PHD प्रवेश परीक्षा नहीं होने से खतरे में युवाओं का भविष्य, छात्रों को दूसरे विश्वविद्यालयों में जाना पड़ रहा

जयपुर: राजस्थान यूनिवर्सिटी में शोध प्रवेश परीक्षा लापरवाही की भेट चढ़ गई है. पहले तो सिंडिकेट बैठक नहीं होने के कारण परीक्षा का निर्णय नहीं हो पाया. वही सिंडिकेट से पारित होने के बाद परीक्षा पर फिर पेंच फंस गया है. दरअसल, एकेडमिक कौंसिल में रखें बिना ही सिंडिकेट में परीक्षा का एजेंडा रख दिया गया और निर्णय भी करा लिया. लेकिन अब एकेडमिक कौंसिल में नहीं जाने से परीक्षा अटक गई है. अब यूनिव​र्सिटी की ओर से परीक्षा को ​एकेडमिक कौंसिल में रखने की तैयारी की जा रही है. संभत: नवंबर में इस पर निर्णय हो जाएगा. इसके बाद परीक्षा की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. 

राजस्थान यूनिवर्सिटी में अटकी शोध प्रवेश परीक्षा 

हाल ही यूजीसी की ओर से रेगुलेशन 2022 लागू किया गया

नए प्रावधानों के अनुसार शोध प्रवेश परीक्षा कराने का निर्णय लिया.

यूनिवर्सिटी के रिसर्च बोर्ड ने नए प्रावधानों के तहत परीक्षा का निर्णय

एकेडमिक कौंसिल ने भी नए प्रावधानों को दी थी हरी झंडी

एकेडमिक कौंसिल ने हरी झंडी देते हुए प्रस्ताव सिंडिकेट भेज दिया.

किन कुछ आपत्तियां आने के बाद सिंडिकेट ने इसे पास नहीं किया

और एक वार वापस एकेडमिक कौंसिल में भिजवाया.

लेकिन एकेडमिक कौंसिल में इस एजेंडों वापस नहीं रखा गया

ऐसे में अभी तक नही हो पाया पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट 

यूजीसी के नए नोटिफिकेशन लागू होने के बाद सेवानिवृत्ति से तीन वर्ष पहले प्रोफेसर गाइड नहीं बनेंगे. यूनिवर्सिटी में करीब 40 प्रोफेसर ऐसे हैं, जो तीन साल बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं. ऐसे में यूनिवर्सिटी में पीएचडी की करीब 100 सीटें कम हो जाएंगी. वही दूसरी ओर परीक्षा के नही होने से विवि में शोध की संख्या कम हो रही है, ऐसे में ग्रांट पर असर पड़ेगा. इसके साथ ही नेक की ग्रेड और शोध की गुणवत्ता पर भी असर पडेगा  जिन छात्रों की जेआरएफ हो चुकी, उनका पीएचडी में प्रवेश जरूरी है.  क्युकी दो साल से अधिक समय में प्रवेश नहीं होने पर यह लैप्स हो जाएगी.

पूर्व कुलपति राजीव जैन की लापरवाही मौजूदा वक्त में छात्र छात्राओं के लिए मुसीबत बन गई है अगर समय रहते शोध प्रवेश परीक्षा नही कराई गई तो हजारों की तादाद में स्टूडेंट्स का भविष्य खतरे में पढ़ जायेगा.