जयपुर: प्रशासन शहरों के संग अभियान में कॉलोनियों के नियमन में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए एक बार राज्य सरकार की ओर से निकायों को आदेश और स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनकी भूमि का पट्टा मिल सके. क्या है पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें फर्स्ट इंडिया न्यूज की ये खास रिपोर्ट---
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर 2021 को प्रशासन शहरों के संग अभियान का आगाज किया गया था. पिछले पौने दो साल से अधिक समय से चल रहे इस अभियान का अभी चौथा चरण चल रहा है. इस अभियान में अब तक निकायों ने करीब 8 लाख 65 हजार पट्टे जारी कर दिए है. अभियान का लक्ष्य दस लाख से अधिक पट्टे जारी करने का है. पट्टे जारी करने और निकाय से जुड़े अन्य कार्यों से इस अभियान में निकायों को करीब ढाई हजार करोड़ रुपए की आय हुई है. अभियान में अधिक से अधिक पट्टे किस तरह दिए जाएं,
इसको लेकर मंत्री शांति धारीवाल के नेतृत्व में नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारी लगातार मंथन कर रहे हैं. निकाय अधिकारियों से फीडबैक लेने के लिए विभिन्न संभागवार कार्यशाला का भी आयोजन किया गया. साथ ही अभियान को लेकर यूडीएच सलाहकार जीएस संधु की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का भी गठन किया गया है. इस कमेटी में भी नियमन में आ रही बाधाओं पर चर्चा कर समाधान निकाला जाता है. कमेटी की बैठक और निकायों से मिले फीडबैक के आधार पर एक बार फिर नगरीय विकास विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग की ओर से स्पष्टीकरण व आदेश निकायों को जारी किए गए हैं.
आपको सबसे पहले बताते हैं कि इससे अब पट्टा लेना कितना आसान किया गया है...
- राज्य सरकार की ओर से जारी आदेश के मुताबिक अब पट्टा मिल सकेगा
- सरकारी भूमि पर बसी कॉलोनियों के भूखंडों का पट्टा मिल सकेगा
- 1 जुलाई 2022 से पहले निकाय ने कॉलोनी का प्लान स्वीकृत कर दिया है
- तो ऐसी कॉलोनी में 300 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों का भी निकाय पट्टा दे सकेंगे
- अकृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों के पट्टे पुरानी आबादी मानते हुए दिए जाएंगे
- इसके लिए पहले निकाय भूमि के खातेदारी अधिकार निरस्त करेंगे
- इसके बाद फ्री होल्ड पट्टे जारी किए जा सकेंगे
- लेकिन अगर कॉलोनी कृषि भूमि पर बसी हुई है और खातेदार के नाम से दर्ज है तो
- ऐसी भूमि का भू राजस्व अधिनियम के तहत भू रूपांतरण कर नियमन किया जाएगा
- किसी सरकारी भूमि पर बसी कॉलोनी के 80% से अधिक भूखंडों पर निर्माण हो चुका है
- तो सड़क की न्यूनतम चौड़ाई 30 फीट के बजाए 20 फीट ही मानी जाएगी
- कॉलोनी के नियमन के लिए ले आउट प्लान की स्वीकृत करने की जरूरत नहीं होगी
- सर्वे के अनुसार बसावट के आधार पर पट्टे जारी किए जा सकेंगे
- गौचर,कब्रिस्तान,श्मशान और रास्ते की भूमि पर अगर कॉलोनी बसे चुकी है तो
-निकाय की ओर से ऐसी कॉलोनियों का नियमन किया जाएगा
-अगर यह भूमि रिक्त है और मौके पर दर्ज किस्म के अनुसार उपयोग नहीं हो रहा है
- तो निकाय इस भूमि पर खुद की योजना सृजित कर सकेगा
- योजना सृजित कर भूखंडों का आवंटन कर सकेगा
राज्य सरकार की ओर से निकायों को जारी आदेश और स्पष्टीकरण में कच्ची बस्तियों में पट्टे देने की स्थिति भी स्पष्ट की गई है. पहले कच्ची बस्तियों में अधिकतम 110 वर्गगज तक का ही पट्टा दिया जा सकता था. लेकिन इस बार प्रशासन शहरों के संग अभियान में 110 वर्गगज के अलावा 90 वर्गगज तक अतिरिक्त भूमि का पट्टा दिया जा सकता है. इसी अतिरिक्त भूमि के नियमन को लेकर राज्य सरकार ने निकायों को स्पष्टीकरण जारी किया है.
- जिन कच्ची बस्तियों को निकायों ने डिनोटिफाई कर दिया है
- और ऐसी बस्ती में 110 वर्गगज तक के भूखंड का पट्टा पहले जारी किया गया है
- तो कब्जे के अनुसार अधिकतम 300 वर्गमीटर तक की भूमि का पट्टा दिया जा सकेगा
- इसके लिए आवेदक को 110 वर्गगज के अलावा शेष भूमि के राशि देनी होगी
- सरकारी भूमि के नियमन की दर के अनुसार राशि देनी होगी
- और इस आवंटन दर के अनुसार एकमुश्त 10 वर्ष की लीज जमा करानी होगी
- इसके बाद निकाय की ओर से फ्री होल्ड का पट्टा जारी किया जाएगा
- कच्ची बस्ती में अतिरिक्त 90 वर्गगज तक की भूमि के लिए आवेदन करता है
-पहले 110 वर्गगज के भूखंड का पट्टा लेने वाला आवेदक निकाय में आवेदन करता है
- तो पूर्व में जारी भूखंड का पट्टा निकाय में आवेदक को समर्पित करना होगा
- अतिरिक्त भूमि के लिए सरकारी भूमि के नियमन की दर के अनुसार राशि देना होगी
- इसके बाद निकाय पूरे 200 वर्ग गज के भूखंड का नया पट्टा जारी कर सकेगा