जयपुर: आए दिन होते ट्रेन हादसों से भारत की ट्रेनों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं. इसके साथ ही सवाल है कि क्या तकनीकों की मदद से इस तरह के हादसों को टाला जा सकता है? इन सब के बीच एक बार फिर से 'कवच सिस्टम' की भी चर्चा हो रही है. आखिऱ क्या है कवच सिस्टम जिसके लगे होने पर अजमेर में हुए ट्रेन हादसे को रोका जा सकता था.
मार्च 2022 में रेलवे की और तकनीक का बड़ा प्रयोग किया गया. जिसे भारत में सुरक्षित ट्रेन संचालन की दिशा में बड़ा कदम बताया गया. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी में इसका तकनीक का सफल ट्रायल हुआ था. और इसे नाम दिया गया कवच सिस्टम और ये वही तस्वीरे है जब कवच सिस्टम तकनीक का ट्रायल लिया जा रहा था. रेल मंत्री खुद उस ट्रायल के दौरान मौजूद थे. और जब कवच सिस्टम का ट्रायल सफल रहा तो इसे मील का पत्थर बताया गया. रेलवे ने दावा किया जल्द ही सभी ट्रेनों में कवच सिस्टम लगेगा. जिससे एक ही पटरी पर आमने सामने दो रेलों के आ जाने पर दोनों रेलों को एक निश्चित दूरी पर रोका जा सकेगा. इस तकनीक ये उम्मीद बंधी की रेलों की अब आपस में टक्कर नहीं होगी लेकिन सोमवार को हुए रेल हादसे ने एक बार फिर से सवाल खड़ा किया है कि आखिर ये कवच है कहां.
कवच सिस्टम क्या है?
-भारतीय रेलवे ने चलती ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए 'कवच' नामक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम विकसित किया.
-कवच टेक्नोलॉजी को देश के तीन वेंडर्स के साथ मिलकर RDSO (Research Design and Standards Organisation) ने डेवलप किया है. भारतीय रेल ने यह कवच टेक्नोलॉजी खुद डेवलप किया है और इसे नेशनल ऑटोमेटिक ट्रेन
-प्रोटेक्शन सिस्टम के रूप में अपनाया गया है.
-यह सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल - 4 मानकों की अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है.
ये है कवच की मुख्य विशेषताएं
-अगर लोको पायलट ब्रेक नहीं लगा पाता है तो कवच ऑटोमेटिक रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है.
-कवच कैब में लाइन-साइड सिग्नल को दोहराता है जो हाई स्पीड और धुंधले मौसम के लिए बहुत उपयोगी है.
-कवच दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकने में भी सक्षम है. मतलब एक ही पटरी पर दो ट्रेनें आमने सामने आ जाएं तो एक्सीडेंट नहीं होगा.
-आपातकालीन स्थितियों के दौरान एसओएस संदेश भेजता है
-नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही की केंद्रीकृत लाइव निगरानी
-लेवल क्रॉसिंग गेट्स पर कवच की मदद से ऑटोमैटिक हॉर्न बजने लगता है
अजमेर के मदार में जब ट्रेन हादसा हुआ तो एक बार फिर से सब के जहन में कवच का जिक्र आया. हादसे के बाद पता चला की ट्रेन में कवच सिस्टम नही लगा था. ऐसे में जब उत्तर पश्चिम रेलवे से कवच के बारे में जानकारी चाही गई तो बताया गया कि कवच का काम प्रक्रिया में है और कवच का रेडियो सर्वे जारी है. NWR के तहत 1600 किलोमीटर का रूट तय किया गया है जहां इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा 6 महत्वपूर्ण रूट है जहां सबसे ज़्यादा रेलें गुजरती है वहां इसे इंस्टॉल किया जाएगा.
राजस्थान में ये है वो रूट जहां लगेगा कवच
-रेवाड़ी से पालनपुर
-जयपुर से सवाईमाधोपुर
-फुलेरा से जोधपुर रूट
-पाली से जोधपुर रूट
-समदड़ी से भीलड़ी
-चितौड़गढ़ से उदयपुर रूट पर होगा कवच का इस्तेमाल
दो साल में सिर्फ उत्तर पश्चिम रेलवे ने रेडियो सर्वे ही शुरू किया है. ऐसे में अगर इस काम को रफ्तार से किया जाए तो काफी हद तक ट्रेन हादसों को रोका जा सकता है और शायद अजमेर-मदार ट्रेन हादसे को भी रोका जा सकता था .
...जियाउद्दीन खान फर्स्ट इंडिया न्यूज जयपुर