Japan समुद्र में छोड़ेगा 132 करोड़ लीटर रेडियोएक्टिव पानी, यूएन एजेंसी से मिली मंजूरी का कर रहे कई देश विरोध

नई दिल्ली: जापान जल्द ही अपने बंद पड़े परमाणु संयंत्र से उपचारित रेडियोधर्मी पानी प्रशांत महासागर में छोड़ेगा. इसके लिए जापान को संयुक्त राष्ट्र के न्यूक्लियर वॉचडॉग से मंजूरी भी मिल गई है. 

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी मंगलवार को जापान पहुंचे. यहां उन्होंने प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से मुलाकात की और सुरक्षा समीक्षा की. आईएईए ने कहा कि जापान की रेडियोधर्मी पानी छोड़ने की योजना सुरक्षा मानकों के हिसाब से सही है. हालांकि, जापान, चीन, साउथ कोरिया समेत कई देशों में तटीय इलाके में रहने वाले लोग इसका विरोध कर रहे हैं.

2011 की सुनामी के बाद फुकुशिमा परमाणु संयंत्र की शीतलन प्रणाली हुई ठप:  

2011 में आई सुनामी के बाद परमाणु संयंत्र से विकिरण का रिसाव हो रहा था. इसके बाद पूरे इलाके से 1 लाख 50 हजार लोगों को निकाला गया. जापान के मछली पकड़ने के उद्योग और नागरिक समाज समूहों ने भी प्रशांत महासागर में 1320 मिलियन लीटर पानी छोड़े जाने को लेकर चिंता जताई है. दरअसल, मार्च 2011 में आई सुनामी के कारण फुकुशिमा के परमाणु संयंत्र की कूलिंग और बिजली व्यवस्था ठप हो गई थी. गर्मी के कारण वहां मौजूद तीन रिएक्टरों के कोर पिघल गए थे, जिससे भारी मात्रा में रेडिएशन फैल गया था.

पानी छोड़ने के लिए 1 सप्ताह में परमिट प्राप्त किया जा सकता:

परमाणु संयंत्र से पानी छोड़ने की योजना की घोषणा 2021 में की गई थी. तब कहा गया था कि यह काम अगले 2 साल में शुरू हो जाएगा. जापान की नियामक संस्था ने 30 जून को ही अपना निरीक्षण पूरा कर लिया था. संयुक्त राष्ट्र की जांच के बाद प्लांट की देखभाल करने वाली कंपनी टीईपीसीओ को एक हफ्ते के अंदर पानी छोड़ने का परमिट मिल सकता है. इसके बाद वे कभी भी पानी छोड़ना शुरू कर सकते हैं. हालांकि, इसके लिए किसी तारीख की घोषणा नहीं की गई है. पानी को समुद्र में छोड़ने में कई दशक लगेंगे. इसे 1 किलोमीटर के पाइप के जरिए छोड़ा जाएगा.