जयपुर: श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं और अब सभी को सर्वपितृ अमावस्या का इंतजार है. उस दिन ज्ञात-अज्ञात पिरतों का श्राद्ध किया जाता है. इस बार सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को है. इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस समय पितरों का दिन पितृपक्ष चल रहा है. पितृपक्ष 2 अक्टूबर तक रहेगा. सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है. यह पितरों की विदाई का दिन होता है. इसे पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. 2 अक्टूबर के दिन सर्व पितृ अमावस्या है. हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या पितृ अमावस्या कहलाती है. यह अमावस्या पितरों के लिए मोक्षदायनी अमावस्या मानी जाती है. पितृ पक्ष में सर्व पितृ अमावस्या को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं. पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं. सर्वपितृ अमावस्या पर दुर्लभ ब्रह्म योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं. इन योग में पितरों की पूजा करने से व्यक्ति विशेष पर पूर्वजों की विशेष कृपा बरसेगी.
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि गुरुवार का दिन पितरों के विसर्जन के लिए उत्तम माना जाता है. इस दिन पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत प्रसन्न होते हैं. क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है. इस कारण सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का विसर्जन विधि विधान से किया जाना चाहिए.
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 09:39 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इसका समापन 03 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 12:18 मिनट पर होगा. पंचांग को देखते हुए सर्वपितृ अमावस्या बुधवार 02 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मुत्यु की तिथि याद ना हो. एक तरह से सभी भूले बिसरों को इस याद कर उनका तर्पण किया जाता है. ब्रह्म पुराण के अनुसार जो वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम पर उचित विधि से दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है. सर्व पितृ अमावस्या के दिन भी भोजन बनाकर इसे कौवे, गाय और कुत्ते के लिए निकाला जाता है. ऐसा कहा जाता है कि पितर देव ब्राह्राण और पशु पक्षियों के रूप में अपने परिवार वालों दिया गया तर्पण स्वीकार कर उन्हें खूब आशीर्वाद देते हैं. इस दिन अपने पूर्वजों के निमित्त के योग्य विद्वान ब्राह्मण को आमंत्रित कर भोजन कराना चाहिए. इसके अलावा आप गरीबों को भी अन्न का दान कर सकते हैं. पितरों के निमित्त श्राद्ध 11:36 बजे से 12:24 बजे में ही करना चाहिए.
माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर अपने पितरों को विदा करता है उसके पितृ देव उसके घर-परिवार में खुशियां भर देते हैं. जिस घर के पितृ प्रसन्न होते हैं पुत्र प्राप्ति और मांगलिक कार्यक्रम उन्हीं घरों में होते हैं. पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर बिना साबुन लगाए स्नान करें और फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनें. पितरों के तर्पण के निमित्त सात्विक पकवान बनाएं और उनका श्राद्ध करें. शाम के समय सरसों के तेल के चार दीपक जलाएं. इन्हें घर की चौखट पर रख दें. एक दीपक लें. एक लोटे में जल लें. अब अपने पितरों को याद करें और उनसे यह प्रार्थना करें कि पितृपक्ष समाप्त हो गया है इसलिए वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में वापस चले जाएं. यह करने के पश्चात जल से भरा लोटा और दीपक को लेकर पीपल की पूजा करने जाएं. वहां भगवान विष्णु जी का स्मरण कर पेड़ के नीचे दीपक रखें जल चढ़ाते हुए पितरों के आशीर्वाद की कामना करें. पितृ विसर्जन विधि के दौरान किसी से भी बात ना करें.
सर्व पितृ अमावस्या तिथि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 09:39 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इसका समापन 03 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 12:18 मिनट पर होगा. पंचांग को देखते हुए सर्वपितृ अमावस्या बुधवार 02 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन को कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन पितरों के लिए किया गया तर्पण उन्हें मोक्ष प्रदान करता है.
ब्रह्म योग
आश्विन अमावस्या पर दुर्लभ ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है. इस योग का समापन 03 अक्टूबर को देर रात 03:22 मिनट पर होगा. ज्योतिष ब्रह्म योग को शुभ मानते हैं. इस योग में पूजा-उपासना करने से दोगुना फल प्राप्त होता है. इस समय पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को अवश्य शांति मिलती है.
सर्वार्थ सिद्धि योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सर्वपितृ अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है. इस योग का निर्माण दोपहर 12:23 मिनट से हो रहा है. वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग का समापन 03 अक्टूबर को सुबह 06:15 मिनट पर होगा. सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी. इस दिन उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है.
