मेरे पास सिर्फ विश्व कप पदक नहीं, इस बार जीतने की उम्मीद- P R Sreejesh

भुवनेश्वर: भारतीय पुरूष हॉकी टीम के स्टार गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने अपने 17 साल लंबे चमकदार करियर में लगभग हर उपलब्धि हासिल कर ली है, बस इसमें विश्व कप पदक की कमी है और वह इस बार यहां घरेलू सरजमीं पर चल रहे इस टूर्नामेंट में अपने इस सपने को पूरा करना चाहते हैं.

श्रीजेश ने 2021 में तोक्यो ओलंपिक में भारत के ऐतिहासिक कांस्य पदक जीत में बड़ी भूमिका अदा की थी. टीम भुवनेश्वर और राउरकेला में चल रहे विश्व कप में 48 साल बाद पोडियम स्थान हासिल करने की उम्मीद लगाये है. भारत ने अपना एकमात्र विश्व कप पदक (स्वर्ण पदक) कुआलांलपुर में 1975 चरण में के रूप में जीता था.

सभी प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में पदक जीत चुके हैं:
श्रीजेश ने पीटीआई से कहा कि यह (विश्व कप पदक) ही एकमात्र पदक है जो मेरी कैबिनेट में नहीं है. भारतीय टीम पोडियम स्थान हासिल करने के लिये कड़ी मेहनत कर रही है और यह पदक जीतना मेरा सपना है. उन्होंने कहा कि अगर हम ऐसा करते हैं तो मैं भी कह सकता हूं कि मेरे पास ओलंपिक और विश्व कप के पदक हैं.  श्रीजेश 2006 में पदार्पण के बाद से 226 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं और वह सभी प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में पदक जीत चुके हैं.

लाकड़ा और रूपिंदर पाल सिंह तब से संन्यास ले चुके हैं:
वह 2014 और 2018 में एशियाई खेलें में स्वर्ण और कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे. राष्ट्रमंडल खेलों (2014 और 2022) में रजत पदक जीतने वाली टीम में भी वह शामिल थे. 2016 और 2018 में चैम्पियंस ट्राफी में रजत पदक जीतने के अलावा वह 2011, 2016 और 2018 में एशियाई चैम्पियंस ट्राफी में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं. वह तीन बार के ओलंपियन हैं और अब यहां अपना चौथा विश्व कप खेल रहे हैं. तोक्यो ओलंपिक पदक जीतने वाली टीम के कुछ सदस्य जैसे बीरेंद्र लाकड़ा और रूपिंदर पाल सिंह तब से संन्यास ले चुके हैं.

अगले चार साल की योजना बनाने लगते हैं:
उनके बारे में बात करते हुए श्रीजेश ने कहा कि हर ओलंपिक चक्र में कोच काफी खिलाड़ियों को बदलने की कोशिश करते हैं क्योंकि वे (कोच) अगले चार साल की योजना बनाने लगते हैं. यह हमारे लिये ज्यादा महत्वपूर्ण होता है इसलिये हमारी टीम में भी काफी बदलाव हुए हैं. उन्होंने कहा कि काफी सारे युवा खिलाड़ियों ने सीनियर खिलाड़ियों की जगह ली है. ताकि उन्हें काफी अनुभव मिले और वे देश के लिये ओलंपिक चक्र के अंत में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिये तैयार रहें. सोर्स-भाषा