भारत की नई शिक्षा नीति महात्मा गांधी जैसे दूरदर्शी लोगों की शिक्षाओं पर आधारित- अमित शाह

भारत की नई शिक्षा नीति महात्मा गांधी जैसे दूरदर्शी लोगों की शिक्षाओं पर आधारित- अमित शाह

हरिद्वार: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मातृभाषा और सार्वभौमिक शिक्षा पर जोर देने वाली केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति की बृहस्पतिवार को सराहना की और कहा कि यह महात्मा गांधी तथा दयानंद सरस्वती जैसे दूरदर्शी भारतीयों की शिक्षाओं पर आधारित है. यहां गुरुकुल कांगड़ी के 113वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए शाह ने भारत में वैदिक शिक्षा के पुनरुद्धार और इसे आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ने का श्रेय इस विश्वविद्यालय को दिया. शाह ने विश्वविद्यालय के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली को अंग्रेजों के शिकंजे से मुक्त कराया और देश की वैदिक शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित किया तथा संस्कृति और आधुनिक शिक्षा पर जोर दिया. 

शाह ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह महर्षि दयानंद सरस्वती, स्वामी श्रद्धानंद, महात्मा गांधी और लाला लाजपत राय के संयुक्त दर्शन का प्रतिनिधित्व करती है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति, जो देश की तीसरी है, में चार महान लोगों का दर्शन शामिल है. महर्षि दयानंद द्वारा प्रचारित सुलभ शिक्षा, स्वामी श्रद्धानंद द्वारा प्रचारित आधुनिक के साथ वैदिक शिक्षा का संयोजन, मातृभाषा में महात्मा गांधी की शिक्षा, और लाला लाजपत राय का सभी के लिए शिक्षा का सिद्धांत इस नीति के मूल में है. शाह ने कहा कि इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में 10 राज्यों की मातृभाषाओं में शिक्षा प्रदान की जाने लगी है, जबकि जेईई, एनआईआईटी और आईएएस परीक्षा में बैठने वाले लोगों के पास अपनी मातृभाषा में परीक्षा देने का विकल्प होता है. उन्होंने कहा कि एनईपी में विज्ञान और कला संकायों को लेकर कोई बाधा नहीं है, और हर किसी को अपनी रुचि तथा योग्यता के अनुसार कुछ भी सीखने की स्वतंत्रता है. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और भारतीयता को अंतरराष्ट्रीय गौरव दिलाया है.

उन्होंने कहा, "नरेन्द्र मोदी ने तुरंत ऐसे फैसले लिए जो देश दशकों तक नहीं ले पाया. चाहे वह अनुच्छेद 370 को खत्म करना हो या सर्जिकल स्ट्राइक जैसे उपायों के माध्यम से देश की सीमाओं को सुरक्षित करना हो या देश को दुनिया की 11वीं से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की छलांग लगाना हो. दुनिया में, प्रधानमंत्री ने देश को गौरवान्वित करने के लिए सबकुछ किया है. दीक्षांत समारोह में डिग्री प्राप्त करने वाले 1,800 छात्रों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय जैसे महान संस्थान में अध्ययन करने पर गर्व होना चाहिए. उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि उन्हें राष्ट्र निर्माण में अपनी शिक्षा का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि इसके 100वें वर्ष में यह दुनिया के अग्रणी देश के रूप में उभरे. सोर्स- भाषा