भोपाल: नामीबिया से लाकर मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पिछले महीने बसाये गये आठ चीतों की निगरानी के लिए गठित कार्यबल की सोमवार को पहली बार हुई ऑनलाइन बैठक में इन चीतों को एक महीने के पृथक-वास में रखने की एक महीने की अवधि पूरी करने के बाद भी ‘सॉफ्ट रिलीज बाड़े’ में स्थानांतरित करने पर निर्णय नहीं लिया जा सका. बैठक में भाग लेने वाले एक व्यक्ति ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘कार्यबल अब 21 अक्टूबर को सुबह 11.30 बजे बैठक करेगी, जिसमें अब इस बात पर निर्णय लिया जाएगा.’’
अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार 17 सितंबर से ये चीते इस उद्यान में बनाए गये पांच वर्ग किलोमीटर के दायरे में विशेष बाड़ों में पृथक-वास पर रखे गये हैं, जो अब पूरी हो गई है. इसके बाद इन्हें पांच वर्ग किलोमीटर से थोड़ा अधिक क्षेत्र में फैले ‘सॉफ्ट रिलीज बाड़े’ में दो या तीन महीने के लिए स्थानांतरित किया जाना था, लेकिन इस बैठक में इस पर कोई निर्णय नहीं लिए जाने से अब ऐसा लगता है कि इन चीतों को दीवाली तक उन्हीं विशेष बाड़ों में रहना पड़ेगा, जिनमें वह वर्तमान में रह रहे हैं. एक अधिकारी ने कहा कि ‘सॉफ्ट रिलीज बाड़े’ में एक या दो महीने या उससे कुछ अधिक समय तक रखने के बाद इन चीतों को जंगल में स्वच्छंद विचरण के लिये आजाद किया जायेगा. इस बैठक में भाग लेने वाले एक व्यक्ति ने अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि बैठक में नौ में से सात सदस्यों ने भाग लिया . उन्होंने बताया कि जो दो सदस्य इस बैठक में मौजूद नहीं रहे, उनमें मध्यप्रदेश राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य अभिलाष खांडेकर और भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के वैज्ञानिक डॉ विष्णु प्रिया शामिल हैं. उन्होंने कहा कि खांडेकर ने कार्यबल से अपना नाम वापस ले लिया है.
खांडेकर से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए बार-बार फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन असफल रहा. यह पूछे जाने पर कि क्या कार्यबल फिर से ऑनलाइन बैठक करेगा, तो पर इस बैठक में शामिल हुए व्यक्ति ने कहा, ‘‘काफी संभावना है.’’ केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान एवं अन्य सुरक्षित क्षेत्रों में चीता परियोजना की निगरानी के लिए 20 सितंबर को नौ सदस्यों के कार्यबल का गठन किया है, यह कार्यबल दो वर्ष तक काम करेगा. इसी बीच, एक वन अधिकारी ने कहा कि नामीबिया से लाकर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाये गये सभी आठ चीते स्वस्थ एवं तंदुरूस्त हैं और उन्हें विशेष बाड़ों में भैंस का मांस खिलाया जा रहा है. मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1952 में भारत में विलुप्त हुए चीतों की आबादी को पुनर्जीवित करने की परियोजना के तहत इन चीतों को 17 सितंबर को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक मंच से लीवर घुमाकर लकड़ी के पिंजड़ों के दरवाजे खोलकर विशेष बाड़ों में छोड़ा है. सोर्स- भाषा