ऐसे करें पितरों का तर्पण
सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर पितरों को श्राद्ध दें. अपने परिजनों का पिंडदान या तर्पण जैसा अनुष्ठान किया जाता तब इसमें परिवार के बड़े सदस्यों को करना चाहिए. पितरों को तर्पण के दौरान जौ के आटे, तिल और चावल से बने पिंड अर्पण करना चाहिए.
अर्पित करें भोजन
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन बने भोजन को सबसे पहले कौवे, गाय और कुत्तों को अर्पित करना चाहिए. मान्यता है पितरदेव ये रूप धारण कर भोज करने आते हैं. कौए को यम का दूत माना जाता है.
पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं दीपक
पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पितरों के निमित्त घर बना मिष्ठान व शुद्ध जल की मटकी पीपल के पेड़ के नीचे अपने पितरों के निमित्त रखकर वहां दीपक जलाना चाहिए.
ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन ब्राह्राणों को भोजन और दान-दक्षिणा के साथ अग्नि और गुरुड़ पुराण का पाठ करवाना चाहिए और पितृपक्ष से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए.
जलाएं चौमुखा दीप
मोक्ष अमावस्या के दिन अपने पितरों के लिए चौमुखा दीपक रखें. यह दीपक सूर्यास्त के बाद घर की छत पर रखें और ध्यान रखें कि आपका मुख दक्षिण दिशा में हो.
देशी घी का दीपक
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में पूजा वाले स्थान पर गाय के घी का दीपक जलाएं. ऐसा करने से आपको सभी सुखों की प्राप्ति होगी.
मछलियों को खिलाएं
सर्व पितृ अमावस्या के दिन आटे की गोलियां बनाकर किसी तालाब या नदी के किनारे जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें. ऐसा करने से करने से आपकी सभी परेशानियों का अंत होगा.
चीटियों को खिलाएं
सर्व पितृ अमावस्या पर काली चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं. ऐसा करने से आपको सभी पापों से मुक्ति मिलेगी.
सर्व पितृ अमावस्या की पौराणिक कथा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या की पौराणिक कथा के अनुसार श्रेष्ठ पितृ अग्निष्वात और बर्हिषपद की मानसी कन्या अक्षोदा घोर तपस्या कर रही थीं. वह तपस्या में इतनी लीन थीं कि देवताओं के एक हजार वर्ष बीत गए. उनकी तपस्या के तेज से पितृ लोक भी प्रकाशित होने लगा और सभी श्रेष्ठ पितृगण अक्षोदा को वरदान देने के लिए एकत्र हुए. उन्होंने अक्षोदा से कहा कि हे पुत्री हम सभी तुम्हारी तपस्या से बहुत प्रसन्न हैं इसलिए जो चाहों वर मांग लो. लेकिन अक्षोदा ने पितरों की तरफ ध्यान नहीं दिया. वहीं उनमें से अति तेजस्वीं पितृ अमावसु को बिना पलके झपकाए देखती रहीं. पितरों के बार- बार कहने पर उसने कहा कि हे भगवान क्या आप मुझे सच में वरदान देना चाहते हैं. इस पर तेजस्वीं पितृ अमावसु ने कहा हे अक्षोदा वरदान मांगो. अक्षोदा ने कहा कि अगर आप मुझे वरदान देना चाहते हैं तो मैं इसी समय आपके साथ आनंद चाहती हूं.
अक्षोदा की यह बात सुनकर सभी पितृ क्रोधित हो उठे और उन्होने अक्षोदा को श्राप दे दिया कि वह पितृ लोक से पतित होकर पृथ्वीं लोक पर जाएगी. जिसके बाद अक्षोदा पितरों से क्षमा याचना करने लगी. इस पर पितरों को दया आ गई और उन्होंने कहा कि तुम पृथ्वीं लोक पर मत्सय कन्या के रूप में जन्म लोगी. वहां पराशर ऋषि तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे और तुम्हारे गर्भ से व्यास जन्म लेंगे. जिसके बाद तुम पुन: पितृ लोक में वापस आ जाओगी. अक्षोदा के इस अधर्म के कार्य को अस्वीकार करने पर सभी पितरों ने अमावसु को आर्शीवाद दिया कि हे अमावसु आज यह तिथि आपके नाम से जानी जाएगी. जो भी व्यक्ति वर्ष भर में श्राद्ध या तर्पण नहीं कर पाता और अगर वह इस तिथि पर श्राद्ध और तर्पण करता है तो उसे सभी तिथियों का पूर्ण फल प्राप्त होगा.