Kotputli Borewell Rescue: NDRF के जवान लगातार मैन्युअल टनल बनाने में लगे, काम करीब 60% तक हुआ पूरा

Kotputli Borewell Rescue: NDRF के जवान लगातार मैन्युअल टनल बनाने में लगे, काम करीब 60% तक हुआ पूरा

कोटपूतली : कोटपूतली में ऑपरेशन चेतना जारी है. टनल की खुदाई का काम अभी भी जारी है. NDRF के जवान लगातार मैन्युअल टनल बनाने में लगे हुए हैं. कठोर पत्थर होने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. टनल का काम करीब 60% तक पूरा हुआ है. सांसद राव राजेंद्र सिंह भी मौके पर मौजूद हैं. जिन्होंने NDRF के अधिकारियों से फीडबैक लिया है. SDM बृजेश चौधरी, ASP वैभव शर्मा, DYSP राजेंद्र बुरडक, नगर परिषद आयुक्त धर्मपाल जाट सहित प्रशासनिक अमला मौके पर मौजूद हैं.

आपको बता दें कि रविवार को भी कोटपूतली के कीरतपुरा गांव में 3 साल की मासूम चेतना को बोरवेल से सुरक्षित निकालने के लिए 153 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. प्रशासन और NDRF-SDRF की टीमें बच्ची तक पहुंचने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं, लेकिन अभी तक के सारे प्लान फेल साबित हुए हैं. इधर, मासूम के पिता का रो-रो कर बुरा हाल है, अब तो आंसू सूखते जा रहे हैं.  इस हादसे के रेस्क्यू ऑपरेशन में सबसे अधिक संसाधन उपयोग करने के बावजूद भी नतीजा शिफर ही रहा है. 

बताया जा रहा है कि अब तक जितने भी बोरवेल हादसे हुए हैं सबसे अधिक संसाधन कोटपूतली बोरवेल हादसे में उपयोग लिए जा चुके हैं जिसमें 3 जेसीबी मशीन, दो पाइलिंग मशीन, 2 क्रेन, 10 ट्रैक्टर सहित आदि मशीनरी का उपयोग किया जा चुका है, लेकिन अभी तक भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. जानकारी के अनुसार NDRF और प्रशासन के हाथ खाली हैं और किसी के पास इस बात का जवाब नहीं है कि कब तक यह ऑपरेशन कंप्लीट कर लिया जाएगा. आज सातवें दिन भी 3 साल की मासूम चेतना को बाहर नहीं निकाला जा सका है.  

प्लान A फेल होने के बाद प्लान B का उपयोग:
आपको बता दें कि चेतना को बोरवेल से बाहर निकालने के लिए प्लान A फेल होने के बाद प्लान B को उपयोग में लाया गया, लेकिन अभी तक उससे भी कोई परिणाम नहीं निकला है. वहीं, शुक्रवार दोपहर बाद बारिश आने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया था. घटनास्थल पर 7 दिन से जारी रेस्क्यू ऑपरेशन सफल नहीं होने की वजह से अब रेस्क्यू टीम और प्रशासन की प्लानिंग पर सवाल उठने लगे हैं. अगर परफेक्ट प्लानिंग के तहत काम किया गया होता तो शायद अब तक ये रेस्क्यू ऑपरेशन कामयाब हो चुका होता.