जयपुर: झालाना लेपर्ड रिजर्व में इन दिनों नन्हें शावकों की अठखेलियां पर्यटकों को आनंदित कर रही हैं. तीन मादा लेपर्ड फ्लोरा, जलेबी और शर्मीली शावकों के साथ दिखाई दी हैं. झालाना में करीब 40 से अधिक लेपर्ड्स का विचरण है और प्रदेश में रणथंभौर टाइगर सफारी के बाद झालाना लेपर्ड सफारी को सर्वाधिक पसंद किया जा रहा है. झालाना लेपर्ड रिजर्व अब सिटी वाइल्डलाइफ टूरिज्म के शौकीन पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा है. यहां शहर के बीचों बीच बने इस 20 वर्ग किलोमीटर के लेपर्ड रिजर्व में 'भारत रत्न' सचिन तेंदुलकर से लेकर खेल जगत के नामचीन सितारे, बॉलीवुड के कलाकार, कॉपोरेट जगत की हस्तियां और वन्यजीवों पर शोध करने वाले शोधार्थियों से लेकर आम पर्यटक तक रोजाना तेंदुओं को देखने पहुंचते हैं.
झालाना दुनिया का एकमात्र ऐसा लेपर्ड रिजर्व है, जहां लेपर्ड्स को नाम से जाना जाता है. वैसे तो मानसून में रिजर्व क्षेत्र में घास बहुत बढ़ जाती है. ऐसे में लेपर्ड्स की साइटिंग मुश्किल होती है लेकिन झालाना इस मामले में यहां आने वाले पर्यटकों को निराश नहीं करता. यहां लेपर्ड्स की साइटिंग के 90 फीसदी से अधिक अवसर होते हैं. यहां तीन रूट हैं जिन पर पर्यटक जिप्सी व ई व्हीकल्स के जरिए सफारी कर सकते हैं. झालाना में रेंज अधिकारी जनेश्वर चौधरी, जोगेंद्र सिंह शेखावत, सहायक वनपाल कृष्ण कुमार मीणा, वन रक्षक मनीष डोई सहित कई कर्मचारियों की एक पूरी टीम है जो नियमित मॉनिटरिंग करती रही है.
मानसून सीजन में यहां तीन मादा लेपर्ड अपने शावकों के साथ नियमित पर्यटकों को दिख रही हैं. फ्लोरा दो दिन पहले ही अपने शावक को मुंह दबाकर रोड क्रॉस करती दिखाई दी. जलेबी अपने शावक के साथ लगभग रोजाना दिखाई दे रही है. शर्मिली को भी अपने शावकों के साथ आरती वाटर पॉइंट पर देखा गया है. इसके अलावा राणा और बहादुर अकसर पेड़ पर आराम फरमाते दिखाई दिए हैं. बघीरा, मिसेज खान, नथ वाली और करन भी पर्यटकों को अपनी उपस्थिति से रोमांचित करते रहे हैं.
झालाना के साथ ही जुड़े हुए आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व में भी इन दिनों अच्छी साइटिंग हो रही है. आमागढ़ में हाईना की साइटिंग के भी बेहतर अवसर हैं ऐसे में यहां भी अब पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है. झालाना अब सुनहरी चमड़ी के तेंदुओं को देखने की ऐसी दुनिया में तब्दील हो गया है, जहां पर्यटक न केवल तेंदुओं को देख सकते हैं. वरन हाईना, चीतल, सांभर, नील गाय, लोमड़ी व दर्जनों तरह की चिड़ियाएं भी देखकर खुदको रोमांचित महसूस करते हैं.