26 जनवरी से शुरू हो रहा है माघ मास, इस माह में स्नान-दान से मिलता है कई यज्ञ करने जितना पुण्य

जयपुरः  हिन्दी पंचांग का 11वां महीना माघ 26 जनवरी से शुरु हो रहा है और 24 फरवरी तक रहेगा. ये महीना धर्म-कर्म के नजरिए से बहुत खास है. इस महीने में किए गए पूजन, तीर्थ दर्शन और नदी स्नान से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं. इस महीने में तिल-गुड़ का सेवन खासतौर पर करना चाहिए. माघ मास में प्रयाग राज में स्नान करने का महत्व काफी अधिक है. जो लोग इस माह में प्रयाग में स्नान करते हैं, उन्हें अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है. इस शुभ काम से भगवान विष्णु की भी विशेष कृपा मिलती है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि माघ मास में नदी स्नान करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने और नदी में नहाने का महत्व बताया गया है. इस पवित्र महीने के दौरान नदियों में नहाने से ही पुण्य मिल जाता है. क्योंकि पुराणों में कहा गया है कि माघ महीने के दौरान गंगाजल में भगवान विष्णु का कुछ अंश रहता है. वैसे तो पूरे साल में किसी भी दिन गंगा स्नान करना शुभ ही होता है, लेकिन माघ महीने में इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. इस पवित्र महीने में गंगा का नाम लेकर नहाने से गंगा स्नान का फल मिलता है. इस महीने में प्रयाग, काशी, नैमिषारण्य, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार या अन्य पवित्र तीर्थों और नदियों में स्नान का बहुत महत्व है.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि ये महीना पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य और सेहत सुधारने का समय है. इन दिनों में जीवन शैली में किए गए बदलाव से सकारात्मक फल मिलते हैं. माघ मास में तीर्थ दर्शन के साथ ही नदियों में स्नान करने की परंपरा है. अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. ऐसा करने से भी नदी स्नान के समान पुण्य मिल सकता है. घर पर गंगाजल से स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य जरूर चढ़ाएं. ध्यान रखें अर्घ्य देने के लिए ऐसी जगह का चयन करें, जहां सूर्य को चढ़ाया हुआ जल पर किसी के पैर न लगे. इसके बाद घर के मंदिर में अपने इष्टदेव की पूजा करें, मंत्र जप करें.

करें शुभ काम
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि माघ महीने में श्रीमद् भगवद् गीता और रामायण का पाठ करना चाहिए. इस माह में रोज सुबह स्नान के बाद घर के मंदिर में धूप-दीप जलाएं, पूजा करें. ग्रंथों का पाठ करें. मंत्र जप करें. माघ माह में प्रयाग में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो अपने शहर में या शहर के आसपास किसी नदी में स्नान कर सकते हैं. इस महीने में प्रयागराज के साथ ही हरिद्वार, काशी, मथुरा, उज्जैन जैसे धार्मिक शहरों में काफी भक्त पहुंचते हैं. इस माह में तीर्थ दर्शन करने की भी परंपरा है. किसी ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ, चारधाम या किसी अन्य प्राचीन मंदिर में दर्शन किए जा सकते हैं. पूजा-पाठ के साथ ही इस महीने में जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान जरूर करें. अभी ठंड का समय है तो इन दिनों में कंबल, तिल-गुड़ का दान जरूर करें. किसी गौशाला में पैसों के साथ ही हरी घास भी दान करनी चाहिए. इस माह में रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं. भगवान गणेश, विष्णु जी, श्रीकृष्ण, शिवजी, देवी मां की पूजा करें.

पुराणों में महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पद्म, स्कंद और ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि माघ महीने में जब सूर्य मकर राशि में होता है तब सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. महाभारत और अन्य ग्रंथों में भी इस हिंदी महीने का महत्व बताया गया है. महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि जो माघ महीने में नियम से एक समय भोजन करता है, वो धनवान कुल में जन्म लेकर अपने कुटुम्बीजनों में महत्व को प्राप्त होता है. इसी अध्याय में कहा गया है कि माघ महीने की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से उपासक को राजसूय यज्ञ का फल मिलता है और वो अपने कुल का उद्धार करता है.

