Mahashivaratri 2025: हे भोले शंकर पधारो, शिव और पार्वती के मिलन का दिन महाशिवरात्रि आज, जानें क्या है दो मान्यताएं

जयपुरः आज महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन सभी लोग व्रत कर शिव जी की आराधना करते हैं. हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. ऐसे में शिव भक्ति से फिजा सरोबार हुई है. पौ फटते ही शिवालयों में श्रद्धालु पहुंचने लगे है. महाशिवरात्रि पर्व पर सजे शिवालयों में श्रद्धालु उमड़ रहे है. शिव भक्त रुद्राभिषेक, जलाभिषेक व पंचाभिषेक कर रहे है. चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, गाजर, बोर, भांग व धतूरा आदि अर्पित कर देवाधिदेव महादेव का आशीर्वाद ले रहे है, और मंगल कामनाएं कर रहे है. 

क्वींस रोड स्थित झारखंड महादेव मंदिर में शिवभक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर में देर रात से ही श्रद्धालु अपनी बारी का इंतजार कर रहे है. गोविंद देवजी मंदिर के काला महादेव मंदिर में भी विशेष शिव आराधना की जा रही है. शिव महिमा में डूबे श्रद्धालुओं के सैलाब से पूरे शहर का वातावरण शिवमय हो उठा है. हर तरफ बम-बम भोले के गगन भेदी स्वरों की गूंज सुनाई दे रही है. भक्त बेलपत्र, धतूरा, भांग, दूध आदि शिव को अर्पित कर सुभाशीष मांग रहे है. 

जानें क्या है दो मान्यताएंः
महाशिवरात्रि को लेकर दो मान्यताएं हैं. पहली-इसी दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था. और दूसरी-इसी दिन शिव पहली बार ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे. ऋग्वेद और सामवेद कहते हैं कि सृष्टि में जो ऊंकार नाद है, वह शिव ही है. शिव को अनादि-अनंत कहा गया है. यानी कहीं भी शिव के जन्म का उल्लेख नहीं मिलता है. शिव वैदिक देवता हैं वेदों में इन्हें पहले रूद्र के रूप में पूजनीय माना गया है. पुरानी सभ्यताओं में शिव पशुपतिनाथ रूप में स्थापित थे. वहीं इतिहास के लिहाज से शिव पूजा 4000 साल से ज्यादा पुरानी है. तमिलनाडु में सबसे प्राचीन शिव मंदिर 3000 साल पुराना है.