उत्तराखंड़ः उत्तरकाशी में लगातार 8 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. निर्माणाधीन टनल में फंसे 41 मजदूरों की सांसे मुश्किल में है. जिसको लेकर निरंतर हर संभव प्रयास किये जा रहे है. अब टनल में 5 जगह से रास्ता बनाने की कोशिश की जा रही है. वहीं ड्रिलिंग के लिए पॉलैंड से मशीन मंगायी गयी है. मकसद सिर्फ एक ही किसी भी प्रकार से अंदर फंसी जिंदगियों को बचाया जा सके.
बड़ी-बड़ी मशीन पहले से ही पहाड़ को काट कर रास्ता तैयार कर रही हैं जहां से वर्टिकल ड्रिलिंग करके सुरंग में उतरने की कोशिश की जाएगी. टनल में 5 जगह से रास्ता बनाने की कोशिश की जा रही है. वहीं सरकार ने श्रमिकों को बचाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर चर्चा करने के वास्ते शनिवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें विभिन्न एजेंसी को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गईं. बैठक में तकनीकी सलाह के आधार पर पांच बचाव विकल्पों पर विचार किया गया.
पाइप बना आसः
मलबे के बीच एक पाइप बिछाने का निर्णय लिया गया क्योंकि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार यह श्रमिकों को बचाने का सबसे अच्छा और सबसे तेज संभव समाधान था. सूत्रों ने कहा कि यूके जल निगम के पास उपलब्ध ऑगर (ड्रिलिंग) मशीन की मदद से पाइप बिछाने के शुरुआती प्रयास के बाद अमेरिका निर्मित एक बड़ी ऑगर मशीन लाने का निर्णय लिया गया, जिसे भारतीय वायुसेना ने दिल्ली से हवाई मार्ग से पहुंचाया. सूत्रों ने कहा कि लोगों का जीवन खतरे में होने के मद्देनजर सभी संभावित मोर्चो पर एक साथ आगे बढ़ने का फैसला लिया गया. ताकि अंदर फंसी 41 मजदूरों की जिंदगी को जल्द से जल्द बचाया जा सके.
रेस्क्यू में मलबा बन रहा खललः
बता दें कि दिवाली को हुई घटना में लगातार 8 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. सुरंग का कुछ हिस्सा कच्चा होने के कारण लगातार मलबा ढ़ेह रहा है. जिससे राहत बचाव दल को मिशन में कठनाईयों का सामान करना पड़ रहा है.