कांग्रेस के बिना कोई विपक्षी मोर्चा संभव नहीं- जयराम रमेश

कांग्रेस के बिना कोई विपक्षी मोर्चा संभव नहीं- जयराम रमेश

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान और अडाणी समूह के मामले को लेकर इन दिनों संसद में गतिरोध है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) इस सत्र में कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों से अलग खड़ी नजर आती है. यही नहीं, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) तीसरे मोर्चे की पैरवी करते भी दिख रहे हैं. इन्हीं बिंदुओं पर पेश हैं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश से ‘भाषा’ के पांच सवाल और उनके जवाब :

सवाल: जेपीसी की मांग पर विपक्ष में मतभेद क्यों है, खासकर तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का रुख कांग्रेस से अलग नजर आता है?
जवाब:
मतभेद नहीं है. टीएमसी हमारे साथ नहीं है, उनके अपने कारण होंगे, हम उस बारे में कुछ नहीं कहेंगे. राकांपा ने ईडी को भेजे गए पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया है. उन्होंने पहले बता दिया था कि वे इसके समर्थन में हैं, कुछ मजबूरियां हैं, वे इस पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते. 16 पार्टियां हैं, जो एकजुट होकर जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) की मांग कर रही हैं. प्रधानमंत्री जेपीसी का गठन करने में क्यों हिचकिचा रहे हैं. अगर कुछ छिपाना नहीं है, नीयत साफ है, तो प्रधानमंत्री जेपीसी का गठन करें. आखिर इस जेपीसी में अध्यक्ष भाजपा का होगा, उनकी पार्टी के सदस्यों की संख्या भी ज्यादा होगी, फिर सत्ता पक्ष को इतनी घबराहट क्यों है?

सवाल: संसद में गतिरोध के बीच कुछ विशेषज्ञों की राय है कि ब्रिटेन में दिए बयान से जुड़े विवाद का राहुल गांधी की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव हुआ है, आपका क्या कहना है?
जवाब:
भाजपा परेशानी में है, बौखलाई हुई है, क्योंकि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की सफलता से न सिर्फ कांग्रेस पार्टी, बल्कि राहुल गांधी की छवि में भारी परिवर्तन आया है. यह यात्रा हमारे लिए और हमारे संगठन के लिए ‘बूस्टर डोज़’ साबित हुई है. लोग राहुल गांधी जी को नए नजरिये और अंदाज से देख रहे हैं. इसलिए राहुल गांधी जी और कांग्रेस को बदनाम करने के लिए यह प्रयास फिर से किया जा रहा है. यह भाजपा की रणनीति है.

सवाल: राहुल गांधी ने लंदन में जो कहा है, उसे लेकर भाजपा का कहना है कि उन्होंने भारत में अमेरिका और यूरोप से हस्तक्षेप का आग्रह किया है?
जवाब:
राहुल गांधी जी के बयान का वीडियो है, आप उसे सुन सकते हैं, देख सकते हैं. उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा, हस्तक्षेप शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. उन्होंने सिर्फ यही कहा कि हमारे देश में लोकतंत्र मजबूत होना चाहिए, अगर भारत में लोकतंत्र मजबूत होगा, तो इसका फायदा न सिर्फ भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को होगा. जो लोग इल्जाम लगा रहे हैं, वे पूरी तरह से झूठ बोल रहे हैं. यह सिर्फ ध्यान भटकाने की कोशिश है. राहुल गांधी ने कभी ऐसा कोई बयान दिया ही नहीं.

सवाल: टीएमसी और सपा जैसी कुछ विपक्षी पार्टियां ‘तीसरे मोर्चे’ की पैरोकारी करती नजर आ रही हैं, क्या यह विपक्षी एकता के लिए झटका नहीं है?
जवाब:
टीएमसी, समाजवादी पार्टी या अन्य दलों के लोग मिलते रहेंगे, थर्ड फ्रंट (तीसो मोर्चा), फोर्थ फ्रंट (चौथ मोर्चा) बनता रहेगा, लेकिन विपक्ष में कांग्रेस का होना जरूरी है. अगर विपक्ष का कोई गठबंधन बनता है, तो उसमें कांग्रेस की मुख्य भूमिका होगी. कांग्रेस के बिना कोई भी मोर्चा असंभव है. लेकिन, इस बारे में बात करना बहुत जल्दबाजी है. अभी कर्नाटक का चुनाव है, उसके बाद तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम के चुनाव हैं. इस साल हम पूरी तरह से राज्यों के विधानसभा चुनाव में व्यस्त रहेंगे, 2024 के लोकसभा चुनाव के बारे में हम बाद में देखेंगे. अभी तो बैठकें होती रहेंगी, ‘पोजीशनिंग’ होती रहेगी कि मैं थर्ड फ्रंट करूंगा, मैं फोर्थ फ्रंट करूंगी, मैं फिफ्थ फ्रंट करूंगा, ये सब चलता रहेगा.

सवाल: ‘तीसरे मोर्चे’ की इस कवायद को लेकर कांग्रेस का आगे क्या कदम होगा?
जवाब:
किसी भी विपक्षी गठबंधन में मजबूत कांग्रेस का होना जरूरी है, लेकिन कांग्रेस की प्राथमिकता फिलहाल कर्नाटक चुनाव और फिर अन्य राज्यों के चुनाव हैं. 2024 के चुनाव के बारे में जो भी रणनीति तैयार करनी है, पार्टियों से बातचीत करनी है, वो हमारे अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे और हमारे वरिष्ठ नेता करेंगे. सोर्स-भाषा