Sita Navami 2025: रवि योग में आज मनाई जा रही जानकी नवमी, ऐसे करेंगे पूजा तो खुशहाल रहेगा जीवन, जानिए क्या है महत्व

Sita Navami 2025: रवि योग में आज मनाई जा रही जानकी नवमी, ऐसे करेंगे पूजा तो खुशहाल रहेगा जीवन, जानिए क्या है महत्व

जयपुर: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सीता इसी दिन धरती से प्रकट हुई थीं. इसीलिए इस दिन को सीता जयंती या सीता नवमी के रूप में मनाते हैं. इसको जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैशाख शुक्ल नवमी तिथि को सीता जी प्रकट हुईं, इसलिए इसे जानकी जयंती या सीता नवमी के नाम से जाना जाता है. इस बार 5 मई 2025 वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. यह दिन स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त है. रवि योग 5 मई को दोपहर 2:01 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 5:36 बजे तक रहेगा. सीता नवमी पर विशेष रूप से माता सीता की उपासना करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है. साथ ही जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. मान्यता है इस दिन मां सीता की विधि विधान से पूजा करने पर आर्थिक तंगी दूर होती है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि हर साल सीता नवमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. यह त्यौहार रामनवमी के लगभग एक महीने बाद मनाया जाता है. इस दुर्लभ अवसर पर देवी मां सीता के साथ भगवान राम की भी पूजा करना श्रेष्ठ है. जिस प्रकार रामनवमी को अत्यंत शुभ फलदायी त्योहार के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार सीता नवमी को भी अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है. भगवान श्री राम को विष्णु का रूप और माता सीता को लक्ष्मी का रूप कहा गया है. इस शुभ दिन पर अगर हम भगवान श्री राम के साथ माता सीता की भी पूजा करें तो भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष नवमी तिथि पर मां सीता का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को सीता नवमी के रूप में मनाया जाता हैमान्यता के अनुसार मां सीता का जन्म मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र में हुआ था और रामनवमी पर्व के ठीक एक महीने बाद सीता नवमी पर मनाई जाती है. इस बार सीता नवमी 5 मई को है. इस अवसर पर मां सीता की विशेष पूजा की जाती है. साथ ही सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है.

2 शुभ योग में है सीता नवमी
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार रवि योग 5 मई को दोपहर 2:01 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 5:36 बजे तक रहेगा.

सीता नवमी की तिथि 
नवमी तिथि का प्रारंभ:  05 मई,   प्रातः 07:35 बजे  पर
नवमी तिथि का समापन: 06 मई, प्रातः 08:38 बजे पर  
ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए सीता नवमी 05 मई को मनाई जाएगी. 

सीता नवमी का शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 मई, सोमवार को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि सुबह 7:35 मिनट से शुरू हो रही है. ऐसे में इसी समय से माता सीता की पूजा की जा सकती है. लेकिन नवमी तिथि को मध्याह्न के समय देवी सीता का जन्म हुआ था. ऐसे में इस दिन अभिजीत मुहूर्त के समय पूजा करना अत्यंत शुभ रहेगा. यह मुहूर्त सुबह 11:51 मिनट से दोपहर के 12:45 मिनट तक रहेगा. इस दिन अमृत काल दोपहर में 12:20 मिनट से 12:45 मिनट तक रहेगा. इस दौरान माता सीता की पूजा करना सबसे श्रेष्ठ रहेगा और फलदायी साबित होगा.

सीता नवमी का महत्व
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सीता नवमी का दिन राम नवमी की तरह ही शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो राम-सीता का विधि विधान से पूजन करता है, उसे 16 महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है. वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए सीता नवमी का श्रेष्ठ माना गया है. सीता नवमी के दिन माता सीता को श्रृंगार की सभी सामग्री अर्पित की जाती हैं. साथ ही इस दिन सुहागिनें व्रत रखकर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं. 

माता सीता के जन्म की कथा
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि वाल्मिकी रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा था जिस वजह से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे.  इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और  खुद धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया. राजा जनक ने अपनी प्रजा के लिए यज्ञ करवाया और फिर धरती पर हल चलाने लगे. तभी उनका हल धरती के अंदर किसी वस्तु से टकराया. मिट्टी हटाने पर उन्हें वहां सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी एक सुंदर कन्या मिली. जैसे ही राजा जनक सीता जी को अपने हाथ से उठाया, वैसे ही तेज बारिश शुरू हो गई. राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रखा और उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया. 

 

सीता नवमी पूजा विधि 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सीता नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें. अब चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर मां सीता और भगवान श्रीराम की प्रतिमा विराजमान करें. मां सीता को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें. फूल, अक्षत, चंदन, सिंदूर, धूप, दीप आदि भी चढाएं. देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए. इसके पश्चात मां सीता को फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं. अंत में जीवन में सुख और शांति के लिए प्रार्थना करें.