जयपुर: चीन की वजह से दुनिया में एक बार फिर से कोरोना का नया संकट खड़ा हो गया है. चिंता बढ़ाने वाली बात ये है कि चीन अभी भी आंकड़े छिपा रहा है. इससे डर है कि फिर से पूरी दुनिया ठप न हो जाए. चीन के अलावा अमेरिका सहित कई बड़े देशों में तेजी से कोरोना के मामले फैल रहे हैं. इसी बीच भारत में भी कोरोना का अलर्ट जारी कर दिया गया है. कोरोना की पहली, दूसरी, तीसरी लहर और चौथी लहर के पश्चात लोगों के मन में एक ही सवाल है इस वायरस से कब मुक्ति मिलेगी और क्या और लहर आएगी. वैज्ञानिक और डॉक्टर लगातार इसका सफलतम इलाज खोजने में लगे हुए हैं.
वही ज्योतिषी इस पर ज्योतिष आंकलन भी कर रहे हैं. कोरोना के नए वेरिएंट का भारत पर असर कैसा रहेगा प्रभाव इस बात को लेकर लोगों में अलग-अलग तरह की धारणा है. कभी तो कोराने संक्रमण कम हो जाता है तो कभी किसी दिन काफी बढ़ जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना के नए वेरिएंट का कितना प्रभाव रहेगा. क्या भारत कोरोना के नए वेरिएंट को पटखनी देने में सफल होगा या कोराना फिर अपना दम दिखाएगा. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 26 दिसंबर 2019 को हुए एक बड़े सूर्य ग्रहण के बाद कोरोना वायरस ने चीन से फैलते हुए एक बड़ी महामारी का रूप लिया. पिछले ढाई वर्षों में लाखों लोगों के प्राण लील लेने वाली इस महामारी के चलते एक बड़ी आर्थिक मंदी से भी वैश्विक अर्थव्यस्था को आघात पहुंचा है. अब जब भारतीय अर्थव्यस्था में वस्तु एवं सेवा कर के आकड़े इस वर्ष अर्थव्यस्था के मंदी से उबरने का संकेत दे रहे हैं तब कुछ विशेषज्ञों के द्वारा कोरोना के नए वेरिएंट से संकट की आशंका जाहिर की जा रही है.
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो गुरु और केतु जीव कारक ग्रह हैं, इन दोनों ग्रहों की अन्य बड़े ग्रहों, विशेषकर शनि और मंगल, से पीड़ा की अवस्था जीवाणु जनित रोगों यानि महामारी का योग बनती है ऐसा भद्रबाहु संहिता का कहना है. कोरोना के मामले चीन में जिस तरह से बढ़े हैं. चीन के अलावा अमेरिका, जापान, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, ब्राजील में भी कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं. ऐसे में भारत भी कोरोना को लेकर अलर्ट है और इस पर सरकार नजर बनाए हुए है. आम जनता को फिर से 2019 और 2020 वाली स्थिति याद आने लगी है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या फिर से कोरोना भारत में पैर पसार सकता है. भारत के लिए कोरोना का नया वेरिएंट कितना खतरनाक हो सकता है.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 26 दिसंबर 2019 के सूर्य ग्रहण के समय गुरु और केतु की युति शनि, सूर्य आदि ग्रहों के साथ थी तब कोरोना वायरस ने महामारी का रूप लेना शुरू किया. बाद में मार्च 2020 के बाद गुरु की शनि और मंगल से युति ने भारत में कोरोना की पहली लहर से ताला बंदी (लॉक डाउन) के चलते अर्थव्यस्था को ठप कर दिया. अभी पिछले वर्ष मार्च 2021 में मंगल के गोचर में वृषभ राशि में राहु के साथ युति के चलते कोरोना की दूसरी लहर उत्पन्न हुई थी जिसने अप्रैल से जून के बीच भारत में कोहराम मचा दिया था. मई 2021 में राहु के साथ गोचर में सूर्य, शुक्र और बुध की युति थी जिसने वायरस के प्रकोप को अपने चरम पर ला दिया था. वर्ष 2021 के अंत में दिसंबर के महीने में मंगल वृश्चिक राशि में गोचर करते हुए केतु से युत होकर वृषभ राशि में बैठे राहु को देख रहे थे तब भारत में कोरोना की तीसरी लहर ‘ओमीक्रॉन ने दस्तक दी किंतु वह कमज़ोर रही क्योंकि तब तक गुरु गोचर में मकर राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके थे जिससे शनि से बन रही उनकी युति समाप्त हो गयी थी.
चीन में कोरोना के नए वेरिएंट का प्रकोप:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि चीन इन दिनों कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित है. कहा जा रहा है कि चीन में कोरोना ने भयावह रूप धारण कर लिया है और बड़ी संख्या में लोग कोरोना से प्रभावित हुए है. चीन की स्थापना कुंडली में बुध में केतु की विंशोत्तरी दशा चल रही है जो कि 17 फरवरी 2023 तक है. चीन की स्थापना कुंडली में केतु, बुध, सूर्य की नवम भाव में कन्या राशि में युति हुई है. यह स्थान काल पुरुष की कुंडली का रोग स्थान है. ऐसे में अगले 2 से 3 महीनों में कोरोना वायरस की नयी लहर से चीन को राहत नहीं मिलने वाली है. कोरोना की नयी लहर से चीन में बड़ी जन धन की हानि हो सकती है.
भारत में नहीं आएगी कोरोना के नए वेरिएंट की लहर:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि भारत में इस समय कोरोना की नई लहर आने की आशंका नहीं दिखती है, दरअसल सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के समय बनने वाली कुंडली को देखें तो 16 दिसंबर 2022 को सुबह 10 बजे भारतीय समयानुसार सूर्य धनु राशि में आए तब केतु के नक्षत्र मूल में सूर्य के आने के बाद से समूची दुनिया में चीन में बढ़ रहे कोरोना वायरस के मामलों को लेकर तरह-तरह की आशंका जताई जाने लगी. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से राहु-केतु के साथ युति कर रहे ग्रह और उनके नक्षत्रों में गोचर कर रहे ग्रहों के चलते वायरस यानि सूक्ष्म-जीवों से होने वाली महामारियों का योग बनता है. यह किसी बड़े ग्रहण के बाद अधिक बुरा प्रभाव दिखता है. अभी 8 नवंबर को लगे चंद्र ग्रहण का प्रभाव 3 महीने तक रहेगा जिसके चलते जनवरी महीने के अंत तक कोरोना वायरस को लेकर कुछ देशों में सावधानी रखनी होगी लेकिन इस समय राहत की बात यह है कि, शनि, मंगल, गुरु, राहु और केतु में से कोई भी ग्रह इस समय राहु-केतु के नक्षत्रों (अश्विनी, मघा, मूल, आर्द्रा, स्वाति तथा शतभिषा) में गोचर नहीं कर रहे अत: कोरोना की यह लहर बहुत नुकसानदायक नहीं होगी.
कोरोना के नए वेरिएंट का नहीं होगा भारत पर बड़ा असर:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कोरोना के नए वेरिएंट का भारत पर असर जानने के लिए भारत की कुंडली देखने से मालूम होता है कि भारत की कुंडली में अभी चन्द्रमा की महादशा में केतु की अंतर्दशा चल रही है. केतु वृश्चिक राशि में सप्तम भाव में योगकारक शनि के सबसे शुभ नक्षत्र अनुराधा में है अत: भारत में कोरोना को लेकर अभी डरने वाली कोई बात नहीं है. भारत के लिए इस समय कोरोना बहुत प्रभावी नहीं दिखता है. वैसे अगले 2 महीने तक कुछ सतर्कता बनाए रखने की जरूरत है. धनु संक्रांति कुंडली में मकर लग्न उदित हो रहा है जिसमें शनि सप्तम भाव को देख रहा है और सप्तमेश चंद्रमा शोक स्थान यानी अष्टम भाव में मंगल से दृष्ट है जो कुछ प्रतिकूल परिणाम दे सकता है.
देश पर असर:
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि दुर्घटनाएं अप्रिय घटनाएं हिंसा और प्राकृतिक आपदा होने की आशंका. फिल्म एवं राजनीति से दुखद समाचार. देश की जनता और प्रशासन के बीच अविश्वास बढ़ेगा. शासन-प्रशासन के विरुद्ध लोग मुखर हो सकते हैं और आंदोलन की स्थिति भी बन सकती है. शासन के गलत निर्णयों के चलते लोगों में अंसतोष बना रहेगा. देश के कुछ हिस्सों में विवाद की स्थिति भी बन सकती है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े देशों के बीच की तनाव बढ़ सकता है. पड़ोसी देशों के साथ विवाद हो सकता है. अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आएंगे. वहीं देश की किसी बड़ी हस्ती के निधन का योग भी बन रहा है. इसके साथ ही कुदरती कहर यानी बाढ़, भूकंप, चक्रवात या आगजनी की स्थिति बन सकती है. देश की सीमा पर पर सैनिक गतिविधियां बढ़ सकती हैं.
बृहस्पति और केतु ग्रह हैं संक्रामक बीमारियों के जिम्मेदार:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष में राहु और केतु दोनों को संक्रमण (बैक्टीरिया, वायरस) इंफेक्शन से होने वाली सभी बीमारियों और छिपी हुई बीमारियों का ग्रह माना गया है. बृहस्पति जीव और जीवन का कारक ग्रह है जो हम सभी व्यक्तियों का प्रतिनिनधित्व करता है इसलिए जब भी बृहस्पति और राहु या बृहस्पति और केतु का योग होता है तब ऐसे समय में संक्रामक रोग और ऐसी बीमारिया फैलती हैं जिन्हें चिहि्नत करना अथवा समाधान कर पाना बहुत मुश्किल होता है पर इसमें भी खास बात ये है कि राहु के द्वारा होने वाली बीमारियों का समाधान आसानी से मिल जाता है, लेकिन केतु को एक गूढ़ और रहस्यवादी ग्रह माना गया है इसलिए जब भी बृहस्पति और केतु का योग होता है तो ऐसे में इस तरह के रहस्मयी संक्रामक रोग सामने आते हैं जिनका समाधान आसानी से नहीं मिल पाता और ऐसा ही हो रहा है इस समय कोरोना वायरस के केस में.
इनका करें उपयोग:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रार्थ उल्लेख है कि हमारे जीवन में कुछ ऐसी वस्तुएं हैं. जिन में किसी भी नकारात्मक वस्तु को रोकने की शक्ति होती है और इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है. यह आसानी से कहीं पर भी मिल जाती है. ज्योतिष शास्त्र में हींग प्याज अदरक नींबू लहसुन तुलसी काली मिर्च लौंग दालचीनी इलायची और राई को किसी भी संक्रमण और नकारात्मक ऊर्जा का काट बताया गया है. सरसों के तेल की मालिश अपने हाथ पीठ छाती और पैरों पर जरूर करें. जीवन से बढ़कर कोई भी आवश्यक वस्तु नहीं है. भीड़-भाड़ से दूर रहना, मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करने में हम सबकी भलाई है. कोविड वैक्सीन जरूर लगवाएं.
क्या करे उपाय:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि हं हनुमते नमः, ऊॅ नमः शिवाय, हं पवननंदनाय स्वाहा का जाप करें. महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए. माता दुर्गा, भगवान शिव हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए. घर पर हनुमान जी की तस्वीर के समक्ष सुबह और शाम आप सरसों के तेल का दीपक जलाएं. सरसों के तेल का दीपक सुबह 9:00 बजे से पहले और सांयकाल 7:00 बजे के बाद जलाना है. गोमूत्र, कपूर, गंगाजल, नमक और हल्दी मिलाकर प्रतिदिन घर में पोछा लगाएं. घर के मुख्य द्वार के दोनों साईड (अंदर-बाहर) बैठे हुए पंचमुखी बालाजी की तस्वीर लगाएं. ईश्वर की आराधना संपूर्ण दोषों को नष्ट एवं दूर करती है.