जयपुर: VIDEO: नए जिलों की घोषणा के बाद बढ़ी नए RTO कार्यालयों के गठन की उम्मीद, देखिए ये खास रिपोर्ट

VIDEO: नए जिलों की घोषणा के बाद बढ़ी नए RTO कार्यालयों के गठन की उम्मीद, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान में नए जिलों के गठन के बाद अब नए आरटीओ कार्यालयों के गठन की उम्मीद भी बढ़ गई है. क्योंकि जिस तरह अभी लोगों को अपने काम कराने के लिए लंबी दूरी तय कर जिला मुख्यालयों पर जाना पड़ता था, उसी तरह परिवहन से जुड़े काम कराने के लिए भी लोगों को करीब 300 किलोमीटर दूरी का सफर तय करना पड़ रहा है. प्रदेश में काफी लंबे समय से नए जिलों के गठन की जरूरत महसूस की जा रही थी क्योंकि कई जिले ऐसे थे जहां के लोगों को लंबी दूरी तय करने के बाद जिला मुख्यालय जाना पड़ता था नए जिलों के गठन के बाद अब लोगों की दूरी काफी कम हो गई है और लोग सहूलियत से नजदीक जिला मुख्यालय पर ही अपना काम करा सकेंगे.

नए जिलों के गठन के बाद अब प्रदेश में नए आरटीओ कार्यालयों के गठन की उम्मीद भी बढ़ गई है. क्योंकि भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य में मौजूदा समय में महज 13 RTO कार्यालय संचालित है जो कि आबादी के हिसाब से और दूरी के हिसाब से बहुत कम है. अभी हालात इतने खराब हैं कि लोगों को परिवहन विभाग से जुड़े काम कराने के लिए RTO मुख्यालय जाने पर करीब 300 किलोमीटर दूरी का सफर तय करना पड़ रहा है इससे लोगों को आर्थिक नुकसान होता है तो वही समय भी खराब हो रहा है.

परिवहन और सड़क सुरक्षा विभाग के पास एक तरफ तो सड़कों पर वाहनों का दबाव कम करने की जिम्मेदारी है लेकिन RTO कार्यालयों की कम संख्या और अधिक दूरी के कारण खुद परिवहन विभाग सड़कों पर दबाव बढ़ा रहा है. अगर जिलों की तर्ज पर प्रदेश में RTO कार्यालयों की संख्या बढ़ाई जाए तो लोगों को बहुत सहूलियत हो सकती है साथ ही परिवहन विभाग के लिए भी यह एक अच्छा फैसला साबित हो सकता है.परिवहन विभाग में अच्छे काम के लिए जिस तमिलनाडु मॉडल की चर्चा देशभर में होती है उस तमिलनाडु में भी आरटीओ कार्यालयों की संख्या राजस्थान के मुकाबले बहुत अधिक है तमिलनाडु में महज  37 जिलों में 87 RTO कार्यालय हैं जिससे लोगों को अपने नजदीक में ही परिवहन से जुड़े काम करवाने की सुविधा मिल रही है.

RTO कार्यालयों की कम संख्या से RTO मुख्यालयों की दूरी जिलों से बहुत बढ गई है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं. जैसलमेर से करीब 300 किलोमीटर का सफर तय कर लोगों को परिवहन से जुड़े काम कराने के लिए जोधपुर आना पड़ता है तो वही श्रीगंगानगर से करीब 250 किलोमीटर का सफर तय कर लोगों को बीकानेर आना पड़ रहा है. यूं तो प्रदेश में जिला परिवहन कार्यालयों की संख्या बहुत है लेकिन विभाग में ऐसे बहुत से काम है जो सिर्फ आरटीओ कार्यालय में ही हो सकते हैं.मौजूदा समय में 21 जिलों के लोगों को अपने काम कराने के लिए आरटीओ कार्यालय जाना पड़ रहा है ऐसे में अगर सरकार चाहे तो सभी डीटीओ कार्यालयों को RTO कार्यालयों में क्रमोन्नत भी कर सकती है जिस तरह जिले बनने से लोगों को सुविधा मिलेगी उसी तरह से RTO कार्यालयों की संख्या बढ़ाने से भी लोगों को सुविधा मिलेगी.

सिर्फ RTO कार्यालय में हो सकते है ये काम: 
-भार वाहनों के नेशनल परमिट
-बसों के स्टेज कैरिज परमिट
-रूट समय की सुनवाई
-आल इण्डिया टूरिस्ट परमिट
-अन्तर्राष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस
-मोटर ड्राइविंग स्कूल
-फ़िटनेस सेंटर
- ट्रैवेल्स एजेन्ट एवं ट्रांसपोर्ट कम्पनी एजेंट लाइसेंस, बस स्टेशन,
- 15 वर्ष पुरानी निरस्त निजी वाहनों की अपील आदि कार्य केवल आरटीओ ही कर सकते है.

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