नई दिल्ली: संसद के विशेष सत्र की कार्यवाही जारी है. लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित किया. पीएम मोदी ने कहा कि ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं. इस ऐतिहासिक भवन के निर्माण में पसीना और पैसा मेरे देशवासियों का लगा. मुझे मेरे देशवासियों पर गर्व है.पुराना भवन नई पीढ़ी को प्रेरणा देता रहेगा. देश के लिए आगे बढ़ने का अवसर है. चंद्रयान की सफलता से पूरा देश अभिभूत है. चंद्रयान-3 की सफलता के लिए सभी देशवासियों को पुनः हार्दिक बधाई दी.
G20 की सफलता, भारत की सफलता:
पीएम मोदी ने कहा कि G20 की सफलता को सभी ने समान रूप से बढ़ाया है. G20 की सफलता, भारत की सफलता है. भारत ने विश्वमित्र के रूप में जगह बनाई. वाद-विवाद के बीच परिवार का भाव है. सदन विविधताओं से भरा हुआ है. कोरोना काल में भी सांसदों ने पूरी जिम्मेदारी निभाई. कोरोना काल में भी सांसदों ने पूरी जिम्मेदारी निभाई. सदन की ताकत से देश आगे बढ़ रहा. देश ने प्रधानमंत्रियों को खोया तो दुःख हुआ. नेहरू जी, शास्त्री जी, इंदिरा जी को खोया तो दुःख हुआ. लोकतंत्र के सदन पर आतंकी हमला हुआ. सदन पर हमला इमारत पर हमला नहीं, हमारी जीवात्मा पर हमला हुआ. मदर ऑफ डेमोक्रेसी पर हमला हुआ. सदन में जिन्होंने सीने पर गोलियां झेली उन्हें नमन है. सदन में गोलियों से बचाने वालों को भी नमन है.
पुराना घर छोड़ना बहुत भावुक पल:
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नए सदन की ओर प्रस्थान करने वाले हैं. पुराना घर छोड़ना बहुत भावुक पल है. आज अभिव्यक्ति का अवसर है. पहली बार आने पर लोकतंत्र के मंदिर को नमन किया. श्रद्धाभाव से सदन में पैर रखा था. प्लेटफार्म पर गुजारा करने वाला बच्चा संसद भवन पहुंचा. समाज के सभी वर्गों के लोग संसद में मौजूद. शफीकुर्रहमान 93 साल की उम्र में संसद में योगदान दे रहे. 7500 से अधिक प्रतिनिधि दोनों सदनों में योगदान दे चुके है. सबका साथ, सबका विकास हमें जोड़ रहा है.
आज 95 साल पुराने संसद भवन में कामकाज आखिरी दिन:
आपको बता दें कि संसद के विशेष सत्र की कार्यवाही आज से शुरू होकर 22 सितंबर तक चलेगी. आज 95 साल पुराने संसद भवन में कामकाज आखिरी दिन है. कल से नए संसद भवन में विशेष सत्र की कार्यवाही होगी. आपको बता दें कि पुरानी संसद का शिलान्यास 12 फरवरी 1921 में हुआ था. करीब 6 साल बाद 18 जनवरी 1927 को संसद का उद्घाटन हुआ था. ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था.
इस भवन के निर्माण पर उस समय 83 लाख रुपए खर्च किए गए थे. करीब 6 एकड़ में फैले संसद में 27 फीट ऊंचे 144 खंभे है. लोकसभा में 545 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है. जबकि राज्यसभा में 245 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है. आजाद भारत की पहली लोकसभा का गठन अप्रैल 1952 में हुआ था और पहली लोकसभा बैठक मई 1952 में आयोजित की गई थी. तबसे अब तक 17 लोकसभाओं का यह भवन साक्षी रह चुका है. इसी संसद भवन में भारत का नया संविधान लिखा गया था.