जयपुरः राजधानी के टोंक रोड स्थित बहुमंजिला इमारत मंगलम रेडियंस कॉमन छत पर किए निर्माण को सील मुक्त करने के प्रार्थना पत्र को जेडीए ने खारिज कर दिया है. इमारत के फ्लैट धारियों के हितों को प्राथमिकता देते हुए जेडीए ने यह प्रार्थना पत्र खारिज किया है.
टोंक रोड पर एयरपोर्ट प्लाजा स्थित भूखंड संख्या एक पर निर्मित बहुमंजिला इमारत मंगलम रेडियंस में कॉमन छत पर अवैध निर्माण किया गया है. इस निर्माण पर जेडीए की ओर से लगाई सील को खोलने के आवेदन को जेडीए ने खारिज कर दिया. सील खोलने के लिए बिल्डकॉन कन्सेटेंट लिमिटेड की ओर से किए प्रार्थना पत्र और अंडर टेकिंग को जेडीए ने जेडीए ने निराधार और वास्तविकता से परे माना है. जेडीए का मानना है कि अगर यह प्रार्थना पत्र स्वीकार किया गया तो ओपन टैरिस क्षेत्र के निजीकरण के कारण अन्य फ्लैटधारियों को कॉमन छत के उपयोग से वंचित होना पड़ेगा. आपको सबसे पहले बताते हैं कि इस बहुमंजिला इमारत में कहां पर कैसा अवैध निर्माण किया गया है और जेडीए ने क्या कार्रवाई की.
-इस बहुमंजिला इमारत मंगलम रेडियंस के 12 वें फ्लोर पर जेडीए के अनुमोदित मानचित्र के विपरीत निर्माण किया गया
-12 वें फ्लोर पर कॉमन छत में ए ब्लॉक में ईटों से कमरा व बाथरूम को अवैध निर्माण किया गया
-फ्लैट नंबर 1201 के पूर्व तरफ स्थित कॉमन छत पर 59 बाई 23 फीट में यह निर्माण किया गया
-फ्लैट से पूर्वी दिशा में खिड़की को हटाकर अवैध गेट निकाल लिया गया
-इस पर जेडीए की ओर से 20 दिसंबर 2023 को जेडीए ने एनके गुप्ता निदेशक मंगलम बिल्ड डवलपर्स, हेमंत चौहान और
-दिलीप सिंह शेखावत को जेडीए एक्ट की धारा 32 के तहत नोटिस दिया गया
-3 अगस्त 2024 को जेडीए ने इस अवैध निर्माण को सील कर दिया
-इसके खिलाफ निर्माणकर्ता की अपील पर जेडीए ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी किए
-जेडीए ट्रिब्यूनल ने 7 नवंबर 2024 को निर्माणकर्ता के प्रार्थना पत्र पर छह महीने में कार्यवाही पूर्ण करने के जेडीए को आदेश दिए
-इस पर निर्माणकर्ता की ओर से प्रार्थना पत्र और अंडरटेंकिंग जेडीए में प्रस्तुत की गई
नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग की ओर से 14 जुलाई 2022 को जारी आदेश के तहत सील किए गए निर्माण को खोलने के प्रावधान है. निर्माणकर्ता की ओर से पेश प्रार्थना पत्र और शपथ पत्र का इसी आदेश के तहत जेडीए की जोन उपायुक्त अपूर्वा परवाल ने परीक्षण किया. प्रकरण में जारी नोटिस,सीलफर्द व फोटोग्राफ को देखा गया. इस सारे परीक्षण के बाद जोन उपायुक्त ने सील खोलने के प्रार्थना पत्र को अस्वीकार कर दिया. आपको बताते हैं कि जोन उपायुक्त की ओर से किन तथ्यों के आधार पर निर्माणकर्ता के प्रार्थना पत्र को अस्वीकार किया गया.
-मामले में प्रार्थना पत्र अस्वीकार करने के जारी आदेश में जोन उपायुक्त की ओर से महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं
-इस आदेश में जोन उपायुक्त ने कहा है कि "निर्माणकर्ता की ओर से पेश दस्तावेजों में आवेदक ने अवैध निर्माण स्वीकार नहीं किया"
-"जबकि किया गया निर्माण जेडीए की ओर से अनुमोदित भवन मानचित्र के विपरीत व अवैध निर्माण की श्रेणी में आता है"
-"निर्माणकर्ता की ओर से इसके विपरीत कहा गया कि पेड़-पौधे लगाने के लिए अस्थायी निर्माण किया गया था"
-"आवेदक का यह कथन उसके द्वारा किए गए वास्तविक उल्लंघन को अस्वीकार करने की प्रवृति को दर्शाता है"
-"जेडीए एक्ट का नोटिस जारी हुए 7 महीने से अधिक समय बीत गया"
-"इसके बावजूद आवेदक की ओर से अवैध निर्माण को स्वयं के स्तर पर नहीं हटाया गया"
-"आवेदक की ओर से किए गए अवैध कृत्य को स्वीकार नहीं किया गया है"
-"आवेदक की ओर से प्रस्तुत अंडरटेकिंग व प्रार्थना पत्र यह संकेत नहीं देता कि किए गए अवैध निर्माण को आवेदक हटाएगा"
-"इस तरह के निराधार व वास्तविकता से परे दस्तावेज को स्वीकार करना प्राधिकरण के वैधानिक दायित्वों से विमुख होना होगा"
-"साथ ही कॉमन छत का निजीकरण होने के कारण अन्य फ्लैटधारियों को इसके उपयोग से वंचित करना भी होगा"
-"ऐसे में निर्माण को सील मुक्त करने कोई कानून अथवा न्यायसंगत आधार स्थापित नहीं किया गया"
इस प्रकरण में जिस तरह से जेडीए के जोन 4 की उपायुक्त ने पूरे मामले का गहन परीक्षण किया और सील खोलने के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया, जानकार मानते हैं कि ऐसी ही सतर्कता,सटीकता और गंभीरता सील खोलने के अन्य प्रकरणों में भी दिखाई जानी चाहिए. यही नहीं सील खोलने के बाद प्रकरण की पूरी मॉनिटरिंग कर सुनिश्चित किया जाए कि सील खोलने की शर्त के अनुरूप आवेदक ने निर्माण हटाया नहीं. अगर ऐसा किया गया तो सील खोलने की निर्धारित प्रक्रिया का उद्देश्य सार्थक हो सकेगा और अवैध निर्माणों पर अंकुश लगेगा.