VIDEO: सरकार के काम लिखेंगे वन विकास की नई इबारत, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: वन और वन्यजीव संरक्षण को लेकर गहलोत सरकार ने जो कर दिखाया है वो आने वाले वर्षों में प्रदेश में वन विकास की नई इबारत लिखेगा. वन पुनर्स्थापन के लिए राज्य सरकार द्वारा इतिहास में पहली बार बजट उपलब्ध करवाना हो या नई भर्ती, पदोन्नति और बाहरी सहायता के वृहद प्रोजेक्ट स्वीकृत करवाना हो. सभी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा के अनुरूप कार्य हुआ है और इन सबको क्रियान्वित करने में पीसीसीएफ हॉफ डॉ डीएन पाण्डेय ने जोरदार भूमिका निभाई है. 

कुछ वर्षों पहले तक वन विभाग में 50 प्रतिशत पद खाली थे और वन एवं वन्यजीव संरक्षण के कार्य प्रभावित हो रहे थे. ऐसे में डां डीएन पाण्डेय ने हॉफ का पद संभालते ही इस दिशा में तेजी से कार्य किया और एक वर्ष में ही सहायक वन संरक्षक और क्षेत्रीय वन अधिकारी के रिक्त पदों का राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती कराकर विभाग में जान फूंक दी. इसी तरह वनपाल भर्ती करवाई गई जिसका रिजल्ट आ चुका है और वनरक्षक का रिजल्ट जल्द आने वाला है. रिक्त पद भरने से अब प्रदेश में वन और वन्यजीव संरक्षण के काम में  तो तेजी आएगी ही साथ ही विभाग की कार्यक्षमता में भी वृद्धि होगी. 

अब विभाग की वाइल्ड लाइफ विंग और टेरिटोरियल विंग पहले ज्यादा मजबूत होगी. इसी तरह पहली बार बाहरी सहायता के तौर पर फ्रांस की संस्था एफडी और जापान की जायका के करीब 3500 करोड़ के प्रोजेक्ट मंजूर हो चुके हैं. जल्द ही विश्व बैंक का भी प्रोजेक्ट मंजूर होने वाला है. इन तीनों प्रोजेक्ट के द्वारा राजस्थान में न केवल वन विकास तेजी से होगा वरन वन क्षेत्र विस्तार को भी बल मिलेगा. प्रदेश में वन क्षेत्र को लेकर जिस तरह गहलोत सरकार ने गंभीरता दिखाई है उसका ही नतीजा है कि प्रदेश में वन विकास से जुड़ी योजनाओं को गति मिली है. 

प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि राज्य सरकार ने वन पुनर्स्थापन के लिए एक पांच वर्षीय योजना के वित्त पोषण का फैसला किया है. राज्य में 56 हजार हेक्टेयर में वन पुनर्स्थापन पर पांच वर्ष में करीब 500 करोड़ से ज्यादा खर्च आएगा. पीसीसीएफ हॉफ डॉ डीएन पाण्डेय का कहना है कि वन विकास को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुरू से संजीदा रहे हैं उन्हीं की प्रेरणा से वन पुनर्स्थापन की योजना बनी. 

इसी तरह वन विभाग में पदोन्नति लंबे समय से अटकी हुई थी. अब कार्मिकों को पदोन्नति का लाभ देने के उद्देश्य से डीपीसी करवाई गई. वनरक्षक से सहायक वनपाल और सहायक वनपाल से वनपाल.इसी तरह वनपाल से रेंजर ग्रेड दो पदोन्नति की प्रक्रिया पूर्ण की गई. जल्द ही वनपालों की पदोन्नति को भी पूरा कर लिया जाएगा. घर घर औषधि योजना कोरोना काल में मील का पत्थर साबित हुई. प्रदेश के की जनता ने आयुर्वेद की ताकत को जाना और घर घर औषधि योजना को आपना. प्रदेश में प्रत्येक जिला मुख्यालय पर लव कुश वाटिका तैयार करवाई जा रही हैं.

प्रदेश के 6 संभाग मुख्यालयों पर बॉटनिकल गार्डन बनाए जा रहे हैं और नए टाइगर रिजर्व, कंजर्वेशन रिजर्व तैयार कर राजस्थान वन विकास के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया. इन सब कार्यों का नतीजा यह रहा कि प्रदेश में प्रदूषण भी और राज्यों के मुकाबले ज्यादा बेहतर स्थिति में आ गया है. नए टाइगर रिजर्व, कंजर्वेशन रिजर्व बनाने हों या वन विकास निगम का गठन. घी घर औषधि योजना और या फिर बाहरी सहायता के प्रोजेक्ट्स मंजर करवाना और तो और नई भर्ती व पदोन्नति में भी प्रदेश के वन महकमे ने जोरदार काम किया है. उम्मीद की जानी चाहिए कि वन विकास का कुलांचे मारता हिरण आगे भी दौड़ता रहेगा और प्रदेश वन विकास के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में शुमार होगा.