नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां प्राधिकारियों को उच्चतम न्यायालय के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए पुलिस थानों में सीसीटीवी लगाने की प्रक्रिया पूरी करने का बुधवार को आदेश दिया. अदालत ने शहर के सभी पुलिस थानों में चालू सीसीटीवी कैमरे लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. दिल्ली पुलिस ने स्थिति रिपोर्ट में बताया कि पिछले साल जीईएम पोर्टल के जरिए सीसीटीवी कैमरों के लिए ताजा बोलियां आमंत्रित की गई थीं और निविदा आकलन के स्तर पर है और ‘‘वह निविदा प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने पर काम कर रही है.’’
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम पाटिल ने कहा कि उपरोक्त स्थिति रिपोर्ट के मद्देनजर बोलियों का आकलन हो लेने दीजिए और सफल बोली लगाने वाले को ऑर्डर दिया जाए ताकि उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन सुनिश्चित हो सके. पुलिस ने जनवरी में अदालत को बताया था कि राष्ट्रीय राजधानी के 197 पुलिस थानों में फिलहाल 1,941 सीसीटीवी कैमरे काम कर रहे हैं और ऑडियो-रिकॉर्डिंग की सुविधा के साथ 2,175 अतिरिक्त कैमरे लगाने के लिए नयी ई-बोली आमंत्रित की गई है. शीर्ष अदालत के समक्ष मामला लंबित होने के मद्देनजर उच्च न्यायालय ने मौजूदा मामले में सुनवाई बंद कर दी और कहा कि इस याचिका के संदर्भ में और कोई आदेश देने की आवश्यकता नहीं है और याचिकाकर्ता कानून के तहत उपलब्ध उपाय करने के लिए स्वतंत्र होगा. इससे पहले, पुलिस ने अदालत में दाखिल एक स्थिति रिपोर्ट में कहा था कि 18 महीने के फुटेज को सुरक्षित रखने की क्षमता वाले सीसीटीवी कैमरे लगाने के उच्चतम न्यायालय के दिसंबर 2020 के निर्देश के बाद पुलिस आयुक्त ने इस मामले के जल्द निस्तारण के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति बनाई थी.
उच्चतम न्यायालय ने 21 फरवरी को केंद्र और राज्य सरकारों को पुलिस थानों और जांच एजेंसियों के कार्यालयों में अनिवार्य रूप से सीसीटीवी कैमरे लगाने के उसके निर्देशों का एक महीने के भीतर पालन करने का निर्देश दिया है. उसने केंद्र एवं राज्यों की सरकारों को 29 मार्च तक अपने आदेश पर अमल संबंधी हलफनामा दायर करने को कहा था और आगाह किया था कि उसे आदेश का पालन न करने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. याचिकाकर्ता चंद्रिल डबास ने उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में चालू सीसीटीवी लगाए जाने के अलावा यह सुनिश्चित करने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया था कि इन कैमरों में फुटेज को कम से कम एक वर्ष या 18 महीने की अवधि के लिए सुरक्षित रखा जा सके. सोर्स- भाषा