नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने केंद्रीय गृह सचिव को पत्र लिखकर महिलाओं के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए समन्वित नीति हेतु उच्च स्तरीय समिति बनाने की मांग की है. राष्ट्रीय राजधानी में युवती को सड़क पर टक्कर मारने के बाद करीब 12 किलोमीटर तक घसीटने की हुई वारदात की पृष्ठभूमि में डीसीडब्ल्यू ने यह पत्र लिखा है.
डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को लिखे पत्र में केंद्रीय गृहमंत्री के नेतृत्व में समिति बनाने की सिफारिश की है, जिसमें दिल्ली के उप राज्यपाल, मुख्यमंत्री और पुलिस आयुक्त सदस्य के तौर पर शामिल हों. मालीवाल ने कहा कि इस समिति की महीने में कम से कम एक बैठक होनी चाहिए और राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए समन्वित राणनीति बनाई जाए.
व्यवस्था को सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए:
उल्लेखनीय है कि स्कूटी सवार 20 वर्षीय एक युवती की रविवार को कार से टक्कर की वारदात में मौत हो गई थी. टक्कर मारने के बाद कार सवारों ने युवती को 12 किलोमीटर तक घसीटा और उसका शव कंझावाला इलाके में मिला. मालीवाल ने कहा कि यह नए साल की रात हुआ जघन्य अपराध है और इससे राष्ट्रीय राजधानी की पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल पैदा होते हैं. उन्होंने कहा कि भारत इस साल जी-20 की बैठक की मेजबानी करेगा और सरकार को राजधानी में कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.
अपराध के उच्च दर की सबसे प्रमुख वजह है:
मालीवाल ने वर्ष 2012 में हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म व हत्या को याद करते हुए कहा कि तब से कुछ भी नहीं बदला है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में दुष्कर्म के औसतन छह मामले रोजाना आते हैं और यहां तक आठ साल की बच्ची और 90 साल की बुजुर्ग महिला तक से नृशंस तरीके से दुष्कर्म के मामले आए हैं. डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष ने कहा कि पुलिस संसाधन और जवाबदेही की कमी राजधानी में महिलाओं व लड़कियों के खिलाफ अपराध के उच्च दर की सबसे प्रमुख वजह है.
घसीटी गई युवती की रक्षा करने में असफल रहे:
उन्होंने कहा कि उनके द्वारा प्रस्तावित उच्च स्तरीय समिति को दिल्ली पुलिस की जवाबदेही बढ़ाने और अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए. पत्र में मालीवाल ने लिखा कि गृह मंत्रालय को कंझावला मामले में उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर नजीर पेश करनी चाहिए, जो दिल्ली की सड़क पर 12 किलोमीटर तक घसीटी गई युवती की रक्षा करने में असफल रहे.
ड्यूटी और सैकड़ों मामलों से निपटना पड़ता है:
पत्र में दिल्ली पुलिस के मानव संसाधन को बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में संसाधनों की कमी की वजह से पुलिस कर्मियों को लंबे समय तक ड्यूटी और सैकड़ों मामलों से निपटना पड़ता है. मालीवाल ने रेखांकित किया कि दिल्ली पुलिस 20 साल से 66 हजार अतिरिक्त जवानों की मांग कर रही है ,लेकिन अबतक उन्हें यह मुहैया नहीं कराए गए.
कई बार दिल्ली पुलिस की हेल्पलाइन पर फोन किया:
डीसीडब्ल्यू प्रमुख ने महिला पुलिस कर्मियों की संख्या भी बढ़ाने की मांग की जिनकी हिस्सेदारी दिल्ली पुलिस के कुल जवानों में अभी नौ प्रतिशत है. पत्र में कहा कि मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कंझावला मामले में चश्मदीद गवाहों ने कई बार दिल्ली पुलिस की हेल्पलाइन पर फोन किया, लेकिन कथित तौर पर घंटो तक कोई पीसीआर वैन मौके पर नहीं पहुंची. यह मांग की जाती है कि दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट को मजबूत किया जाए ताकि वे आपात स्थिति से निपटने में सक्षम हों. सोर्स-भाषा