जयपुर : प्रदेश में महिलाओं को अब ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए ना तो "असहज" होना होगा और ना ही असहनीय पीड़ा झेलनी होगी महज 10 से 15 मिनट का स्कैन होगा और पता लगेगा कि मरीज के ब्रेस्ट में कैंसर तो नहीं है. ये सब संभव होगा "मेमोग्राफी" के विकल्प के रुप में सामने आई थर्मोलीटिक्स तकनीक के जरिए आखिर क्या है नई तकनीक और मेमोग्राफी की तुलना में कैसे मरीजों के लिए है ये कारगर.
राजस्थान समेत देशभर में महिलाओं की बात की जाए तो ब्रेस्ट का कैंसर सबसे कॉमन है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में दुनियाभर में ब्रेस्ट कैंसर की वजह से 6.85 लाख महिलाएं मौत के मुंह में समा गईं. जब इसके पीछे की वजह जानी गई तो पता चला कि अधिकांश महिलाएं जांच से कतराती है. क्योंकि, ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए जो मेमोग्राफी टेस्ट होता है, उससे महिलाएं झिझकती है. इसके पीछे का कारण ये है कि मेमोग्राफी में एक तरफ जहां मेडिकल स्टॉफ का ब्रेस्ट पर स्पर्श होता है और साथ ही रेडियेशन के अलावा असहनीय पीड़ा भी झेलनी पड़ती है. लेकिन अब ऐसा नहीं है. चिकित्सकों के मुताबिक "मेमोग्राफी" के विकल्प के रुप में थर्मोलीटिक्स तकनीक सामने आई इस तकनीक की खास बात ये है कि जांच के दौरान ना तो महिला को कोई स्पर्श करता है और न ही किसी भी तरह का दर्द होता है. हाल ही में एसएमएस मेडिकल कॉलेज की प्लेटिनम जुबली सेलिब्रेशन में इस तकनीक का प्रदर्शन किया गया, जिसमें कई फेकल्टी मैम्बर ने अपनी जांच भी करवाई है.
"मेमोग्राफी" का बेहतरीन विकल्प होगी थर्मोलीटिक्स
ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए आई नई तकनीक से जुड़ी खबर
कॉलेज की प्लेटिनम जुबली सेलिब्रेशन में प्रदर्शित की गई तकनीक
इस जांच में नहीं होगा अनजान मेडिकल स्टॉफ का ब्रेस्ट स्पर्श
मेमोग्राफी के दौरान होने वाली असहनीय पीड़ा से भी मिलेगी मुक्ति
जांच के दौरान महिला की "प्राइवेसी" रहेगी हर समय मैटेन
रेडिएशन का भी नहीं होगा एक्सपॉजर,10 से 15 मिनट के स्कैन से जांच
थर्मोलीटिक्स तकनीक के जरिए महज 10 से 15 मिनट में जांच पूरी हो जाती है. महिलाओं को जांच के लिए एक कंपार्टमेंट में बैठाया जाता है और प्रेशर से ठण्डी हवा अन्दर छोड़ी जाती है. इसके बाद एक कैमरे के जरिए स्कैन की प्रक्रिया होती है. चिकित्सकों की माने तो 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को मेमोग्राफी का परामर्श दिया जाता है. लेकिन थर्मोलीटिक्स तकनीक में उम्र की कोई बाध्यता नहीं है. इस तकनीक में किसी भी उम्र की महिलाएं बगैर एक्सपोजर के रेडियेशन रहित प्रक्रिया जांच करवा सकती है.
चिकित्सकों की माने तो 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं को लगातार जांच कराते रहना चाहिए ताकी समय रहते ब्रेस्ट कैंसर का पता चल पाए और उसका इलाज हो पाए. लेकिन हमारे देश में लगभग 60 फीसदी महिलाएं इलाज के लिए उस समय पहुंचती है, जब उनका कैंसर थर्ड स्टेज पर पहुंच जाता है और उसके ठीक होने की संभावना बहुत कम हो जाती है. ऐसे में उम्मीद है कि थर्मोलीटिक्स की नई तकनीक महिलाओं को काफी हद तक स्क्रीनिंग के लिए प्रेरित करेगी क्योंकि, जब प्राइवेसी की झिझक नहीं होगी, तो जांच से भी दूरी नहीं रहेगी.