लंदन: जब इस तरह की बात आती है तो मैं बड़ों की नहीं सुनता’’, एक 17 वर्षीय किशोर ने मुझसे यह बात कही. हम चर्चा कर रहे थे कि डिजिटल तकनीक उनके जीवन को कैसे प्रभावित करती है, यह इंग्लैंड के पश्चिम में हमारी एक लंबी अवधि की परियोजना का हिस्सा है, जिसे मैंने सहयोगियों के साथ किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए किया - जिसमें उनकी भावनात्मक सेहत पर डिजिटल तकनीक का प्रभाव भी शामिल है.
एक व्यापक धारणा है कि ऑनलाइन रहना बढ़ते बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुरा है. लेकिन जब हमने परियोजना शुरू की, तो हमें जल्दी ही एहसास हुआ कि इसे साबित करने के लिए बहुत कम सबूत थे. सोशल मीडिया के उपयोग और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कुछ गहन अध्ययन बताते हैं कि प्रभाव छोटे हैं और स्पष्ट निष्कर्ष निकालना मुश्किल है.
वयस्कों की चिंता का उससे कोई लेना देना नहीं:
हम यह पता लगाना चाहते थे कि क्या और कैसे युवाओं की भलाई वास्तव में प्रभावित हो रही थी ताकि उनकी मदद करने वाले संसाधनों का उत्पादन किया जा सके. हमने अपने प्रोजेक्ट के तहत लगभग 1,000 युवाओं से बात की. हमने जो पाया वह यह था कि युवा लोग अपने ऑनलाइन जीवन के बारे में, जिन कारणों से चिंतित थे, उनके माता-पिता और अन्य वयस्कों की चिंता का उससे कोई लेना देना नहीं था. बच्चों ने हमें जो कुछ बताया, उनमें से एक यह था कि वयस्क उनसे ऑनलाइन नुकसान के बारे में बात करते थे, और उन समस्याओं के बारे में कम ही चर्चा करते थे, जो वास्तव में ऑनलाइन रहते हुए उन्हें झेलनी पड़ती थीं. उन्हें इस बात से निराशा होती थी कि उनसे यह पूछे जाने की बजाय कि उनकी समस्याएं क्या हैं, उन्हें बताया जा रहा था कि उनके अनुभव क्या थे.
सामान्य चिंताएँ:
युवाओं ने हमें जो चिंताएँ बताईं उनमें डराना-धमकाना और ऑनलाइन टकराव के अन्य रूप शामिल थे. उन्हें ऑनलाइन समूह बातचीत और वास्तविक जीवन के अनुभव दोनों के छूट जाने का डर था, जो अन्य लोग अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दिखा रहे थे. उन्हें इस बात की चिंता थी कि उनकी पोस्ट को उतने लाइक नहीं मिल रहे हैं जितने औरों की पोस्ट को मिलते हैं. लेकिन ऑनलाइन नुकसान के कठोर पक्ष की मीडिया प्रस्तुति में ये चिंताएं शायद ही कभी दिखाई देती हैं. इसमें ऑनलाइन दुर्व्यवहार के आपराधिक पक्ष का पता लगाने की प्रवृत्ति होती है. सोर्स-भाषा