सीकर: राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में आंतक मचाने वाले गैंगस्टर राजू ठेहट की अज्ञात बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी. DGP उमेश मिश्रा ने सीकर SP से घटना की जानकारी ली है. उसके बाद DGP उमेश मिश्रा ने बदमाशों के भागने के संभावित रास्तों पर कड़ी नाकाबंदी के निर्देश दिए हैं. खास तौर से पंजाब बॉर्डर पर नाकाबंदी के निर्देश दिए हैं. वहीं लॉरेन्स विश्नोई गैंग के रोहित गोदारा ने हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है. राजू ठेहट की आनंदपाल गैंग और बिश्नोई गैंग से रंजिश चल रही थी. राजू ठेहट का नाम गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के अपराधी बनने से पहले से फैला हुआ था.
आपको बता दें कि राजू ठेहट ने 1995 के दौर में अपराध की दुनिया में एंट्री की थी. लग्जरी लाइफ जीने का शौकीन गैंगस्टर्स राजू ठेहट महंगी कार और बाइक पर काफिले के साथ घूमता था. उसे सीकर बॉस के नाम से बुलाया जाने लगा था. 1997 में बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट दोस्त हुआ करते थे. दोनों शराब के धंधे से जुड़े हुए थे. 2005 में हुई एक हत्या ने दोनों दोस्तों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी.
राजू ठेहट से शराब ठेके पर बैठने वाले सेल्समैन विजयपाल की किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई थी. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक यह विवाद इतना बढ़ा की राजू ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी. विजयपाल रिश्ते में बलबीर का साला था. इसी के चलते दोनों ने की दोस्ती में दुश्मनी शुरू हो गई. इसी के चलते बलबीर ने राजू के गैंग से अलग होकर दूसरा गिरोह बना लिया. बाद में इसी गैंग में आनंदपाल की भी एंट्री हो गई. आरोप है कि इसके बाद दोनों ने विजयपाल की हत्या का बदला लेने के लिए राजू के करीबी गोपाल फोगावट को मौत के घाट उतार दिया.
आनंदपाल का 24 जून 2017 को पुलिस द्वारा एनकाउंटर कर दिया गया:
दुश्मनी के इसी खेल के चलते शेखावटी में दोनों गुटों के कई लोगों की हत्याएं हुई. दोनों की दुश्मनी जेल तक भी पहुंच गई जब 26 जनवरी 2014 को सीकर जेल में राजू ठेहट पर हमला हुआ लेकिन उसके करीब छह महिने बाद ही बीकानेर जेल में आनंदपाल और बलबीर पर भी हमला हो गया. इस दौरान राजू ठेहट, आनंदपाल तो बच गए लेकिन बलबीर मारा गया. वहीं आनंदपाल का 24 जून 2017 को पुलिस द्वारा एनकाउंटर कर दिया गया.
आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद राजू ठेहट का वर्चस्व और बढ़ गया:
आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद राजू ठेहट का वर्चस्व और बढ़ गया. जेल में बंद होने के दौरान भी उसके फिरौती मांगकर संरक्षण देने के कई मामले सामने आए थे.जयपुर जेल में बंद रहने के दौरान अपनी गैंग को बढ़ाने के मकसद से जयपुर में भी अपना ठिकाना बनाया. उसको जयपुर के स्वेज फार्म में जिस मकान से पकड़ा, उसकी कीमत 3 करोड़ रुपए बताई जा रही है. बताया जा रहा है कि 8 साल जेल में बिताने के बाद वह जमानत पर बाहर आया था. लोगों में सक्रिय रहने के लिए वह रील बनाकर सोशल मीडिया पर भी डालता रहता है.