Mangla Gauri Vrat 2023: इस साल बेहद शुभ योग में होंगे 9 मंगला गौरी व्रत, जानें तारीख, महत्व और पूजा विधि

Mangla Gauri Vrat 2023: इस साल बेहद शुभ योग में होंगे 9 मंगला गौरी व्रत,  जानें तारीख, महत्व और पूजा विधि

जयपुर: इस साल सावन का महीना बहुत ही खास होने जा रहा है. दरअसल, इस बार सावन एक नहीं बल्कि दो महीने का होगा. जैसे सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करना उत्तम फलदायी रहता है वैसा ही मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. भगवान शिव की उपासना के लिए सावन का महीना बहुत ही शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में भगवान शिव की सच्चे दिल से उपासना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. सावन के महीने में माता पार्वती की उपासना करना भी उत्तम फलदायी रहता है. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सावन में मंगलवार के दिन मां गौरी की पूजा अर्चना की जाती है. इसे मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है. इस साल सावन महीने का आरंभ 4 जुलाई से हो रहा है और इस साल सावन एक महीने का नहीं बल्कि पूरे 59 दिनों का होने जा रहा है. इस साल सावन 31 अगस्त को समाप्त होगा. वहीं, इस साल का पहला मंगला गौरी व्रत मंगलवार 4 जुलाई को रखा जाएगा. इस बार अधिक मास होने के कारण सावन एक महीने से अधिक का रहेगा. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस व्रत की खास मान्यता है कि किसी कन्या का विवाह मंगल (मांगलिक) होने की वजह से नहीं हो रहा है. अर्थात कुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8 और 12वें घर में उपस्थित हो तो मंगल दोष बनता है. ऐसी स्थिति में कन्या का विवाह नहीं हो पाता. इसलिए मंगला गौरी व्रत रखने की सलाह दी जाती है. मंगलवार के दिन मंगला गौरी के साथ-साथ हनुमानजी के चरण से सिंदूर लेकर उसका टीका माथे पर लगाने से मंगल दोष समाप्त हो जाता है तथा कन्या को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. 

 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत सुहागन स्त्रियां अपने अखंड सुहाग के लिए धारण करती है. सावन के दूसरे मंगलवार को व्रत धारण से ही इसका नाम मंगला और इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है. इसलिए गौरी नाम से प्रचलित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस व्रत का खासा महत्व है. माता पार्वती की पूजा अर्चना करना हर स्त्री के लिए सौभाग्यवती भव का आशीर्वाद होता है. कुंवारी कन्या अगर गौरी व्रत का धारण करती है तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. तथा विवाह में हो रही अड़चन भी दूर हो जाती है. सुहागन स्त्रियां इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र अर्थात अखंड सौभाग्यवती होने की लालसा में रखती है.

सावन मंगला गौरी व्रत:-  
पहला मंगला गौरी व्रत - 4 जुलाई 2023 
दूसरा मंगला गौरी व्रत - 11 जुलाई 2023
तीसरा मंगला गौरी व्रत -18 जुलाई 2023
चौथा मंगला गौरी व्रत - 25 जुलाई 2023
पांचवा मंगला गौरी व्रत - 1 अगस्त 2023
छठा मंगला गौरी व्रत - 8 अगस्त 2023
सातवा मंगला गौरी व्रत- 15 अगस्त 2023
आठवा मंगला गौरी व्रत - 22 अगस्त 2023
नौवां मंगला गौरी व्रत - 29 अगस्त 2023

इस बार अधिक मास होने के कारण कुल 9 मंगला गौरी व्रत होने वाले हैं.

मंगला गौरी व्रत का महत्व:
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन माता गौरी की पूजा करके मां गौरी की कथा जरूर सुननी चाहिए. अगर किसी महिला की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कोई समस्या हो तो उन्हें मंगला गौरी व्रत जरूर रखना चाहिए.

पूजा विधि:
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सावन के महीने में मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठें. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि के बाद गुलाबी, नारंगी, पीले और हरे रंग के स्वच्छ सुंदर वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूजा स्थान को अच्छे से साफ करके पूर्वोत्तर दिशा में चौकी स्थापित करें और उस पर लाल कपड़ा बिछआएं. माता पार्वती की तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें. साथ ही नारियल ,लौंग, सुपारी, मेवे, इलायची और मिठाइयां चढ़ाएं. इसके बाद मां गौरी की व्रत कथा पढ़ें और फिर उनकी आरती उतारें. साथ ही इस दिन सुहागिन महिलाओं को श्रृंगार का सामान भेट करें.

माता गौरी व्रत कथा:
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि धार्मिक कथाओं के अनुसार एक नगर सेठ था और उस सेठ का उस नगर में बहुत सम्मान था. सेठ धन-धान्य से परिपूर्ण था और सुखी जीवन जी रहा था. परंतु सेठ को सबसे बड़ा दुख था कि उसके कोई संतान नहीं थी. सेठ को संतान सुख नहीं होने की वजह से चिंता खाए जा रही थी. एक दिन किसी विद्वान ने सेठ से कहा कि आपको माता गौरी की पूजा अर्चना करनी चाहिए. हो सकता है आपको पुत्र सुख की प्राप्ति हो. सेठ ने अपनी पत्नी के साथ माता गोरी का व्रत विधि विधान के साथ धारण किया. समय बीतता गया एक दिन माता गौरी ने सेठ को दर्शन दिए और कहा कि मैं आपकी भक्ति से प्रसन्न हूं आप क्या वरदान चाहते हैं. तब सेठ और सेठानी ने पुत्र प्राप्ति का वर माँगा. माता गौरी ने सेठ से कहा आपको पुत्र तो प्राप्त होगा. परंतु उसकी आयु 16 वर्ष से अधिक नहीं होगी. सेठ सेठानी चिंतित तो थी पर उन्होंने वरदान स्वीकार कर लिया.  कुछ समय बाद सेठानी गर्भ से थी और सेठ के घर एक पुत्र ने जन्म लिया. सेठ ने नामकरण के वक्त पुत्र का नाम चिरायु रखा. जैसे जैसे पुत्र बड़ा होने लगा सेठ और सेठानी की चिंता बढ़ने लगी. क्योंकि 16 वर्ष के बाद उन्हें अपना पुत्र खोना था. ऐसी चिंता में डूबे सेठ को एक विद्वान ने सलाह दी कि अगर आप अपने पुत्र की शादी ऐसी कन्या से कर दें जो माता गौरी की विधिवत पूजा करती है. तो आपका हो सकता है संकट टल जाए. आपकी चिंता खत्म हो जाए. सेठ ने ऐसा ही किया और एक गौरी माता भक्त के साथ चिरायु का विवाह कर दिया. जैसे ही चिराई की उम्र 16 वर्ष हुई तो उसे कुछ नहीं हुआ. धीरे-धीरे वह बड़ा होता चला गया और उसकी पत्नी अर्थात गोरी भक्त हमेशा गौरी माता की पूजा अर्चना में व्यस्त रहा करती थी और उसे अखंड सौभाग्यवती भव का वरदान प्राप्त हो चुका था. अब सेठ और सेठानी  पूर्णता चिंता मुक्त थे.  ऐसे ही माता गौरी के चमत्कारों की कथाओं के चलते इनकी पूजा अर्चना की जाती है. जिससे व्रत धारण करने वाले जातक कभी भी खाली हाथ नहीं रहते.