जयपुर: आंदोलन का झंझट छोड़ डॉक्टरों का कमाई पर जोर हैं ! बात घर पर मरीज देखने के लिए तय परामर्श शुल्क से जुड़ी हुई है. SMS के अधिकांश बड़े डॉक्टरों ने सरकारी आदेश को ठेंगा दिखाया है. डॉक्टर सरकार की तरफ से तय शुल्क से दोगुना तक अधिक शुल्क वसूल रहे हैं. किसी चिकित्सक ने 500 रुपए तो किसी ने 800 रुपए परामर्श फीस कर दी.
एसोसिएट प्रोफेसर रैंक के चिकित्सक भी मरीजों से 400 रुपए तक फीस ले रहे हैं. जबकि सरकार ने सहायक प्रोफेसर की 100 रुपए, एसोसिएट प्रोफेसर की 125 रपुए प्रोफेसर की 150 रुपए व सीनियर प्रोफेसर की 200 रुपए परामर्श फीस तय कर रखी है. हालांकि, चिकित्सा विभाग ने करीब 12 साल पहले ये परामर्श फीस तय की थी. इसके बाद अभी तक इस फीस में आवश्यक बढ़ोतरी की किसी भी स्तर पर समीक्षा नहीं की.
चिकित्सकों के मनमाने परामर्श शुल्क पर लगाम की कोई कवायद नहीं:
पिछले दिनों मेडिकल टीचर्स ने परामर्श शुल्क में बढ़ोतरी के लिए आंदोलन किया था. लेकिन कुछ दिन बाद ठण्डे बस्ते में गया आंदोलन और परामर्श शुल्क दोगुना हो गया. आश्चर्य ये कि चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों को सबकुछ पता है फिर भी चिकित्सकों के मनमाने परामर्श शुल्क पर लगाम की कोई कवायद नहीं की. क्या प्रमुख चिकित्सा शिक्षा सचिव टी. रविकांत इस मामले पर कोई ध्यान देंगे? क्या चिकित्सकों के तय परामर्श शुल्क की समीक्षा व मनमानी वसूली पर लगाम लगेगी?