जयपुर: महाशिवरात्रि का पर्व शनिवार 18 फरवरी के दिन मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि के व्रत इस बार कई बेहद दुर्लभ योग के बीच रखा जाएगा. 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के साथ शनि प्रदोष भी होने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और शनि दोष भी दूर होगा. इस बार महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष के अलावा कई ऐसे शुभ बन रहे हैं जिनमें शिवजी की उपासना करना परम फलदायी माना जा रहा है और व्रतियों को विशेष रूप से लाभ होगा. महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी को है. इस दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. इस बार की महाशिवरात्रि और भी खास होगी, क्योंकि इस दिन शनि प्रदोष के साथ कई दुर्लभ योग भी बन रहे हैं. शनि प्रदोष का महाशिवरात्रि के साथ होना दुर्लभ संयोग माना जाता है जो कि शनि दोष को दूर करने में बेहद कारगर है. शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना करने से उनके भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शनिवार 18 फरवरी को फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि होंगी. यानी शनि प्रदोष और शिवरात्रि का संयोग बन रहा है. जिससे इस दिन व्रत और शिव पूजा करने से शनि के अशुभ असर से राहत मिलेगी. प्रदोष और शिवरात्रि का संयोग होने से पूरे दिन शिव पूजा की जा सकेगी. इस शुभ योग में भगवान शिव और शनि की पूजा एवं व्रत करने से हर इच्छा पूरी होती है. हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं. ये साल का पहला शनि प्रदोष है. इसके बाद अब 4 मार्च और 1 जुलाई को शनि प्रदोष का योग बनेगा.
शनि प्रदोष का योग:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि के साथ शनि प्रदोष का होना धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ योग माना जाता है. शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति की कामना के साथ रखा जाता है. 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष होने से भगवान शिव जल्द ही आपकी मनोकामना पूर्ण करते हैं. इसके साथ यह व्रत शनि दोष दूर करने में बहुत ही उत्तम माना गया है. महाशिवरात्रि पर जल में काले तिल डालकर शिवजी का अभिषेक करने से आपको शनि की महादशा से राहत मिलेगी.
सर्वार्थ सिद्धि योग:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि पर शाम 5:42 मिनट से 19 फरवरी सूर्योदय तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग में शिवजी की पूजा करने से और व्रत रखने से आपको परमसिद्धि की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग धन लाभ और कार्य सिद्धि के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है. इस शुभ योग में कोई भी नया कार्य, बिजनस या फिर नौकरी में नई शुरुआत करना अच्छा परिणाम देने वाली मानी जाती है.
पूजा का शुभ मुहूर्त:
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा चार प्रहर में की जाती है. हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रथम प्रहर में पूजा समय 18 फरवरी शाम 06.45 मिनट से रात्रि 09.35 मिनट तक है वहीं दूसरे प्रहर में पूजा का समय रात्रि 09.35 मिनट से 19 फरवरी मध्य रात्रि 12.24 बजे तक है. तीसरे प्रहर में पूजा का समय 19 फरवरी मध्य रात्रि 12.24 मिनट से प्रातः 03.14 मिनट तक है. चतुर्थ प्रहर पूजा समय 19 फरवरी को ही प्रातः 03.14 मिनट से सुबह 06.03 मिनट तक रहेगा. महाशिवरात्रि के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग को शाम 04.12 से शाम 06.03 मिनट तक रहेगा.
पूजा समय:-
प्रथम प्रहर पूजा - 18 फरवरी शाम 06.45 मिनट से रात्रि 09.35 मिनट तक
दूसरे प्रहर पूजा - रात्रि 09.35 मिनट से 19 फरवरी मध्य रात्रि 12.24 बजे तक
तीसरे प्रहर पूजा - 19 फरवरी मध्य रात्रि 12.24 मिनट से प्रातः 03.14 मिनट तक
चतुर्थ प्रहर पूजा - 19 फरवरी को ही प्रातः 03.14 मिनट से सुबह 06.03 मिनट तक
प्रदोष व्रत का महत्व:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि संध्या का वह समय जब सूर्य अस्त होता है और रात्रि का आगमन होता हो उस समय को प्रदोष काल कहा जाता है. ऐसा माना जाता है की प्रदोष काल में शिव जी साक्षात् शिवलिंग में प्रकट होते हैं और इसीलिए इस समय शिव का स्मरण करके उनका पूजन किया जाए तो उत्तम फल मिलता है. प्रदोष व्रत करने से चंद्रमा के अशुभ असर और दोषों से छुटकारा मिलता है. यानी शरीर के चंद्र तत्व में सुधार होता है. चंद्रमा मन का स्वामी है इसलिए चंद्रमा संबंधी दोष दूर होने से मानसिक शांति और प्रसन्नता मिलती है. शरीर का ज्यादातर हिस्सा जल है इसलिए चंद्रमा के प्रभाव से सेहत अच्छी होती है. शनि प्रदोष पर शनि देव की पूजा भी करनी चाहिए.
शनि स्वराशि कुंभ में:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि पर शनि भी अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहेंगे और 13 फरवरी को कुंभ में सूर्य का प्रवेश भी हो गया है. इस तरह महाशिवरात्रि पर पिता-पुत्र, सूर्य और शनि एक ही राशि में होंगे. ज्योतिष में पिता और पुत्र सूर्य-शनि के बीच में विरोधी संबंध माने जाते हैं. इसके बावजूद ये इस राशि में शुभ फलदायी होंगे. इस वक्त में शनि अस्त अवस्था में होंगे. जिससे सूर्य का प्रभाव अधिक रहेगा. करियर और आर्थिक मामलों की दृष्टि से यह स्थिति बहुत ही बेहतर मानी जाती है. इस शुभ योग में शिवजी की पूजा करने और व्रत करने से शनि के सभी दोष दूर हो सकते हैं.
गुरु स्वराशि मीन में:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि पर गुरु भी अपनी राशि मीन में होंगे. गुरु स्वराशि मीन में होने पर ये हंस राजयोग बनाएंगे. करियर की दृष्टि से यह स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है. इस वक्त आप अपने करियर के संबंध में जो भी फैसला लेंगे उसमें आपको लाभ होगा. अगर आप कहीं नए कार्य के लिए जाएं या फिर कहीं नौकरी के सिलसिले में इंटरव्यू देने जाएं तो शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने आपको सफलता अवश्य मिलेगी.
शुक्र उच्च राशि मीन में:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि महाशिवरात्रि पर गुरु के साथ ही शुक्र भी मीन राशि में होंगे. ज्योतिष में दोनों ही ग्रह विरोधी स्वभाव के माने जाते हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि शुक्र मीन राशि में उच्च के होंगे. जिससे मालव्य नामक शुभ राजयोग बनेगा. शुभ स्थिति में भगवान शिव की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगे. आपके जिन कार्यों में अभी तक अड़चनें आ रही थीं, धीरे-धीरे करके वे सभी कार्य अब पूर्ण होने लगेंगे.