उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं, तटरेखा पर कड़ी निगरानी बनाए रखना आवश्यक- Rajnath Singh

उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं, तटरेखा पर कड़ी निगरानी बनाए रखना आवश्यक- Rajnath Singh

आईएनएस विक्रांतसे: अरब सागर में देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर सोमवार को भारतीय नौसेना के द्विवार्षिक कमांडर सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के साथ ही समुद्री सीमाओं की कड़ी निगरानी बनाए रखना आवश्यक है.

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच सिंह ने यह बात कही है. लगभग 262 मीटर लंबे और 59 मीटर ऊंचे पोत के मुख्य ‘ब्रीफिंग रूम’ में बैठे रक्षा मंत्री ने ‘‘दृढ़ता से डटे रहने’’ और साहस व समर्पण के साथ राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के लिए बल की सराहना की.

अन्य लड़ाकू विमानों ने भी हिस्सा लिया:
सिंह ने कहा कि भविष्य के संघर्ष अप्रत्याशित होंगे और सशस्त्र बलों को उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए. द्विवार्षिक कमांडर सम्मेलन को संबोधित करने से पहले रक्षा मंत्री सिंह ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार और नौसेना के अन्य कमांडर के साथ एक व्यापक नौसेना युद्ध अभ्यास का निरीक्षण किया, जिसमें विक्रांत के साथ अन्य युद्धपोत तथा मिग-29के जेट समेत अन्य लड़ाकू विमानों ने भी हिस्सा लिया.

विमानवाहक पोत को भारतीय नौसेना में शामिल किया:
एडमिरल कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है. राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था को बदल देगा. उन्होंने कहा कि अगले 5-10 वर्षों में, रक्षा क्षेत्र के माध्यम से 100 अरब डॉलर से अधिक के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है और और यह देश के आर्थिक विकास में एक प्रमुख भागीदार बनेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल सितंबर में 40 हजार टन से ज्यादा वजन वाले इस विमानवाहक पोत को भारतीय नौसेना में शामिल किया था.

विमान और हेलीकॉप्टर तैनात हो सकते हैं: 
लगभग 23 हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्मित आईएनएस विक्रांत एक परिष्कृत वायु रक्षा प्रणाली और जहाज रोधी मिसाइल प्रणाली से लैस है. इस पोत पर 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात हो सकते हैं. आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ‘तैरता हुआ शहर’ करार दिया था. उन्होंने कहा था कि यह पोत रक्षा क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर बनने का परिचायक है.नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि क्षेत्र की मौजूदा भू-रणनीतिक स्थिति के मद्देनजर इस सम्मेलन का अपना महत्व है. सोर्स-भाषा