JNU और CUTM भारत में कौशल को बढ़ावा का प्रयास करेंगे, दोनों विश्वविद्यालयों के बीच में समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और सेंचुरियन विश्वविद्यालय भारत में कौशल को बढ़ावा का प्रयास करेंगे-दोनो विश्वविद्यालयों के बीच में समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर भारत में कौशल के मामले वैश्विक दशा को ध्यान में रखते हुए (जेएनयू) जो भारत के प्रमुख संस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय है और सेंचुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (सीयूटीएम) जो भारत का पहला प्रमुख कौशल विश्वविद्यालय हैं. इन दोनों संस्थानों ने ओडिशा और आंध्र प्रदेश स्थित कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमओएसडीई) के उत्कृष्टता (सीओई) ने उच्च शिक्षा, शिक्षाविदों, अनुसंधान विशेष रूप से कार्रवाई व अनुसंधान में आदान-प्रदान साथ सहयोग को बढ़ावा देने और कौशल एकीकरण प्रदान करने के लिए समझ और उत्कृष्टता बढ़ाने के लिए हाथ मिलाया है. 

जेएनयू और सीयूटीएम ने अनुभव, सर्वोत्तम प्रथाओं और ज्ञान को साझा करने के माध्यम से संस्थागत सहयोग के लिए आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. जिसका मुख्य उद्देश्य प्रासंगिक, उचित और बाजार संचालित कौशल प्रदान करने के लिए अकादमिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना और मजबूत करना है. यह सहयोग राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय है. इसमें एनईपी ने सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के एकीकरण और मुख्यधारा के माध्यम से व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष जोर दिया है. इसलिए यह साझेदारी देश भर के छात्रों और शिक्षार्थियों को एनईपी के मुख्य उद्देश्यों के अनुपालन के अलावा उद्योगों की आवश्यकताओं और समाज की जरूरतों के अनुसार विभिन्न कौशल प्राप्त करने में मदद करेगी.

भारत में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमओएसडीई) पहले से ही भविष्य की नौकरियों के लिए व्यक्तियों को योग्य बनाने की दिशा में इस बदलाव को आगे बढ़ा रहा है.इसमें "पूर्व शिक्षा की मान्यता" (आरपीएल) और "राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क" (एनसीआरएफ) जैसी पहल शामिल हैं. यूजीसी द्वारा एकल मेटा फ्रेमवर्क और हाल ही में घोषित राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क (एनएचईक्यूएफ) को ध्यान रखा है.
 दोनों विश्वविद्यालयों ने निम्नलिखित के लिए  निर्णय लिए है:

- एनईपी 2020 के अनुसार उच्च शिक्षा, शिक्षाविदों, अनुसंधान, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास को डिजाइन करने और वितरित करने में सहयोग करेना है.
- उच्च शिक्षा में कौशल को बढ़ाने और एकीकृत करने के लिए स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज, अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप, स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज, सेंटर फॉर सोशल मेडिसिन एंड कम्युनिटी हेल्थ और अन्य स्कूलों या केंद्रों के बीच जुड़ाव के विशिष्ट क्षेत्रों का पता लगाना है. .
- रोजगार की योग्यता और उद्यमशीलता को बढ़ाने के लिए कौशल एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करने वाले सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों का अन्वेषण करना और बारीकी से काम करना है.
- उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार और एनसीआरएफ के अनुरूप विभिन्न औद्योगिक समूहों में संयुक्त प्रमाणपत्र कार्यक्रमों की संभावनाओं का पता लगाना है.
- एक्शन लर्निंग और कौशल एकीकृत प्रमाणपत्र और अग्रिम पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए दिल्ली में जल्द से जल्द जेएनयू के करीब एक पायलट केंद्र की संभावनाओं का पता लगाना है.
- शिक्षण और सीखने की गुणवत्ता और परिणाम को बढ़ाने के लिए उद्योग भागीदारों को शामिल करना.

इस खास अवसर पर बोलते हुए- प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित, कुलपति, जेएनयू ने कहा-“मैं अपने स्टाफ, सेंचुरियन यूनिवर्सिटी और यहां के समूह दोनों को बधाई देता हूं. हमने आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. जो अपने आप में जेएनयू के नए आयामों में जाने की शुरुआतों में से एक है. सेंचुरियन विश्वविद्यालय एक बहुत अलग प्रकार का निजी विश्वविद्यालय है. जो समुदाय और समाज के लिए अधिक प्रतिबद्ध है. जेएनयू भी इसके लिए प्रतिबद्ध है. हालांकि हम  केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं. हमें उम्मीद है कि हम संयुक्त कार्यक्रम करने में सक्षम होंगे. जिसमें हम न केवल हाशिये पर पड़े लोगों की मदद करेंगे बल्कि हम सहानुभूति के साथ उत्कृष्टता, समता के साथ समानता और अखंडता के साथ समावेशन भी लाएंगे.

सीयूटीएम की कुलपति प्रो सुप्रिया पटनायक ने कहा- “जेएनयू के साथ सहयोग करना हम सभी के लिए और हमारे सेंचुरियन विश्वविद्यालय के लिए विशेषाधिकार और सम्मान की बात है. साथ मिलकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लागू करने के लिए हम पूरे भारत में कौशल आउटरीच कार्यों की एक श्रृंखला का पता लगाने और उस पर काम करने की उम्मीद करते हैं. शिक्षा के भविष्य के साथ कौशल के भविष्य को एकीकृत करेंगे. यह एसोसिएशन न केवल उच्च शिक्षा में कौशल एकीकरण के हमारे संकल्प को आगे बढ़ाएगी. साथ ही देश में सफेद और ब्लू-कॉलर श्रमिकों के बीच विशाल कौशल अंतर को कम करने में भी मदद मिलती है.

एमओयू हस्ताक्षर समारोह में प्रो. मदन (निदेशक, कौशल, सीयूटीएम), मोनालिशा घोष (एसोसिएट डायरेक्टर, पार्टनरशिप्स, सीयूटीएम) और अभिषेक चतुर्वेदी (निदेशक, एनसीआर ऑपरेशंस, ग्राम तरंग एम्प्लॉयबिलिटी ट्रेनिंग सर्विसेज-जीटीईटी) मौजूद थे. जीटीईटी सीयूटीएम की एक सामाजिक उद्यम और कौशल आउटरीच शाखा है.  जिसे राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और सीयूटीएम द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित किया गया है. जिसने पांच लाख से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया है.