पर्यटन का नया परचम, जयपुर के स्मारकों ने कमाई में मारी बाज़ी, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः राजस्थान में पर्यटन और विरासत स्थलों पर पर्यटकों की बढ़ती संख्या और उससे होने वाली आय के नए आंकड़े राज्य की सांस्कृतिक धरोहर की मजबूत स्थिति को दर्शाते हैं. जनवरी से मई तक 5 महीनों में कुल 30.52 लाख पर्यटक विभिन्न स्मारकों और संग्रहालयों में पहुंचे, जिससे कुल 23.57 करोड़ रुपये की आय अर्जित हुई. राज्य के स्मारकों में आने वाले पर्यटकों में से 88 फीसदी जयपुर के स्मारकों पर आए. 

प्रदेश में स्मारक पर्यटन में सबसे बड़ा योगदान जयपुर के स्मारकों का रहा, जिनमें आमेर, हवा महल, जंतर मंतर, अल्बर्ट हॉल और नाहरगढ़ प्रमुख रहे. अकेले आमेर महल में ही 7,42,180 पर्यटक आए और इससे 11.06 करोड़ रुपये की आय हुई, जो किसी एक स्मारक से सर्वाधिक है. वहीं जंतर मंतर से 4 लाख से अधिक पर्यटकों से 4 करोड़ रुपये की कमाई हुई.

जयपुर के स्मारकों का जलवा
जयपुर जिले में स्थित प्रमुख पांच स्मारकों —

आमेर (742180 पर्यटक / ₹11.06 करोड़ आय)

हवा महल (654080 / ₹3.39 करोड़)

जंतर मंतर (515352 / ₹4 करोड़)

अल्बर्ट हॉल (359899 / ₹1.96 करोड़)

नाहरगढ़ (411814 / ₹2.09 करोड़)

इन पांचों स्मारकों ने मिलकर 26.82 लाख पर्यटक और 22.51 करोड़ रुपये की कुल आय अर्जित की, जो राज्य के अन्य स्मारकों की कुल आय का लगभग 95% और कुल पर्यटकों के आगमन का 88% है. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि राजधानी जयपुर अभी भी राज्य में पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है.

बाकी राजस्थान की स्थिति
जयपुर के बाहर भी कई जिलों में ऐतिहासिक धरोहरों ने पर्यटकों को आकर्षित किया, हालांकि संख्या और आय के मामले में यह राजधानी से काफी पीछे रहे.

चित्तौड़गढ़ में 1.46 लाख पर्यटक आए और लगभग ₹29 लाख की आय हुई.

मांडोर (जोधपुर) से 35 हजार पर्यटक और ₹6.95 लाख की आय हुई.

सिसोदिया बाग (जयपुर), जो मुख्य शहर से बाहर है, वहां से 13 हजार से अधिक पर्यटक और ₹6 लाख से ज्यादा की आय हुई.

विद्याधर बाग (जयपुर) भी 6 हजार पर्यटकों और ₹3 लाख की आय के साथ उल्लेखनीय रहा.

पाटवा हवेली (जैसलमेर), उदयपुर, माउंट आबू, सिकर, बूंदी, झालावाड़ जैसे क्षेत्रों से भी पर्यटक पहुंचे लेकिन इनकी संख्या जयपुर की तुलना में काफी कम रही.

कुछ स्थानों जैसे डूंगरपुर, शाहपुरा (भीलवाड़ा) और किशोरी महल (भरतपुर) में पर्यटक संख्या और आय शून्य रही, जो स्थानीय स्तर पर प्रचार, प्रबंधन और आधारभूत सुविधाओं की कमी को दर्शाता है.

तुलनात्मक विश्लेषण
क्षेत्र    कुल पर्यटक    कुल आय
जयपुर के स्मारक    2,683,325    ₹22,518,690
शेष राजस्थान    372,201    ₹10,207,240
इस तुलना से यह स्पष्ट है कि पर्यटन का भारी केंद्र बिंदु जयपुर बना हुआ है. अन्य जिलों में भी ऐतिहासिक महत्व के बावजूद पर्यटकों की कम संख्या चिंता का विषय है. इसका एक प्रमुख कारण अधोसंरचना की कमी, प्रचार का अभाव, और डिजिटल टिकटिंग या गाइड सुविधा जैसे स्मार्ट समाधानों की अनुपलब्धता है. 

सरकार के लिए अवसर और चुनौती
पर्यटन और पुरातत्व विभाग के लिए यह रिपोर्ट दो संदेश देती है—पहला, जयपुर मॉडल को बाकी जिलों में अपनाने की आवश्यकता है, और दूसरा, विविध सांस्कृतिक विरासत वाले जिलों में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए रणनीतिक प्रचार, आयोजन, और डिजिटल पहल ज़रूरी हैं. राजस्थान पर्यटन विभाग यदि समान रूप से सभी स्मारकों पर ध्यान दे, तो राज्य की पर्यटन आय में भारी वृद्धि संभव है. विशेष रूप से चित्तौड़गढ़, जैसलमेर, बूंदी, जोधपुर और उदयपुर जैसे जिलों में, जहां विरासत तो है पर पर्यटक नहीं, वहां की क्षमताओं को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है. जयपुर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह न केवल राजस्थान बल्कि देश के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक है. पर अब वक्त है कि शेष राजस्थान के गौरवशाली किले, हवेलियां और विरासत स्थल भी समान ध्यान पाएँ. इससे न केवल राज्य की पर्यटन आय बढ़ेगी बल्कि रोजगार, स्थानीय विकास और सांस्कृतिक पुनरुद्धार को भी नई गति मिलेगी.