खा ने इसबीच कहा कि ‘इंसाफ’ देश के 130 करोड़ लोगों की आवाज होगी. उन्होंने पोर्टल के बारे में कहा, ‘‘ प्रत्येक व्यक्ति न्याय चाहता है लेकिन बहुत कम इसके लिए लड़ते हैं. यह 133 करोड़ भारतीयों की आवाज बनेगी. हमें उम्मीद है कि यह बदलाव जन आंदोलन में तब्दील होगा. सोर्स- भाषा