VIDEO: अब पाठ्य पुस्तक से मिलेगी मेंटल हेल्थ में मदद ! चिकित्सा विभाग की टेलीमानस हेल्पलाइन सेवा का विस्तार, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश में आत्महत्या, डिप्रेशन के बढ़ते मामलों को देखते हुए चिकित्सा विभाग ने "मेंटल-हेल्थ" काउंसलिंग पर विशेष फोकस शुरू कर दिया है. विभाग ने डिप्रेशन के दौरान आमजन की मदद के लिए संचालित "टेलीमानस हेल्पलाइन" के प्रचार -प्रसार के लिए अभिनव पहल की है. इसके तहत सरकारी स्कूलों की पुस्तकों में "टेलीमानस हेल्पलाइन" का लोगो और नम्बर छापा जा रहा है,ताकि बच्चों के माध्यम से हर परिवार तक इस महत्वपूर्ण सेवा की जानकारी पहुंचाई जा सके. आखिर क्या है "टेलीमानस हेल्पलाइन" सेवा और कैसे आमजन के लिए मददगार है ये मुहिम.

प्रदेश के युवाओं समेत अलग अलग वर्ग में तनाव, अवसाद और आत्महत्या के मामलों में बढ़ोत्तरी पूरे समाज के लिए चिंताजनक है. खासतौर पर स्कूली बच्चों में सुपर कंपीटिशन के चलते आत्महत्या की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है. ऐसे में चिकित्सा विभाग ने बच्चों को फोकस करते हुए नई कवायद शुरू की है. जिसमें केन्द्र की तरफ से संचालित टेलीमानस सेवा को घर-घर तक पहुंचाने का मानस है. सेवा के प्रचार प्रसार और अवसाद की स्थिति में परामर्श लेने के लिए टोल फ्री नम्बर को राजस्थान राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल की पुस्तकों के अंतिम पृष्ठ पर प्रकाशित किया जा रहा है. पहली से 12वीं तक की अब तक करीब 95 लाख पुस्तकों पर "टेलीमानस हेल्पलाइन" का लोगो और हेल्पलाइन नम्बर प्रकाशित किया जा चुका है.

भारत सरकार की तरफ से संचालित हो रही है टेलीमानस सेवा
इस प्रोग्राम की एक यूनिट जयपुर और एक यूनिट जोधपुर में है संचालित
इस सेवा में संचालित है टोल फ्री नंबर 14416 और 18008914416
इन नम्बर पर चौबीस घंटे सातों दिन विषय विशेषज्ञों से ली जा सकती परामर्श
विभागीय अधिकारियों की माने तो ये सेवा कई मामलों में जान बचाने वाली भी हो चुकी साबित

चिकित्सा विभाग के आग्रह पर शुरूआती चरण में 95 लाख पुस्तकों पर "टेलीमानस हेल्पलाइन" का लोगो और हेल्पलाइन नम्बर प्रकाशित किया जा चुका है. लेकिन आगामी सत्र से मण्डल की चार करोड़ से अधिक पुस्तकों पर ये नम्बर प्रकाशित होंगे. इसके अलावा सभी सरकारी अस्पतालों की ओपीडी पर्चियों पर भी इन नंबर्स का प्रकाशन किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग निदेशक डॉ.रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि अब तक इन नंबर्स पर करीब 17 हजार कॉल आ चुके हैं. उन्होंने बताया की इस टेली मानस सेवा के कारण अवसाद से ग्रसित कई लोगों की जानबचाकर सफलता भी पाई जा चुकी है.

विशेषज्ञों की माने तो तनाव से ग्रसित व्यक्ति को सही परामर्श देकर उसकी जान बचाई जा सकती है. इसी सोच को ध्यान में रखते हुए "टेलीमानस हेल्पलाइन" शुरू की गई है. हालांकि, जिस तरह से आत्महत्याएं, अवसाद के केस बढ़ रहे है, उस अनुपात में हेल्पलाइन का फायदा कम ही लोग उठा रहे है. ऐसे में उम्मीद ये है कि चिकित्सा विभाग की इस नई पहल के बाद घर-घर तक ये "हेल्पलाइन" पहुंचेगी जिससे अवसादग्रस्त लोगों को बेहतर राह मिल सके.