नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी समेत 16 मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उलेमाओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सांप्रदायिक हिंसा, नफरत एवं ‘इस्लामोफोबिया’ (इस्लाम के प्रति दुराग्रह) और भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डालने (मॉब लिंचिंग) की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया.
जमीयत की कार्यकारिणी के सदस्य मौलाना नियाज फारूकी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि शाह से उनके आवास पर मंगलवार रात मुलाकात हुई और इस दौरान सरकार एवं मुस्लिम समुदाय के बीच ‘भ्रम एवं गतिरोध’ को दूर करने, रामनवमी के पर्व के दौरान देश के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), समान नागरिक संहिता, कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण खत्म किया जाना, वक्फ संपत्तियों का संरक्षण, कश्मीर की वर्तमान स्थिति, ‘मीडिया के एक हिस्से में इस्लाम विरोधी रुख’ समेत 14 बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई. फारूकी ने कहा, ‘‘हमने मॉब लिंचिंग और हरियाणा में दो लोगों की हत्या का विषय उठाया जिस पर गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि वे इस तरह की घटनाओं को उनके संज्ञान में लाएं और ऐसे मामलों में कार्रवाई होगी. उनके मुताबिक, गृह मंत्री के साथ मुलाकात के दौरान सीएए से जुड़ा विषय उठा और इस पर सहमति बनी कि इस पर सरकार के साथ आगे बैठक होगी. मुस्लिम प्रतिनिधमंडल ने अपनी मांगों को लेकर गृह मंत्री को एक पत्र भी सौंपा. उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘सांप्रदायिक हिंसा, नफरत और इस्लामोफोबिया को रोकने के लिए कदम उठाये जाएं.
मीडिया के एक हिस्से में धार्मिक रूप से उकसाने वाली सामग्री के प्रसारण और प्रकाशन पर रोक लगाई जाए. फारूकी ने बताया, ‘‘हमने गृह मंत्री के समक्ष कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को मिले चार फीसदी आरक्षण को खत्म करने का विषय उठाया. इस पर गृह मंत्री ने कहा कि पहले की सरकार में यह गलती हुई थी कि सभी मुसलमानों को पिछड़े वर्ग की श्रेणी में डाल दिया गया था और पिछड़े वर्ग के मुसलमानों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है. इस प्रतिनिधिमंडल ने समलैंगिक विवाह के खिलाफ सरकार के रुख और तुर्किये एवं सीरिया में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम की सराहना भी की. मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों के इस प्रतिनिधिमंडल में महमूद मदनी, नासेह एजुकेशनल ट्रस्ट के मौलाना शब्बीर नदवी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी, इस्लामी मामलों के जानकार अख्तरुल वासे, पीए इनामदार और अन्य लोग शामिल थे. सोर्स- भाषा