जयपुर: राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र जारी है. सांचौर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मुआवजे से जुड़े मामले पर विधायक जीवाराम चौधरी ने सवाल किया. मंत्री केके बिश्नोई ने जवाब देते हुए कहा कि खड़ी फसल में सूखा, बिजली गिरने से प्राकृतिक आपदा, तूफान ओलावृष्टि का आकलन होता है. फसल सर्वे के आधार पर कीमत और सर्वे के आधार पर बीमा क्लेम दिया जाने का आधार है. 2023-24 में विधानसभा क्षेत्र सांचौर में कुल 8705 व्यक्तिगत सूचना प्राप्त हुई. योजना प्रावधानों के अनुसार 4500 से अधिक किसानों को मुआवजा की राशि दी गई. फसल बीमा के चेक वितरित किए गए. 5400 फसल बीमा नहीं होने से अपात्र माने गए.
आखिर फसल बीमा क्यों नहीं मिला?:
विधायक जीवाराम चौधरी ने सवाल करते हुए कहा कि कंपनियों के अधिकारियों को बुलाया, आखिर फसल बीमा क्यों नहीं मिला? जिन किसानों को मुआवजा नहीं मिल कंपनी से कब मुआवजा दिलाने का विचार रखती सरकार ? उद्योग मंत्री केके बिश्नोई ने जवाब देते हुए कहा कि खरीफ के दौरान 3213 किसानों को राशि और रबी में 19519 कृषकों को बीमा की राशि दी गई. जो प्रक्रियारत है किसी कारण से उन्हें बीमा की राशि नहीं मिली है. तो फिर से संपर्क करना होगा तो बीमा कंपनी क्लेम देगी. आपका और हमारा क्षेत्र अलग नहीं है सभी की पीड़ा एक जैसी है. भाजपा की सरकार किसानों की सरकार है किसानों का हमेशा ध्यान रखती है. मैंने जवाब में सभी कुछ बता दिया है. बीमा कंपनी कैसे इंश्योरेंस करती है और किस तरीके से मुआवजा मिलता? फिर भी आपको लगता है कि 2 करोड़ रुपए का बीमा यदि शेष है तो जल्द ही उसे दिखाया जाएगा.
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि 4400 किसानों का बीमा निरस्त कर दिया. इसका मतलब सांचौर में 51% किसानों का क्लेम निरस्त कर दिया गया. क्या सरकार अपने स्तर पर 51% किसानों को मुआवजा दिलाना चाहती है या नहीं ? मंत्री बिश्नोई ने जवाब देते हुए कहा कि साफ तौर पर लिखा है कि नियम शर्तों के अनुसार तय अवधि में बीमा कंपनी को सूचित करना पड़ता है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि सरकार विशेष अभियान चलाकर किसानों को मुआवजा दिलाने की कोशिश करेगी क्या ? उद्योग मंत्री केके बिश्नोई ने आश्वस्त किया. परीक्षण करवा कर इस मामले को दिखाया जाएगा ताकि सभी किसानों को लाभ मिल सके.
किसानों को मुआवजा नहीं मिला उसमें दोषी कौन-कौन ?:
लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र के किसानों के बीमा क्लेम से जुड़े मामले पर विधायक कमला देवी ने सवाल करते हुए आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जिस साल बीमा नहीं करवाया गया और किसानों को मुआवजा नहीं मिला उसमें दोषी कौन-कौन ? सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक ने जवाब देते हुए कहा कि वर्ष 2023-24 में कंपनी का चयन नहीं हो पाया था. इसके चलते राजस्थान के सारे किसान इस योजना से वंचित रह गए. किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया गया. सरकार के स्तर पर बीमा कंपनी का निर्धारण नहीं किया गया था. व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा में किसी प्रकार के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए क्लेम निरस्त नहीं किया.
सरकार के कुशल प्रबंधन के चलते किसान द्वारा बीमा वहन करने की राशि में कमी आई है. किसानों के लिए 360 करोड़ रुपए का प्रीमियम राजस्थान को वहन करना पड़ा. किसी भी मामले में यदि कोई दोषी अधिकारी निकलता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि आपने कहा कि किसानों को बीमा क्लेम नहीं मिल पाया. उसमें क्या सरकार ऐसा नियम बनाएगी की आने वाले समय में कोई भी किसान एक भी दिन बिना बीमित नहीं रहे. जब बीमा क्लेम किया जाता है तो क्या सरकार ऐसा स्ट्रक्चर बनाएगी यदि किस का बीमा रिजेक्ट होता है तो सरकार लाभ दे.
सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक ने जवाब देते हुए कहा कि हम चाहेंगे कि किसी को बीमा क्लेम का 1 दिन में इंतजार नहीं करना पड़े. इस तरह की व्यवस्था की जाए कि जो क्लेम खारिज हो जाते हैं उसको लेकर इस साल समीक्षा हो. ताकि किसान का क्लेम खाली नहीं हो. हमने पोर्टल पर ही सारी जानकारी डाल दी. यदि लगता है कि हमारा बीमा खारिज हो गया है तो बीमा विनायक बोर्ड के पास जा सकता है. उपभोक्ता मंच के पास जा सकता है और बीमा लोकपाल में भी जा सकता है. वहां जाकर क्लेम पास करने के लिए बात कर सकता है.