बीकानेर: बीकानेर के रेतीले धोरों में इन दिनों गोलियों की गड़गड़ाहट और तोप-टैंक के धमाकों की दहदहलाहट सुनाई दे रही है. मौका है भारतीय व अमेरिकी सेनाओं के बीच चल रहे संयुक्त युद्धाभ्यास का. दोनों सेनाएं अपना युद्ध कौशल, युद्ध प्रणाली, मैनेजमेंट सहित बारिकियां और अनुभव साझा करने के उद्देश्य से पिछले सोमवार से बीकानेर की महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज में डटे हुए हैं.
इस युद्धाभ्यास के पाँचवे और छठे दिन शुक्रवार को फायरिंग समेत अन्य पोजीशन, युद्ध के दौरान खाद्य, ईंधन सहित सामग्री को त्वरित तरीके से पहुंचाना व युद्ध में घायल सैनिकों को जल्द से जल्द मेडिकल सुविधा पहुंचाने सहित विभिन्न तरह के अभ्यास किये गए. युद्धाभ्यास में शामिल होने पहुंचे यूएस आर्मी के विपरित और प्रतिकूल परिस्थितियों में महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज के रेगिस्तानी धोरों में 14 दिनों तक इंडियन आर्मी के साथ युद्ध कौशल, तकनीक सहित युद्ध के दौरान की विभिन्न चुनौतियां व बारिकियां सीखने के लिए उत्सुकता से शामिल हुए हैं. इस दौरान भारतीय सेना की ओर से मेडिकल ट्रूप की कमान देख रहीं कैप्टन स्मिता सिंह ने बताया कि युद्ध के दौरान कैसे घायल सैनिकों तक जल्द से जल्द मेडिकल सुविधा पहुंचाने और आगे का इलाज मुहैया करवाने जैसी तकनीक को करीब से जानने को मिला.
वहीं 20 साल बाद अमेरिकी सेना के साथ फिर से युद्धाभ्यास में शरीक होने वाले भारतीय सैन्य ऑफिसर ने भी अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया कि पहले साल 2004 में वे यूएस आर्मी के साथ मिजोरम में आयोजित संयुक्त युद्धाभ्यास में एक सिपाही के तौर पर शामिल हुए थे और अब प्लाटून कमांडर के तौर पर हिस्सा ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि दोनों देशों की सेनाओं के इस संयुक्त युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य विश्व शांति के ओर बढ़ते कदमों के दौरान आपसी सांमजस्य बढ़ाने, बेहत्तर समन्वय व साझेदारी स्थापित करने, संस्थागत ढांचे को समझने, युद्ध रणनीतियों, युद्ध प्रतिक्रिया, सैन्य सहयोग, रक्षा साझेदारी बढ़ाने के साथ-साथ आपसी विश्वास को भी बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.
इसके परिणाम दोनों ही सेनाओं को भविष्य में मिलेंगे. शुक्रवार को हुए अभ्यास के बारे में जानकारी देते हुए प्लाटून कमांडर महादीप सिंह शेखावत ने बताया कि सैनिकों ने युद्ध मैदान में आमने सामने की स्तिथि में दुश्मन पर गोलियों बौछार करने का अभ्यास किया. भारतीय सैनिकों और अमेरिका के रेंजर्स ने खुद को वार्मअप करने के लिए छलांग लगाकर, शारीरिक संतुलन बनाकर संकरी जगह पर बाधाओं को पार करने आदि का अभ्यास किया. दुश्मन के एक जगह स्थिर और मूवमेंट करते हुए पर राइफल से स्टिक निशाना लगाने की प्रेक्टिस की. इसके अलावा होवित्जर तोप से दुश्मन सेना के टारगेट को ध्वस्त करने का अभ्यास किया गया.
साथ ही इस युद्धाभ्यास में लॉजिस्टिक इंजार्ज कैप्टन लीतिका ने भी अपना अनुभव साझा किया और युद्ध के दौरान जरुरत की सामग्री सेना तक पहुंचाने के बारे में जानकारी दी और बताया कि खाद्य सामग्री, गोला बारूद सहित विभिन्न जरूरत के सामान को जल्द से जल्द सेना को मुहैया करवाने के तौर-तरीके दोनों देशों की सेनाओं में एक दूसरे से साझा किये गए. उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान जरूरत का सामान सेना तक पहुंचाना मुख्य कार्य होता है जिस पर सेना का पूरा मूवमेंट टिका हुआ होता है.
एक-दूसरे की युद्ध तकनीक, तौर-तरीके, युद्ध की रणनीति व प्लानिंग को समझने के और सेनाओं में बेहतर समन्वय स्थापित करने, रक्षा साझेदारी बढाने सहित कई उद्देश्य से आयोजित किये गए इस संयुक्त युद्धाभ्यास में दोनों देशों के सैनिक उत्साह और जोश के साथ हिस्सा ले रहे हैं. जवानों का यह जोश विपरीत परिस्थियों में एक-दूसरे के संस्थागत युद्ध ढांचे, कौशल, रणनीति, प्रतिक्रिया जानकर अटूट विश्वास स्थापित करने के लिए मील का पत्थर साबित होगा. इस युद्धाभ्यास से विश्व के दो बड़े देशों की सेनाओं द्वारा भविष्य में विश्व शांति के लिए चलाए जाने वाले अभियानों में सहयोग मिलेगा.