भारत-ब्रिटेन एफटीए में दोनों देशों को स्वीकार्य चीजों पर ध्यान दे रहे हैं- पीयूष गोयल

भारत-ब्रिटेन एफटीए में दोनों देशों को स्वीकार्य चीजों पर ध्यान दे रहे हैं- पीयूष गोयल

गांधीनगर: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए वार्ता में इस बात पर ध्यान दिया गया है कि दोनों देशों को क्या स्वीकार्य है. साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा को बाधित नहीं होने दिया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि छात्र वीजा कभी भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का हिस्सा नहीं होते हैं.

भारत ने हाल ही में ब्रिटेन के साथ छठे दौर की वार्ता पूरी की है और अगला दौर जल्द आयोजित किया जाएगा. द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ब्रिटेन के साथ बातचीत पिछले साल 13 जनवरी को शुरू हुई थी. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2020-21 में 13.2 अरब डॉलर की तुलना में 2021-22 में बढ़कर 17.5 अरब डॉलर हो गया. 2021-22 में भारत का निर्यात 10.5 अरब डॉलर था, जबकि आयात सात अरब डॉलर था. गोयल ने यहां संवाददाताओं से कहा कि ब्रिटेन के साथ हमारा दृष्टिकोण इस बात पर केंद्रित कि दोनों देशों को क्या स्वीकार्य है और हमें संवेदनशील मुद्दों को अपनी चर्चाओं को बाधित नहीं करने देना चाहिए. ब्रिटेन के एक अधिकारी के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि भारत के लिए अधिक छात्रों को वीजा देना इस समझौते का हिस्सा नहीं है, गोयल ने कहा कि क्या आपने कभी सुना है कि छात्र वीजा एफटीए का हिस्सा है? कितने छात्र वहां (ब्रिटेन) पढ़ने जाते हैं? यह कभी भी एफटीए का हिस्सा नहीं है. 

ब्रिटिश व्यापार मंत्री केमी बडेनोच, जो वार्ता के प्रभारी हैं, ने हाल में कहा था कि इस साल व्यापार समझौता होने की उम्मीद है, लेकिन इसमें भारतीयों के लिए मुक्त आवाजाही वीजा प्रस्तावों को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा. हाल ही में ‘द टाइम्स’ के साथ साक्षात्कार में ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने ब्रेक्जिट के बाद ऑस्ट्रेलिया के साथ ब्रिटेन के एफटीए और भारत के साथ प्रस्तावित समझौते के बीच किसी भी बड़ी समानता से इनकार किया था. गोयल ने कहा कि समाचार पत्रों के लेखों, संवाददाता सम्मेलनों या सार्वजनिक समारोहों में एफटीए पर कभी भी बातचीत नहीं की जाती है, और ये समझौते ‘गंभीर’ कार्य हैं जो अधिकारियों और उच्च राजनीतिक स्तर पर होते हैं. इनमें जब जरूरत होती है, बातचीत की जाती है. सोर्स- भाषा