सुख-सौभाग्य और मोक्ष देने वाला महीना
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि माघ मास में हर दिन प्रयाग संगम पर नहाने से सुख, सौभाग्य, धन और संतान प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष भी मिल जाता है. भगवान विष्णु का धाम मिलता है. पूरे माघ महीने में प्रयागराज के संगम में नहाने से कई यज्ञों को करने जितना पुण्य भी मिलता है. साथ ही सोना, भूमि और गौदान करने का पुण्य भी माघ मास में तीर्थ स्नान करने से मिलता है. सूर्योदय से पहले गंगा में स्नान करने के बाद पूजा और सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए. अगर गंगा स्नान के लिए जाना संभव न हो तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाकर भी कर सकते हैं. इसके बाद पूजा-पाठ करके साधु-संतों और जरूरमंतों को दान देना चाहिए. ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है. इससे हमारे भाग्य के द्वार खुलते हैं.

श्रीकृष्ण पूजा 
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि धर्म ग्रंथों के मुताबिक, इस महीने में भगवान कृष्ण की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. माघ में श्रीकृष्ण की पूजा से पहले सुबह तिल, जल, फूल और कुश लेकर पूजा का संकल्प लेना चाहिए. फिर श्रीकृष्ण की प्रार्थना और पूजा करें. घर में शुद्धता से बने पकवानों का भोग लगाएं. उसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें. माना जाता है इस तरह पूरे महीने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि रहती है.

व्रत और पूजा 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि माघ महीने में भगवान विष्णु के वासुदेव रूप की पूजा की जाती है. साथ ही उगते हुए सूरज को अर्घ्य देना चाहिए. इस महीने सूर्य के त्वष्टा रूप की पूजा करनी चाहिए. पुराणों में बताया गया है कि इस महीने में भगवान कृष्ण और शिवजी की पूजा भी करनी चाहिए. शिव पूजा में तिल के तेल का दीपक लगाने से शारीरिक परेशानियां नहीं होती. धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि माघ महीने के दौरान मंगल और गुरुवार का व्रत करने का विशेष फल मिलता है.

स्नान-दान
महाभारत और अन्य पुराणों में कहा गया है कि इस महीने में सूर्योदय से पहले उठकर गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. लेकिन महामारी के दौर को देखते हुए विद्वानों का कहना है कि ऐसा न हो पाए तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिल जाता है. साथ ही पानी में तिल डालकर नहाना चाहिए. इससे कई जन्मों के पाप खत्म होते हैं. इस महीने तांबे के बर्तन में तिल भरकर दान करना चाहिए.

महाभारत में माघ का महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाभारत और अन्य ग्रंथों में माघ मास के महत्व के बारे में बताया गया है. महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार जो माघ मास में नियम से एक वक्त खाना खाता है, वो धनवान कुल में जन्म लेकर अपने परिवार में महत्वपूर्ण होता है. इसी अध्याय में कहा गया है कि माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से उपासक को राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है और वह अपने कुल का उद्धार करता है.

माघ मास की कथा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि प्राचीन काल में नर्मदा किनारे सुव्रत नाम का ब्राह्मण रहता था. वो वेद, धर्मशास्त्रों और पुराणों के जानकार थे. कई देशों की भाषाएं और लिपियां भी जानते थे. इतने विद्वान होते उन्होंने अपने ज्ञान का उपयोग धर्म के कामों में नहीं किया. पूरा जीवन केवल धन कमाने में ही गवां दिया. जब वो बूढ़े हुए तो याद आया कि मैंने धन तो बहुत कमाया, लेकिन परलोक सुधारने वाला कोई काम नहीं किया. ये सोचकर दुखी होने लगे. उसी रात चोरों ने उनका धन चुरा लिया, लेकिन सुव्रत को इसका दु:ख नहीं हुआ क्योंकि वो तो परमात्मा को पाने का उपाय सोच रहे थे. तभी सुव्रत को एक श्लोक याद आया-माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति.

उनको अपने उद्धार का मूल मंत्र मिल गया. फिर उन्होंने माघ स्नान का संकल्प लिया और नौ दिनों तक सुबह जल्दी नर्मदा के पानी में स्नान किया. दसवें दिन नहाने के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया. सुव्रत ने जीवन भर कोई अच्छा काम नहीं किया था, लेकिन माघ में स्नान के बाद उनका मन निर्मल हो चुका था. जब उन्होंने प्राण त्यागे तो उन्हें लेने दिव्य विमान आया. उस पर बैठकर वो स्वर्ग चले गए.