समुद्री जैव विविधता के सतत उपयोग पर कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन के बारे में वार्ता पूरी- एस जयशंकर

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अंतर्गत आने वाले समुद्री कानून के तहत समुद्री जैव विविधता के सतत उपयोग को लेकर कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन पर संयुक्त राष्ट्र के पांचवें अंतर-सरकारी सम्मेलन ने अपनी वार्ता पूरी कर ली है. उन्होंने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि समझौते का प्राथमिक उद्देश्य समुद्र में होने वाली समुद्री जैविक विविधता का संरक्षण और सतत उपयोग है.

नए साधन में राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे उच्च समुद्रों और अन्य क्षेत्रों के संरक्षण और टिकाऊ उपयोग को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए कानूनी प्रावधान हैं. जयशंकर ने कहा कि समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि के तहत समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग पर अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन पर पांचवें संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी सम्मेलन ने चार मार्च को वार्ता संपन्न कर ली है. उन्होंने कहा कि समझौते का उद्देश्य राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों में समुद्री जैव विविधता के संरक्षण और टिकाऊ उपयोग के लिए कानूनी ढांचे में अंतराल को दूर करना है, जिसमें समुद्री आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण और टिकाऊ उपयोग के लिए एक व्यापक शासन की कमी शामिल है. चीन द्वारा समुद्र में अवैध रूप से मछली पकड़ने को लेकर कई देशों की चिंता जताई है.

जयशंकर ने कहा कि मसौदा समझौते को अभी स्वीकार नहीं किया गया है. जयशंकर ने कहा कि समझौते को औपचारिक रूप से स्वीकार करने पर जून में अंतर सरकारी सम्मेलन में विचार किया जाएगा और यह अनुमोदन का 60वां दस्तावेज प्राप्त होने के 120 दिन बाद लागू होगा. जयशंकर ने कहा, ‘‘अंतिम मसौदे में सभी पक्षों द्वारा किया गया समझौता था, जिसमें प्रमुख हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त चेतावनी थी. सोर्स- भाषा