जयपुर: हरियाणा में मतदान से ठीक दो दिन पहले एक अहम सियासी घटनाक्रम हुआ. कांग्रेस ने भाजपा को एक बड़ा झटका देते हुए अशोक तंवर की घर वापसी करवा दी. चौंकाने वाली बात है कि कांग्रेस में आने से चंद घंटे पहले तो तंवर भाजपा के लिए वोट मांग रहे थे. तंवर की इस अदला-बदली ने एक बार फिर हरियाणा के सियासी अतीत को ताजा कर दिया, दरअसल.राजनीति में दल बदलू नेताओं के लिए आयाराम-गयाराम का मुहावरा दरअसल हरियाणा की राजनीति से ही निकला था.
आपने अक्सर एक कहावत सुनी होगी, आयाराम-गयाराम दरअसल सियासत में यह मुहावरा उन नेताओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो लिबास की तरह पार्टियां बदल लेते हैं. ऐसे ही हरियाणा के एक नेता थे गयाराम.
पंजाब से अलग होकर 1 नवम्बर 1966 को हरियाणा राज्य अस्तित्व में आय़ा
साल 1967 में हरियाणा में पहले विधानसभा चुनाव हुए
कांग्रेस को टोटल 81 सीटों में से 48 सीटें मिली
भगवत दयाल शर्मा पहले सीएम बने
भारतीय जनसंघ को 12,स्वतंत्र पार्टी को 3
और रिपब्लिकन पार्टी को तो दो सीट मिली
इसके अलावा 16 निर्दलीय विधायक जीतकर आए
इन निर्दलीय विधायकों में एक थे आरक्षित सीट हसनपुर से निर्वाचित हुए गयालाल. भगवत दयाल शर्मा के शपथ लेने के महज एक हफ्ते बाद ही कांग्रेस के 12 विधायकों ने हरियाणा कांग्रेस नाम से एक ग्रुप बना लिया. उधर निर्दलीय और अन्य दलों के विधायकों ने भी मिलकर एक संयुक्त मोर्चे का गठन कर लिया. इस मोर्चे के पास फिर टोटल विधायकों की संख्या हो गई 48 इस मोर्चे को लीड कर रहे थे केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत के पिता राव बिरेन्द्र सिंह जो भगवत दयाल शर्मा को सीएम बनाने से नाराज थे औऱ खुद सीएम बनना चाहते थे. राव बिरेन्द्र सिंह इसमें कामयाब हुए और सीएम बन भी गए. इस सियासी उथल-पुथल में सबसे ज्यादा चर्चित रहे गयालाल. महज 9 घंटे के अंदर उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा. लेकिन थोड़ी देर बाद फिर उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और फिर संयुक्त मोर्चे में चले गए. फिर वापस गयालाल कांग्रेस में आ गए. लेकिन फिर कांग्रेस छोड़कर मोर्चे का हिस्सा बन गए. बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिरेन्द्र सिंह ने कहा कि गयाराम अब आया राम है. इसके बाद तत्कालीन गृह मंत्री वाईबी चव्हाण ने संसद में इस मुहावरे का इस्तेमाल दल बदलु नेताओं के लिए किया था.
यह भी एक संयोग है कि गयालाल अभी हरियाणा कांग्रेस के जो पीसीसी चीफ उदयभान है वो उनके पिता था. उदयभान ने भी अपने पिता की तरह कईं दलों में शामिल हो चुके हैं. वैसे हरियाणा में दल बदल कोई नई बात नहीं है. लेकिन गयालाल के एक ही दिन में कपड़ों की तरह पार्टियां बदलने के सारे रिकॉर्ड ही तोड़ डाले. बाद में राजीव गांधी ने ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए 1985 में दल बदल कानून लाए.