कोच्चि: एंथनी कुट्टापसेरा का परिवार एक सदी से अधिक समय से अरब सागर के किनारे पर बने घर में रह रहा है. वह अपने घर के बाहर तालाब और कुएं का पानी पीकर बड़े हुए हैं.
लेकिन 60 साल पहले पानी पीने के लिए बहुत खारा हो गया. इसके बाद वह नहाने या कपड़े धोने के लिए भी खारा हो गया. अब तालाब हरा और लगभग सूख गया है - जैसे कि कोच्चि के चेल्लनम इलाके में बाकी के कुएं और तालाब सूख गए हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का स्तर बढ़ने से चेल्लनम जैसे स्थानों पर खारा पानी ताजा पानी से मिल रहा है जिससे दिनचर्या के कामों में मुश्किलें पैदा हो रही है. और बार-बार ताजा पानी की पाइपलाइन टूटने के कारण करीब आठ वर्ग किलोमीटर में फैले इस गांव के लोगों तक ट्रकों के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है.
चीज के लिए पैकिंग वाले पानी का इस्तेमाल कर रहे:
कुट्टापसेरा (आयु 73 वर्ष) ने कहा कि हमारे पास अपने लिए भी साफ पानी नहीं है. हम पानी से घिरे हैं लेकिन हमारे पास इस्तेमाल करने लायक पानी नहीं है. जब यह तालाब इस्तेमाल करने की स्थिति में था तो कोई दिक्कत नहीं थी और हमारे पास हर चीज के लिए पर्याप्त पानी था. किसी अन्य स्रोत की आवश्यकता नहीं थी लेकिन अब हम हर चीज के लिए पैकिंग वाले पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं.
दुनियाभर में खारेपानी का भूजल के साथ मिलना जलवायु परिवर्तन की बड़ी समस्या है. हालांकि, अमीर देश इससे आसानी से निपट सकते हैं लेकिन भारत जैसे देशों पर इसका असर बहुत खराब है. भारत कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करने वाला दुनिया का तीसरा बड़ा देश है. वह तेजी से स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तित होने की कोशिश कर रहा है लेकिन इस बदलाव में वक्त लगेगा.
अध्ययन के बाद से खारापन 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ गया:
इस बीच, वैज्ञानिकों ने कहा कि समुद्र का स्तर बढ़ने, महासागरों की प्रवृत्ति में बदलाव होने, प्रचंड तूफान, कुओं का जरूरत से अधिक इस्तेमाल और जरूरत से अधिक विकास से कोच्चि क्षेत्र में खारेपन की समस्या बढ़ रही है और तटीय इलाकों में यह चुनौती ऐसे देश में आयी है जहां ताजा पानी तक पहुंच पहले ही एक मुद्दा है. यूनीसेफ के अनुसार, भारत की आधी से भी कम आबादी की स्वच्छ पेयजल तक पहुंच है. कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में मरीन विज्ञान के डीन बिजॉय नंदन ने कहा कि लोग जूझ रहे हैं क्योंकि जलवाही स्तर खारा हो रहा है.उन्होंने कहा कि 1971 में इलाके में पानी के पहले अध्ययन के बाद से खारापन 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़ गया है.
घर पर मुंह धोने तक का पानी नहीं रहता है:
मरियम्मा पिल्लई (82) चेल्लनम के उन निवासियों में से एक है जो लगभग हर दिन साफ पानी के लिए ट्रक का इंतजार करती हैं. घर पर कोई नल न लगे होने के कारण उन्हें पांच लीटर पानी करीब 40 रुपये में खरीदना पड़ता या निशुल्क पानी के लिए सरकारी टैंकर की बाट जोहनी पड़ती है. पिल्लई ने कहा कि हर साल गर्मी बढ़ने के साथ पानी की कमी बढ़ती जा रही है. उन्होंने बताया कि उनके पास घर पर मुंह धोने तक का पानी नहीं रहता है.
अलेप्पी में पानी के इकलौते नल पर दबाव बढ़ जाएगा:
एक अन्य निवासी कर्णी कुमार मुख्य सड़क से बहुत दूर रहते हैं तो उनके लिए पड़ोसी जिले अलेप्पी से ताजा पानी लाने के लिए बैकवाटर के छोटे से रास्ते को नाव से पार करना ज्यादा आसान है लेकिन अगर चेल्लनम के कई अन्य परिवार ऐसा करते है तो इससे अलेप्पी में पानी के इकलौते नल पर दबाव बढ़ जाएगा जिससे पानी के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ सकता है और लोगों के बीच झगड़े भी हो सकते हैं. सोर्स-भाषा