जयपुर: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायी सदनों की कार्यवाही को सदस्यों द्वारा बार-बार बाधित किए जाने पर चिंता जताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि नियोजित तरीके से सदनों को स्थगित कराना देश के लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है.इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को सदन की उच्च कोटि की मर्यादाओं व परंपराओं का पालन करना चाहिए.बिरला बृहस्पतिवार को यहां राजस्थान विधानसभा में पीठासीन अधिकारियों के अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारी उच्च कोटि की मर्यादा व परंपराएं रही हैं ... उन उच्च कोटि की मर्यादाओं व परंपराओं का हम पालन करें, इन लोकतांत्रिक संस्थाओं में चर्चा हो, संवाद हो, बहस हो लेकिन व्यवधान नहीं हो. बिरला ने कहा कि आज हमारी चिंता यही है, चाहे किसी भी दल की सरकार किसी भी राज्य में हो, देश में हो लेकिन सभी विधायी संस्थाओं की एक चिंता है कि नियोजित तरीके से सदनों को स्थगित कराना, आसन के सामने आना, व्यवधान करना यह देश के लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है.
उन्होंने कहा कि इसीलिए सम्मेलन में प्रस्ताव पारित किया गया है कि सभी लोकतांत्रिक विधायी संस्थाएं अपने यहां बेहतर कानून बनाने का काम करेंगी. उन्होंने कहा कि हर विधानसभा को अपने-अपने नियम, कानून व प्रक्रिया बनाने की स्वायत्तता है.बिरला ने लोकसभा द्वारा स्वस्थ संसदीय परम्पराओं के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रयास किया जाएगा कि देशभर में विधायी संस्थाओं में आचरण, नियम-प्रक्रियाओ, पंरपराओं में एकरूपता हो.
उन्होंने संसदीय समितियों में दल से ऊपर उठकर लोकतंत्र को सशक्त करने के लिए प्रयास किए जाने का आह्वान किया.बिरला ने कहा कि विधान सभाएं अपने-अपने राज्यों में आम जन की सतत भागीदारी सुनिश्चित करें. बिरला के अनुसार, सम्मेलन में जी20 की अध्यक्षता के जरिए सभी देशों तक आदर्श लोकतांत्रिक मूल्य पहुंचाने, संवैधानिक संस्थाओं को सीमा में रहते हुए संविधान की भावना के अनुरूप कार्य करने, विधानमंडलों की गरिमा-शालीनता बढ़ाने और सदस्यों के आचरण संबंधी आचार संहिता बनाने का संकल्प पारित किया गया. (भाषा)