सूर्य के अध्ययन के लिये आदित्य-एल1 का समयबद्ध प्रक्षेपण सुनिश्वित किया जायेगा -Government

नई दिल्ली: सरकार ने संसद की एक समिति को बताया कि वह सूर्य के अध्ययन पर केंद्रीत आदित्य-एल 1 और समुद्र विज्ञान उपग्रह ओशनसैट-3 का समयबद्ध प्रक्षेपण सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक कदम उठायेगी जिसे अब वर्ष 2022-23 के लिये पुनर्निर्धारित कर दिया गया है.

कार्रवाई रिपोर्ट में यह बात कही गई है:
संसद में हाल ही में पेश अनुदान की मांगों (2022-23) पर विभाग संबंधी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, वन एवं पर्यावरण संबंधी स्थायी समिति के तीन सौ बासठवें प्रतिवेदन में अंतर्विष्ट सिफारिशों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट में यह बात कही गई है. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021-22 के दौरान विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों एवं हासिल की गई प्रगति की छानबीन करते समय समिति ने यह पाया कि विभाग ने कृषि एवं आपदा प्रबंधन अनुप्रयोगों हेतु भू चित्रण उपग्रह (जी आई सैट) के निर्माण और प्रक्षेपण का लक्ष्य निर्धारित किया था, जो प्रक्षेपण विफल हो जाने के कारण हासिल नहीं किया जा सका.

प्रक्षेपण की परिकल्पना की गई थी:
इसी प्रकार वर्ष 2021-22 के दौरान ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) द्वारा भारत की प्रथम सौर वेधशाला अंतरिक्ष यान, आदित्य-एल1 के प्रक्षेपण की परिकल्पना की गई थी. इसे अब वर्ष 2022-23 के दौरान लक्षित कर दिया गया है.समिति आगे नोट करती है कि अंतरिक्ष विभाग ने वर्ष 2021-22 के दौरान पीएसएलवी द्वारा तृतीय पीढ़ी के समुद्र विज्ञान उपग्रह ओशनसैट-3 के प्रक्षेपण की योजना बनाई गई थी जिसे अब वर्ष 2022-23 के लिये पुनर्निर्धारित कर दिया गया है.

सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठायेगा:
रिपोर्ट के अनुसार, समिति सिफारिश करती है कि विभाग को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि इसके बारे में निर्धारित नयी समय सीमा का ध्यान रखा जाएगा और आगे कोई विलंब नहीं होगा. सरकार ने इस बारे में अपनी कार्रवाई के संबंध में बताया कि आदित्य-एल1 और ओशनसैट-3 के प्रक्षेपण के संबंध में समिति की सिफारिशों को नोट कर लिया गया है और विभाग इन उपग्रहों का समयबद्ध प्रक्षेपण सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठायेगा.

अत्यधिक आकर्षण या विकर्षण पैदा करता हैं:
गौरतलब है कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण सूर्य के अध्ययन के लिये किया जायेगा. आदित्य एल1 सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के 'लैगरेंगियन प्वाइंट1' के पास स्थित एक कक्षा से सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का प्रथम अंतरिक्ष मिशन है 'लैगरेंगियन प्वाइंट अंतरिक्ष में ऐसे स्थान होते हैं जहां सूर्य और पृथ्वी जैसी दो संरचनाओं का गुरूत्वाकर्षण बल अत्यधिक आकर्षण या विकर्षण पैदा करता हैं.

समग्र वित्तीय निष्पादन को संतोषजनक पाया:
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने विभाग की अंतरिक्ष अनुप्रयोग योजना के तहत विभाग के समग्र वित्तीय निष्पादन को संतोषजनक पाया है. फिर भी समिति की यह दृढ़ राय है कि अभी भी राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रणाली (एनएनआरएमएस) एवं आपदा प्रबंधन सहायता (डीएमएस) घटकों के संबंध में विशेष रूप से अपने निष्पादन में सुधार कर सकती है जहां विभाग क्रमश: 54.5 प्रतिशत और 61.74 प्रतिशत ही व्यय कर सका है. सोर्स-भाषा