राज्यसभा में हंगामा जारी,जगदीप धनखड़ बोले- दोनों पक्ष अपनी मांगों पर अड़े

नई दिल्ली: भारत के लोकतंत्र के बारे में लंदन में दिए गए बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी से माफी की मांग और अडाणी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की विपक्ष की मांग को लेकर दोनों पक्षों के ‘‘अड़ियल रवैये’’ के कारण बृहस्पतिवार को भी राज्यसभा में गतिरोध बना रहा.

दोनों पक्षों के सदस्यों की ओर से शोर-शराबे और हंगामे की वजह से उच्च सदन की कार्यवाही शुरु होने के कुछ ही देर बाद अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. सदन में आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो सका. सुबह कार्यवाही शुरू होने पर, शहीद दिवस के अवसर पर पूरे सदन ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. सदस्यों ने कुछ देर मौन भी रखा.

सदस्यों से नियम 267 के तहत नोटिस मिले:
इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. उन्होंने बताया कि नियम 267 के तहत, अडाणी समूह से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराने को लेकर उन्हें 12 नोटिस मिले हैं. धनखड़ ने कहा कि उन्हें कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, अखिलेश प्रसाद सिंह, कुमार केतकर, सैयद नासिर हुसैन, नीरज डांगी, रंजीत रंजन और जेबी मेथर हाशेम सहित कुछ अन्य सदस्यों से नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं.

जांच कराए जाने की मांग करते हुए नोटिस दिया:
उन्होंने कहा कि इन नोटिस के जरिए, अडाणी समूह के खिलाफ लेखा धोखाधड़ी और शेयर बाजार में हेरफेर के आरोपों की जांच के लिए जेपीसी गठित करने में सरकार की विफलता पर चर्चा की मांग की गई है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के इलामारम करीम ने अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग करते हुए नोटिस दिया.

दो प्रमुख दल अपनी मांगों पर अडिग हैं:
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने अडाणी समूह से जुड़ी कंपनी द्वारा राजस्थान और महाराष्ट्र में बिजली वितरण में कथित अनियमितता किए जाने की जांच की मांग पर चर्चा कराने का नोटिस दिया था जबकि द्रविड़ मुनेत्र कषगम के तिरुची शिवा ने भी अडाणी विवाद पर ही नोटिस दिया था. इसी बीच, सत्ता पक्ष के सदस्यों ने राहुल गांधी से माफी की मांग शुरु कर दी. उधर, कांग्रेस के सदस्य जेपीसी गठित करने की मांग करने लगे. सभापति ने कहा कि उन्होंने उच्च सदन में जारी गतिरोध दूर करने के लिए सदन के नेताओं की तीन बैठकें आयोजित कीं लेकिन दो प्रमुख दल अपनी मांगों पर अडिग हैं.

इन मुद्दों को पहले ही उठाया जा सकता था:
धनखड़ ने कहा कि मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि मैं प्रत्येक नोटिस को बहुत सावधानी से देखता हूं. उन्होंने कहा कि गहन विचार-विमर्श के बाद मैं कह सकता हूं कि इन मुद्दों को पहले ही उठाया जा सकता था और ऐसे रास्ते उपलब्ध हैं जहां इन मुद्दों को उठाया जा सकता है. सदन का समय कीमती है, जिसका उपयोग व्यापक जनहित में सूचीबद्ध कार्यों को करने और हमारे संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने में हमारी मदद करने के लिए किया जा सकता है लेकिन हम ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं.

सदन के नेताओं के साथ तीन बैठकें की:
सभापति ने कहा कि नियम 267 के तहत नोटिस स्वीकार करने की एक शर्त यह है कि जो मुद्दा उठाया जा रहा है उसे किसी अन्य रूप में नहीं उठाया जा सकता. उन्होंने कहा कि हमारे पास राष्ट्रपति के (संसद की संयुक्त बैठक में दिए गए)अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर अपनी बात रखने के लिए चार घंटे का समय उपलब्ध था, जहां अवसर का लाभ उठाया जा सकता था. मुझे यह खेद है कि चार घंटे की चर्चा रद्द करनी पड़ी. धनखड़ ने कहा कि उन्होंने राज्यसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं के साथ तीन बैठकें की हैं.

माफी की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी:
उन्होंने कहा कि सदन में दोनों पक्षों ने कड़ा रुख अपनाया है. मैं पूरे सदन से अपील करता हूं कि वे आपस में बातचीत करें और कोई रास्ता निकालें. हम बड़े पैमाने पर लोगों को अच्छा संदेश नहीं भेज रहे हैं. तभी सत्ता पक्ष ने राहुल गांधी से माफी की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी. इसका विपक्ष ने जेपीसी के नारों के साथ विरोध किया. इसी दौरान, सभापति ने सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को बोलने का अवसर दिया. गोयल ने कहा कि अध्यक्ष के सभी प्रयासों के बावजूद मुख्य विपक्षी दल (कांग्रेस) के साथ कोई सुलह संभव नहीं है.

बैठक अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी:
उन्होंने गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि मुझे लगता है कि विपक्ष के एक नेता के व्यवहार और उनके द्वारा की गई टिप्पणियों के को लेकर देश चिंतित है. यह महत्वपूर्ण है कि देश उनकी माफी सुने.उन्होंने देश को, संसद को, पीठासीन अधिकारियों को बदनाम किया है और इसके लिए वह जिम्मेदार हैं. विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अडानी के खिलाफ आरोपों की सच्चाई सामने लाने के लिए जेपीसी का गठन समय की मांग है. जब दोनों पक्षों के सदस्यों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई तब धनखड़ ने कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा. सदन में व्यवस्था बनते न देख सभापति धनखड़ ने बैठक अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू हुआ: 
संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भारत के लोकतंत्र के बारे में लंदन में दिए गए बयान पर माफी मांगने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों के सदस्य अडाणी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने पर जोर दे रहे हैं. विपक्ष और सत्ता पक्ष के हंगामे के कारण पिछले सप्ताह उच्च सदन में ना तो प्रश्नकाल और ना ही शून्यकाल हो सका था. इस दौरान कोई अन्य महत्वपूर्ण विधायी कामकाज भी नहीं हो सका. बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू हुआ है. यह छह अप्रैल तक प्रस्तावित है. सोर्स-भाषा