जयपुर: राजस्थान बीजेपी के नव नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ गुजरात एमपी मॉडल के जरिए राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी को सशक्त बनाना चाहेंगे.
गुजरात में भाजपा ने 2022 में 182 विधानसभा सीटों में से 127 सीटों का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया. जब उसने 156 सीटों पर जीत दर्ज की इसके साथ कांग्रेस के माधव सिंह सोलंकी के समय के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. इतिहास में गुजरात विधानसभा में सबसे बड़ी जीत 1985 में कांग्रेस ने माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में हासिल की थी. तब कांग्रेस को 149 सीटों पर जीत मिली थी.बीजेपी भले गुजरात में 1995 से लगातार चुनाव जीत रही है लेकिन कांग्रेस का वोट शेयर 40 फ़ीसदी के आसपास रहता था. लेकिन बीजेपी ने अपने दमदार प्रदर्शन के बलबूते कांग्रेस के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया था. इस प्रदर्शन की वजह यह है कि गुजरात में भारतीय जनता पार्टी का नेटवर्क न केवल मतदान केंद्र तक बल्कि मतदाता सूची के हर पन्ने तक फैला हुआ है.पार्टी के पास एक खास पन्ने पर मतदाताओं की निगरानी करने वाले " पन्ना प्रमुख " हैं.
हर पन्ने पर ऐसे चार से पांच पन्ना प्रमुख होते हैं. CR पाटिल पाटिल के गुजरात बीजेपी अध्यक्ष के नेतृत्व में संगठन और मजबूत हुआ. ऐसा नहीं है कि राजस्थान में बीजेपी के पन्ना प्रमुख नहीं है संख्या लाखों में है. लेकिन ठोस ढंग से ये काम नहीं हो पाया नहीं तो लोकसभा चुनाव में लाभ मिलता. सतीश पूनिया , सीपी जोशी के समय में भी गुजरात मॉडल के आधार पर तत्कालीन संगठन महामंत्री चंद्र शेखर ने राज्य बीजेपी का ढाला मगर सफलता उस तरह से नहीं मिल पाई जैसे गुजरात में मिली. नव नियुक्त बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ राज्य बीजेपी को गुजरात एमपी मॉडल के आधार पर नए सिरे से बनाने की कोशिशें में जुटे हैं. अपनी नई टीम भी वैसे ही बनाना चाहते है. अभी राजस्थान बीजेपी में 200विधानसभा क्षेत्रों में 19लाख 44हजार 271 है पन्ना प्रमुख 52 हजार के लगभग है बूथ इकाइयां विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान बीजेपी के सभी प्रमुख नेताओं को पन्ना प्रमुख बनाया गया था. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ,भजन लाल शर्मा समेत सभी प्रमुख नेता थे.
--क्या है बीजेपी का गुजरात मॉडल --
- बीजेपी गुजरात ने पन्ना समिति के अभिनव प्रयोग को सभी विधानसभा सीटों पर लागू किया था
- इसके तहत मतदाता सूची के हर पृष्ठ के लिए एक समिति बनाई गई
- चार से पांच मतदाताओं को मतदान केंद्र लाने की जिम्मेदारी एक कार्यकर्ता को दी गई
- संगठन को माइक्रो मैनेजमेंट के आधार पर तैयार किया गया
- मध्य प्रदेश भाजपा के संगठन में सोशल इंजीनियरिंग का ताना-बाना बुना गया
- बूथ मंडल और पेज इकाइयों को सशक्त बनाया गया
- संघ विचारों के अनुरूप हर मतदाता तक पकड़ की गई
- दोनों राज्यों में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बड़ी सफलता का राज ये भी रहा
--- मदन राठौड़ का भावी एजेंडा ---
- मदन राठौड़ संघ में प्रचारक रहे कुछ सालों तक मध्य प्रदेश के अंदर सेवाएं दी
- बीजेपी जिला अध्यक्ष के नाते राजस्थान के पाली में काम किया
- राठौड़ का पहला काम होगा पेज प्रमुख और उनकी टीमों को कागजों में नहीं वास्तविक स्तर पर सतह पर उतरना
- विस्तारक योजना को नए सिरे से अमली जामा पहनाना
- संगठन में ऊर्जावान चेहरों को लाना बूथ और मंडल इकाइयों को नए शेप देना
- ऐसे चेहरों को संगठन में जगह देना जो जमीनी हकीकत को ऊपर तक पहुंचाएं
- संगठन में कागजी और सिफारिशी नेताओं की जगह संघर्षशील कार्यकर्ताओं को लाना
- एक शक्ति केंद्र प्रभारी भी होगा जिसका काम होगा बीजेपी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को नीचे तक पहुंचाना
- बल्कि संगठन को रिपोर्ट भी करेगा कि मतदाता का झुकाव सरकार की नीतियों को लेकर क्या है!
- समय से पहले लोकसभा चुनाव की तैयारी
- पुराने तमाम जन संघ और बीजेपी के नेताओं से संपर्क साधना
गुजरात में तीन दशकों तक भाजपा की प्रशंसनीय विजय, मुख्यतः मोदी के मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बनने के कारण, बंगाल में कम्युनिस्टों पर इसी प्रकार के नियंत्रण की याद दिलाती है, जो वरिष्ठ वामपंथी नेता ज्योति बसु के मजबूत कंधों पर सवार होकर हुआ था, जैसा कि अब भाजपा के लिए नरेंद्र मोदी हैं...मदन राठौड़ की कोशिश होगी कि पेज प्रमुखों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे चुनावों के समय मतदाताओं को मतदान केंद्र तक ले जाएं और बाद में यह सुनिश्चित किया जाए कि वे भाजपा उम्मीदवारों को ही चुनें.. दूसरी ओर बीजेपी सरकार की हर बड़ी योजना की घोषणा को उत्सव की तरह मनाया जाए और पार्टी का नेटवर्क यह सुनिश्चित करे कि संदेश अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे.