जयपुर: मोटापे से जूझ रहे लोगों को अब दर्दभरी जटिल सर्जरी से निजात मिलने लगी है. नई तकनीकों से कोई चीरफाड़ नहीं करनी होती और वजन कम हो जाता है. मरीज प्रक्रिया के एक दिन बाद ही अस्पताल से डिस्चार्ज होकर अपना सामान्य जीवन जी सकता है. इंडियन सोसायटी ऑफ गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी की ओर से इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आईएसजीकॉन- 2023 में देश विदेश से आए एक्सपर्ट्स ने विभिन्न सत्रों में ऐसी ही नई तकनीकों बारे में विस्तार से मंथन किया.
कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और सीनियर गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. रमेश रूप राय ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में तीन हजार से अधिक एक्सपर्ट्स भाग ले रहे. गुरुवार को उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में अमिताभ बच्चन स्वास्थ सबंधित कारणों से शामिल नहीं हो सके. उद्घाटन सत्र में पद्मभूषण डॉ. शिव सरीन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. कॉन्फ्रेंस के लिए चेन्नई से आये डॉ. बीएस रामाकृष्णन ने बताया कि मोटापे के साथ मरीजों को डायबिटीज, बीपी, जोड़ों में दर्द और खर्राटे की भी शिकायत होती है. जिनका बीएमआई 30 से ज्यादा होता है, उनके लिए मोटापा कम करना बेहद जरूरी होता है. अभी तक लाइफ स्टाइल में सुधार कर या बैरियाट्रिक सर्जरी द्वारा पेट को कम किया जाता था.
इससे मरीज अपना 18 से 20 प्रतिशत वजन कम कर सकता:
इस सर्जरी के बाद मरीज को उम्रभर विटामिन के इंजेक्शन लेने की जरूरत पड़ती थी. लेकिन नई एंडोस्कोपी स्लीव गेस्ट्रोप्लास्टी (ईएसजी) द्वारा इसी तरह का काम बिना किसी चीर-फाड़ के किया जाता है. इसके लिए मरीज के पेट में दूरबीन द्वारा टांके लगाकर पेट का आकार छोटा कर दिया जाता है. इससे मरीज अपना 18 से 20 प्रतिशत वजन कम कर सकता है. आयोजन सचिव डॉ. संदीप निझावन पहले दिन हेपेटाइटिस बी, लिवर सिरोसिस, लिवर फेलियर जैसी कई बीमारियों के इलाज की नवीनतम तकनीकों के बारे जानकारी साझा की. ट्रेजरार डॉ. मुकेश कल्ला और जॉइंट सेक्रेटरी डॉ. अनुराग गोविल ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में पहले दिन प्रोग्रेस इन गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी एंड हेपिटोलॉजी किताब का विमोचन किया गया. इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए.