खनन किया नहीं लेकिन रवन्ने कटते रहे ! राज्य सरकार को 5.59 करोड रुपए का राजस्व नुकसान

जयपुरः खान विभाग में अनदेखी का आलम कहें या फिर मिलीभगत. लेकिन इस सबसे सरकार को 12 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो गया. मामला है फुलेरा तहसील के आसलपुर के दो खनन पट्टों का जहां खनन के नाम पर एक पत्थर नहीं निकाला गया लेकिन दो लाख 80 मीट्रिक टन से अधिक चेजा पत्थर के खनन के रवन्ने काट दिए गए. अचरज की बात यह है कि खनन अधिकारियों ने दस महीने से दोषियों को डिमांड तक के नोटिस नहीं दिए. 

खनन किया नहीं लेकिन रवन्ने कटते रहे !
राज्य सरकार को 5.59 करोड रुपए का राजस्व नुकसान
आसलपुर के मौजी स्टोन क्रेशर व इमरान खान से जुड़े 2 गंभीर मामले
खनन पट्टा 307/1994 और 75/1996 किए गए थे जारी
खान विभाग के फोरमैन ने पिछले वर्ष 27 जून को पेश की थी मौका निरीक्षण रिपोर्ट
खनन पट्टा क्षेत्र में बोर्ड/पिलर्स भी नहीं मिले और खनन पिट भी नहीं मिला
लेकिन खनन पट्टा पंजीयन तिथि से जून 2023 तक काटे अवैध तरीके से रवन्ने
कुल 127024.60 मीट्रिक टन खनिज चेजा पत्थर का दिखाया फर्जी उत्पादन व निर्गमन
दूसरे पट्टे में 153736.74 मीट्रिक टन खनिज चेजा पत्थर का दिखाया फर्जी उत्पादन व निर्गमन
जिस खनन पट्टे के रवन्ने ने वहां उत्पादन किया ही नहीं गया दूसरी जगह के उत्पादन के काटे रवन्ने
ऐसे में खनन पट्टाधारी पर लगाया 5.59 करोड़ रुपए जुर्माना
जबकि दूसरे पर 6.76 करोड़ रुपए का लगाया जुर्माना
पिछले वर्ष 8 अगस्त को पट्टाधारी को 30 दिवस में जवाब पेश करने का दिया गया था नोटिस
लेकिन न जवाब पेश हुआ और न ही 10 महीने में खान विभाग में जारी की डिमांड
ऐसे में पट्टाधारी को 10 महीने तक खनन करने और रवन्ने सही साबित करने का जानबूझ कर दिया मौका
क्या पूरे मामले में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे खनन निदेशक भगवती प्रसाद कलाल ?
क्या पूरे मामले में खनन पट्टाधारकों और जिम्मेदार अधिकारियों से होगी नुकसान की भरपाई ?

खान विभाग के अधिकारी इतने बेखौफ हैं कि उन्हें शायद सिस्टम का भी डर नहीं .आसलपुर के मौजी स्टोन क्रेशर खनन पट्टा 307/1994 व इमरान खान खनन पट्टा 75/1996 में खनन पट्टा जारी होने से लेकर पिछले वर्ष 27 जून तक दो लाख 80 मीट्रिक टन से अधिक चेजा पत्थर के खनन के रवन्ने काट दिए गए. खान विभाग के फौरमेन ने पिछले वर्ष 27 जून को अपनी मौका रिपोर्ट में मय फोटो और विडियो के बताया था कि मौके पर न तो दोनों खनन पट्टों के बोर्ड या पिलर हैं और न ही कोई पिट बना रखी है. यहां खनन हुआ ही नहीं.

इसके बाद पिछले वर्ष तत्कालीन खनिज अभियंता ने दोनों को 30 दिवस में जवाब देने का नोटिस जारी किया. खास बात यह है कि इन दस महीनों में खान विभाग ने दोनों को 12 करोड़ से अधिक डिमांड के नोटिस ही नहीं दिए. मिलीभगत का आलम यह था कि दोनों खनन पट्टाधारकों को दस महीन में पट्टा क्षेत्र में खनन कर मामला रफा दफा करने का मौका दिया. यह बात अलग है कि गूगल इमेज में साफ पता चल रहा है कि उस क्षेत्र में मौका निरीक्षण के दिन तक खनन नहींं हुआ और दूसरी जगह खनन के रवन्ने काटे गए जिससे सरकार को 12 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है. अब देखना है कि पूरे मामले में खान सचिव आनंदी और निदेशक भगवती प्रसाद कलाल क्या कार्रवाई करते हैं.