जयपुर: राजधानी जयपुर के करीब दूदू और नरैना के 71 गांवों में पेयजल परियोजनाओं को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है. मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंचने के बाद एक एक्सईन जितेंद्र शर्मा को तो एपीओ कर दिया गया है, लेकिन जेईन पूजा कुमावत व एईन जितेंद्र मीणा पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के मामले को उजागर करना विभाग के ही अफसरों को नागवार गुजर रहा है. उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के निर्देश पर जांच करने वाले एईन धारा सिंह को अधीक्षण अभियंता हिमांशु मील ने नोटिस थमा दिया और कहा कि आपने जांच से पहले अधिकारियों को क्यों नहीं बताया. जांच करके गड़बड़ी उजागर करने वाले अफसर को ही नोटिस देने के बाद जलदाय विभाग की किरकिरी हो रही है. अब यह मामला एक बार फिर सीएमओ तक पहुंच गया है.
पानी के महकमे में भ्रष्टाचार उजागर करना नागवार गुजर रहा है साहब को:
-खुद को उपमुख्यमंत्री से ऊपर मानने लगे हैं विभाग के अधिकारी
-उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के निर्देश पर हुई जांच, लेकिन अधिकारी को है आपत्ति
-दूदू में पेयजल परियोजनाओं में फर्जीवाड़े का हुआ है खुलासा
-प्रेमचंद बैरवा के दफ्तर से निर्देश के बाद जांच रिपोर्ट दी थी एईन धारा सिंह ने
-लेकिन अब जांचकर्ता एईन धारा सिंह को ही थमा दिया नोटिस
-अधीक्षण अभियंता हिमांशु मील ने नोटिस में मांगा हिसाब-किताब
-कहा - किस विभागीय आदेश से आपने की मामले की जांच
-नोटिस में कहा गया कि उच्चाधिकारियों को क्यों नहीं बताया
-तो क्या उपमुख्यमंत्री के निर्देश काफी नहीं थे जांच के लिए
अब आइये आपको दूदू घोटाला की परत दर परत जानकारी बताते हैं. दूदू और नरैना के 71 गांवों में पेयजल परियोजनाओं के रख-रखाव को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायतें पहुंचीं, जिसके जांच शुरू हुई. जांच में काफी गड़बड़ियां पाई गई. विभाग की एक जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि दूदू में भी जल जीवन मिशन की तरह बिना काम किए फर्मों को करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया. दूदू के 71 गांवों में पेयजल परियोजनाओं के रख रखाव का 3 करोड़ से अधिक का टेंडर लेने वाली फर्म विष्णु प्रकाश पुंगलिया ने अधिशासी अभियंता जितेंद्र शर्मा की मिलीभगत से 35 की जगह केवल कर्मचारी तैनात किया. मुख्यमंत्री के निर्देश पर एक्सईन जितेंद्र शर्मा को एपीओ कर दिया. यहां यह भी उल्लेख करना जरूरी है कि कांग्रेस सरकार के दौरान दूदू में एसीबी ने जितेंद्र शर्मा को ट्रैप किया था और वे चार महीने तक जेल में भी रहे.
इसके बावजूद उन्हें फिर से दूदू में ही फील्ड पोस्टिंग दे दी गई. अब फिर घोटाला सामने आया, तो महज एपीओ कर दिया गया. पूरे मामले की शिकायत उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा तक भी पहुंची थी. बैरवा के दफ्तर से निर्देश मिलने के बाद एईन धारा सिंह ने पूरे मामले की जांच की. धारा सिंह ने नरैना पंप हाउस पर जांच की तो मौके पर केवल एक कर्मचारी मिला. जबकि विभाग को दिए गए बिलों में फर्म ने 16 सहायक कर्मचारी, 8 फिटर, 2 पंप चालक, 2 इलेक्ट्रिशियन, 1 सुपरवाइजर और 4 माली कार्यरत बताए गए थे और उसी आधार पर भुगतान किया गया. फर्म ने 25 महीने में बिना काम ही 92 लाख रुपए का भुगतान उठा लिया. फर्म की ओर से दिए सभी बिलों को संबंधित जेईन व एईन ने भी सत्यापित किया. जांच में AEN जीतेश मीणा और JEN पूजा कुमावत की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई. जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा.
निविदा शर्तों को ताक में रखा गया है:
-ठेकेदारो से मिलीभगत कर अभियंताओं ने बिना भौतिक सत्यापन के बिलो का भुगतान किया
-राजकार्य में लापरवाही के साथ-साथ राजस्व की भी हानि भी की गई
-जांच के दौरान उपस्थिति पंजिका भी कार्यालय में उपलब्ध नही मिली
-कनिष्ठ अभियन्ता पूजा कुमावत कार्यालय से अनुपस्थित पाई गई
-पाईप लाईन में लीकेज होने से घरो में दरार व गन्दे पानी की भीषण समस्या
-आधा दर्जनो मकान क्षतिग्रस्त होने से आमजन में भय का माहौल
-कस्बे के लगभग 25 शौचालय के गढे जमीन में धंस गये जिससे की दुर्घटना की आंशका
-मैसर्स विष्णु प्रकाश आर पुंगलिया को मिला है ओएंडएम का काम
-लेकिन 37 लोगों की जगह महज तीन कर्मचारी ही लगा रखे है
-जांच के दौरान तो अधिकारी को सिर्फ एक कर्मचारी ही पंप हाउस पर मिला
-पम्प हाउस नरेना का कैम्पस जर्जर अवस्था में पाया गया
-इसके बावजूद अधिकारियों ने ठेकेदार को कर दिया बड़ा भुगतान
अब जांच में जब अफसरों की भूमिकाओं पर सवाल उठे, तो सीनियर अफसर ने जांच कर्ता को ही नोटिस थमा दिया. अधीक्षण अभियंता हिमांशु मील ने जांच कर्ता एईन धारा सिंह मीणा को नोटिस थमाते हुए लिखा कि आप द्वारा माननीय उप मुख्यमंत्री कार्यालय रिपोर्ट प्रेषित की गई. उक्त जांच रिपोर्ट के संबंध में निम्न तथ्यों से इस कार्यालय को अवगत करवाएं.
आप द्वारा उक्त जांच किस विभागीय आदेश के तहत एवं कब से कब तक की गई. रिपोर्ट में उल्लेखित तथ्यों के संबंध में साक्ष्य एवं दस्तावेज क्यों संलग्न नहीं किए गए.उक्त जांच रिपोर्ट को वृत कार्यालय में प्रस्तुत किए जाने के संबंध में साक्ष्य पेश करें. जांच रिपोर्ट तैयार करने से पूर्व जिन दस्तावेजों की आप द्वारा जांच की गई उनकी सत्यापित प्रति प्रस्तुत करें.
आप द्वारा अनियमितताओं के संबंध में विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत ना करवाते हुए व्यक्तिगत रूप से बिना अन्य किसी विभागीय अधिकारी की उपस्थिति के जांच किए जाने के कारणों से अवगत करवाए. अतः इस संबंध में आपको निर्देशित किया जाता है साक्ष्य 7 दिवस में प्रस्तुत करें. अन्यथा आपके विरूद्ध राजस्थान सिविल सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी.