जयपुर: विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगते ही राजधानी में अवैध निर्माणों की बाढ़ सी आ गई है. शहर की प्रमुख सड़क हो या कॉलोनियों की अंदरूनी सड़कें जीरो सेटबैक पर व्यावसायिक निर्माणों की भरमार है.
विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के साथ ही राजधानी में विभिन्न स्थानों पर अवैध इमारतें परवान चढ़ने लग गई हैं. जीरो सेटबैक पर ही एक के बाद एक मंजिलें खड़ी की जा रही हैं. इनमें जेडीए और नगर निगम की बिना स्वीकृति के बन रहीं अवैध व्यावसायिक इमारतों की भरमार है. आपको बताते हैं कि गुलाबी नगरी में हाल ए अवैध निर्माण क्या है-
- शहर में टोंक रोड, अजमेर रोड, आगरा रोड, परकोटे के बाजार आदि प्रमुख स्थानों पर अवैध इमारतें खड़ी की जा रही हैं.
- इनके अलावा प्रताप नगर हाउसिंग बोर्ड, पृथ्वीराज नगर योजना क्षेत्र, न्यू सांगानेर रोड, गोपालपुरा बायपास,
- जगतपुरा, सिरसी रोड ,वैशाली नगर क्षेत्र, शास्त्री नगर, मुरलीपुरा, विद्याधर नगर आदि स्थानों का भी कमोबेश यही हाल है
-टोंक रोड और जेएलएन मार्ग को जोड़ने वाली प्रमुख सड़क एसएल मार्ग पर तो बड़ी इमारतों का निर्माण परवान पर है.
- व्यावसायिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो चली इस सड़क पर तहखाने बनाकर अवैध व्यावसायिक इमारतों का निर्माण जारी है.
- जेडीए से गैर अनुमोदित लाल बहादुर नगर के भूखंडों पर इमारतें खड़ी की जा रही हैं.
- जेडीए की चित्रकूट योजना में प्रमुख मार्गों पर कहीं पहले बनी दुकानों पर ऊपरी मंजिलें चढ़ाई जा रही हैं तो
- कहीं नए सिरे से अवैध व्यावसायिक इमारतों का निर्माण जारी है
- इनमें चित्रकूट योजना के सेक्टर 10, सी ब्लॉक व डी ब्लॉक आदि स्थान शामिल हैं
- राजेन्द्र नगर सिरसी रोड पर लोहे का ढांचा खड़ा कर व्यावसायिक निर्माण की तैयारी है
अवैध व्यावसायिक इमारतों का निर्माण कई तरह से शहर के नगर नियोजन के लिए घातक साबित होता है. विधानसभा चुनाव के दौर में कुकुरमुत्ते की तरह जीरो सेटबैक बन रही ये इमारतें आने वाले दिनों में कई समस्याओं का कारण बनेंगी. आपको बताते हैं कि किस प्रकार ये इमारतें शहर की सुंदरता में ग्रहण लगाने का काम करती है.
- किस सड़क पर कितनी ऊंचाई तक कैसा निर्माण किया जा सकता है
- इसको लेकर शहर में लागू भवन विनियमों में प्रावधान किए गए हैं
- इन प्रावधानों की अनदेखी कर राजधानी में अवैध इमारतें खड़ी की जा रही हैं
- इन अवैध व्यावसायिक इमारतों के कारण सबसे अधिक समस्या पार्किंग की रहती है
- पार्किंग का पूरा स्थान नहीं होने के कारण वाहन सड़क पर ही खड़े किए जाते हैं
- सड़कों पर पार्किंग से सड़कों की चौड़ाई काफी कम रह जाती है
- ऐसे में सड़क पर गुजरने वाले वाहनों के लिए पर्याप्त स्थान नहीं रहता है
- वहीं दूसरी तरफ व्यावसायिक गतिविधियां होने से सड़क पर वाहनों की आवाजाही भी बढ़ जाती है
- इससे सड़क पर यातायात का दबाव बढ़ जाता है और
- पहले से कहीं अधिक वाहन से पहले से सकड़ी हुए सड़क से गुजरते हैं
- नतीजन वाहन चालकों को अक्सर सड़कों पर लंबे जाम का सामना करना पड़ता है
- इससे ना केवल इलाके में वायु प्रदूषण में बढ़ाेतरी होती बल्कि ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता है
शहरों में अवैध इमारतें बनने का सिलसिला बरसों से बदस्तूर जारी है. जेडीए और नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों की नाक के नाक के नीचे ये इमारतें परवान चढ़ती है. इसके बावजूद इन अधिकारियों का बाल भी बांका नहीं होता है. अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है कि जिम्मेदार अधिकारी को कटघरे में खड़ा कर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. ताकि ऐसे मामले भविष्य के लिए सबक बनें.