जैसलमेर: भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जिला जैसलमेर पक्षी प्रेमियों और पक्षियों पर शोध करने वालो के लिए सुखद और अच्छी खबर सामने आई है. जहां थार के इस रेगिस्तान में पहली बार तीन अलग अलग प्रवासी पक्षियों के झुण्ड ने अंडे देकर नन्हे मेहमानों को जन्म दिया है. अब सैकड़ों नन्हे पक्षियों की मधुर आवाज सुनाई देने लगी है.
जैसलमेर में वर्ष भर में बदलते मौसम में करोड़ों विदेशी और देशी प्रवासी पक्षी जैसलमेर घूमने आते है. कुछ महीने जैसलमेर में रहकर वापस अपने घर चले जाते है. लेकिन जैसलमेर में मौसम परिवर्तन और सुरक्षित स्थान मानते हुए प्रवासी पक्षियों के तीन प्रजातियों ने जैसलमेर में अपने बच्चों को पहली बार जन्म दिया है. दरअसल, सरहदी जैसलमेर जिले में कैटल एग्रेट, लिटिल कार्मोरेंट पर ब्लैक क्राउन और नाइट हेरॉन जो अलग अलग बगुले की प्रजातियां है जो वर्ष भर की भांति इस बार भी जैसलमेर घूमने आये यही प्रजनन किया उसके बाद वापस नहीं लौटे. उन्होंने जैसलमेर में इस बार अपने बच्चों को जन्म दिया है. जिसके बाद पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर छा गई है.
प्रवासी पक्षियों द्वारा इस क्षेत्र में घोंसले बनाने एवं अण्डे देने का पहला मामला:
जैसलमेर के राजकीय एसबीके महाविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ श्यामसुन्दर मीणा ने अपने कॉलेज के बाहर घूम रहे थे तब उन्होंने प्रवासी पक्षी को घोंसला बनाने के लिए तिनका चुनते हुए देखा. उसके बाद डॉ मीणा ने उसका पीछा किया तो वह आश्चर्यचकित हो गए की जैसलमेर के गड़ीसर सरोवर के पीछे सैकड़ों घोसले, अण्डे और पक्षी थे. जिसके बाद डॉ मीणा ने इसका शोध कर बताया कि प्रवासी पक्षियों द्वारा इस क्षेत्र में घोंसले बनाने एवं अण्डे देने का पहला मामला सामने आया है.