प्रकाश सिंह बादल के निधन पर पंजाब सरकार ने 27 अप्रैल का राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया, श्रद्धांजलि देने के लिए लगी कतारें

चंडीगढ़: प्रकाश सिंह बादल को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए बुधवार सुबह से ही शिरोमणि अकाली दल के कार्यालय के बाहर लोगों की कतारें लग गईं. पंजाब सरकार ने पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बादल के सम्मान में बृहस्पतिवार को अवकाश घोषित किया है.

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के वरिष्ठ नेता को सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत के बाद करीब एक सप्ताह पहले मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने मंगलवार रात करीब आठ बजे अंतिम सांस ली. वह 95 साल के थे. एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, राज्य के सभी सरकारी कार्यालय, विभाग, बोर्ड, निगम और शैक्षणिक संस्थान बृहस्पतिवार को बंद रहेंगे. सूत्रों के मुताबिक, प्रकाश सिंह बादल के अंतिम दर्शन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ पहुंचेंगे.

दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा कर चुकी:
बादल के पार्थिव शरीर को यहां शिरोमणि अकाली दल के मुख्य कार्यालय में रखा गया है, जहां लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकते हैं. शिअद प्रमुख के पार्थिव शरीर को राजपुरा, पटियाला, संगरूर, बरनाला, रामपुरा फूल और बठिंडा होते हुए दोपहर 12 बजे मुक्तसर स्थित उनके पैतृक गांव बादल ले जाया जाएगा. पार्टी के एक नेता ने बताया कि बृहस्पतिवार को दोपहर एक बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. केंद्र सरकार पहले ही पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के सम्मान में 26 और 27 अप्रैल को पूरे भारत में दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा कर चुकी है.

देश के लिए उनके अपार योगदान की सराहना की:
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कई केंद्रीय मंत्रियों, पंजाब तथा हरियाणा के मुख्यमंत्रियों तथा कई नेताओं ने बादल के निधन पर शोक व्यक्त किया और राज्य के साथ-साथ देश के लिए उनके अपार योगदान की सराहना की. प्रकाश सिंह बादल का जन्म आठ दिसंबर 1927 को पंजाब के बठिंडा के अबुल खुराना गांव में हुआ था. बादल ने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक किया. बठिंडा जिले के बादल गांव के सरपंच बनने के साथ ही उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. वर्ष 1957 में कांग्रेस के टिकट पर वह मलोट से पंजाब विधानसभा के लिए चुने गए. वर्ष 1969 में उन्होंने अकाली दल के टिकट पर गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट से जीत हासिल की.

अकाली दल की बागडोर बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंप दी: 
पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री गुरनाम सिंह के कांग्रेस का दामन थामने के बाद अकाली दल फिर से संगठित हो गया. अकाली दल ने 27 मार्च 1970 को बादल को अपना नेता चुना. इसके बाद अकाली दल ने जनसंघ के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई. वह तब देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने. हालांकि यह गठबंधन सरकार एक वर्ष से थोड़ा अधिक समय तक ही चल पाई. इसके बाद वह 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और 2012-2017 में भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे. अपने राजनीतिक जीवन के आखिरी पड़ाव में बादल ने अकाली दल की बागडोर बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंप दी थी. सोर्स-भाषा